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ऐसे पा सकते है कोविड के बाद होने वाली परेशानियों से आराम

कोरोना एक ऐसी संक्रामक बीमारी है जिसके शिकार लोग हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद भी कई तरह की दिक्कतों से जूझते हैं। लगभग हरेक मरीज में कम या ज्यादा लेवल पर ये पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस देखने को मिलते हैं।

आइए जानें कि क्या है कोविड-19 से रिकवरी के दौरान होने वाली मुश्किलें और इन्हें कैसे मैनेज किया जा सकता है

1. सांस लेने में परेशानी (ब्रेदलेसनेस)

कोविड के कारण हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद सांस लेने में दिक्कत होना मरीजों में आम समस्या है। इसके लिए ऐसे कई पोजिशंस हैं जो मरीजों की इस दिक्कत को कम करने में मदद कर सकते हैं।

हाई-साइड होकर लेटना

इसमें मरीज को सलाह दी जाती को थोड़ा ऊंचा उठाते हुए करवट लेकर लेटे, जिससे सिर और गर्दन को सपोर्ट मिलता रहे। मरीज के घुटने थोड़े-से मुड़े हुए हों।

सामने की तरफ झुककर बैठना

इसमें कुर्सी पर बैठकर मरीज को कमर के हिस्से से आगे की तरफ टेबल या मेज पर झुककर बैठना होता है, जबकि सिर और गर्दन मेज पर रखे तकिए से टिका देना होता है और दोनों हाथ भी मेज पर आराम से रख देने हैं। इस पोजिशन को अगर मरीज आरामदायक महसूस करे, तो बिना तकिए के सहारे भी ट्राई कर सकता है।

सामने की तरफ बिना टेबल के सहारे झुककर बैठना

इस पोजिशन में भी मरीज को कुर्सी पर बैठकर सामने की तरफ झुकना है, लेकिन सामने कोई टेबल नहीं होता, बल्कि दोनों हाथो को अपनी गोद या फिर कुर्सी के बाजुओं के सहारे आराम से टिका देना है।

खड़े रहकर ही सामने की तरफ झुकना

इस पोजिशन में व्यक्ति को खड़े रहते हुए ही सामने किसी खिड़की के प्लैटफॉर्म (विंडोसिल) या किसी दूसरी टिकाऊ सतह के सहारे सामने की तरफ झुककर रहना होता है।

पीठ के सहारे खड़े रहना

इस पोजिशन में व्यक्ति को किसी दीवार से सटकर या पीठ टिकाकर अपने हाथों को दोनों तरफ रखते हुए खड़े रहना होता है। इस स्थिति में उसके पैर दीवार से करीब एक फुट दूर हों और दोनों पैरों में हल्का सा गैप हो।

2.कमजोरी लगना (वीकनेस)

कोविड के बाद थकान या कमजोरी लगना भी बेहद कॉमन प्रॉब्लम है। कई तरह के एक्सरसाइज से धीरे-धीरे इससे निजात पाई जा सकती है। लेकिन, इसे सही लेवल पर करना बेहद जरूरी है। इसके लिए कोई भी मरीज वाक्य बोलने के टेस्ट के जरिए इसे जांच सकता है।

  • अगर आप एक पूरा वाक्य बिना रुके हुए बोल पाते हैं और इसके बावजूद आपको सांस लेने में परेशानी नहीं होती, तो इसका मतलब है कि आप ज्यादा कड़े एक्सरसाइज भी कर सकते हैं।
  • अगर आप खुद को बोलने में बिल्कुल असमर्थ पाते हैं या एक बार में केवल एकाध शब्द ही बोल पा रहे हैं और उसी से आपकी सांस बहुत ज्यादा फूलने लगती है तो इसका मतलब है कि आप जरूरत से ज्यादा कड़े एक्सरसाइज कर रहे हैं।
  • अगर आप एक पूरा वाक्य बोल पा रहे हैं और इस दौरान सांस लेने के लिए एक या दो बार हल्का-सा विराम लेते हैं और हल्के से लेकर गंभीर रूप से हांफने लगते हैं तो इसका मतलब है कि आप सही लेवल पर एक्सरसाइज कर रहे हैं।

3. आवाज के साथ जुड़ी दिक्कत

कोरोना में कई दफा वेंटिलेटर पर जाने वाले मरीजों को उनकी वॉयस के साथ जुड़ी दिक्कत भी पेश आती है। ऐसे में अहम है कि जब आप आरामदायक महसूस करें तभी बातचीत करें और अपनी आवाज पर जोर डालने की कोशिश ना करें। ज्यादा रेस्ट लें, पूरे दिन थोड़ा-थोड़ा कर पानी पीते रहें।

4.अटेंशन, एकाग्रता और स्पष्ट रूप से सोचने-समझने से जुड़ी दिक्कतें

अगर आप कोविड के बाद इस तरह की समस्याओं से जूझते हैं तो ये उपाय कारगर हो सकते हैं

  • फिजिकल एक्सरसाइज
  • ब्रेन एक्सरसाइज जैसे कि नई हॉबीज, पजल, वर्ड और नंबर गेम्स, मेमरी से जुड़ी एक्सरसाइज और रीडिंग वगैरह मददगार होंगे।
  • लिस्ट्स, नोट्स, फोन अलार्म आदि के जरिए खुद को रिमाइंड कराने की आदत डाल सकते हैं
  • एक्टिविटीज को तोड़कर या बांटकर करने की कोशिश करें ताकि ज्यादा बोझ ना पड़े।

5. तनाव, चिंता और डिप्रेशन को मैनेज करना

इन समस्याओं से छुटकारे के लिए अच्छी नींद लेने की पूरी कोशिश करें। फिजिकली एक्टिव रहें, सामाजिक रूप से मेलजोल बनाए रखें और रोजमर्रा के कामों में क्रमबद्ध रूप से अपनी भागीदारी बढ़ाते रहें।

कब करें डॉक्टर से संपर्क

  • अगर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बावजूद सांस लेने में परेशानी लगातार बनी रहे।
  • अगर बेहद थोड़ी-सी एक्टिविटी करते ही दम फूलने लगे।
  • अगर आपके अटेंशन, याददाश्त, सोचने-समझने की ताकत और थकान व कमजोरी में कोई सुधार ना आए तो।

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