ब्रिटेन में ऐतिहासिक जनमत संग्रह में यूरोपियन यूनियन से अलग होने वाले ब्रेग्जिट (Britain Exit) के पक्ष में वोट दिया है। ई.यू. से ब्रिटेन के इस ‘तलाक’ की प्रक्रिया में कम से कम 2 वर्ष लगेंगे और इससे वैश्विक वित्तीय केंद्र लंदन के भविष्य पर अटकलें लगने लगी हैं। जनमत संग्रह में हार के बाद प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन ने अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। वह ब्रिटेन के ई.यू. में बने रहने के पक्ष में थे।
मतदाता 4,65,01,241
मतदान प्रतिशत 72.2%
अलग होने के पक्ष में वोट 51.9% (1,74,10,742)
बने रहने के पक्ष में वोट 48.1% (1,61,41,241)
क्या होगा भारत पर असर
- फिलहाल ज्यादातर कच्चे तेल की खरीदारी पेट्रो डॉलर में ही की जाती है. डॉलर का दाम बढ़ने से भारत के लिए भी कच्चे तेल का आयात महंगा हो जाएगा और इसका असर पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने के रूप में भी दिखाई देगा.
- पौंड के गिरने से डॉलर की मांग बढ़ेगी. इससे आयातित जरूरी चीजों के दामों पर असर पड़ेगा. साथ ही डॉलर का मूल्य बढ़ने से आयात महंगा होगा. डॉलर महंगा होने से विदेश से खरीदा जाने वाला सोना, इलेक्ट्रॉनिक गुडस भी महंगे हो सकते हैं.
- यूरो के जरिए कारोबार कर रही सैंकड़ों कंपनियों के लिए यह घाटे का सौदा है. अब उन्हें महंगे डॉलर पर निर्भर होना होगा.
- ब्रिटेन के अलग होने के बाद अब दूसरे देश भी ईयू से अलग होने के लिए कोशिश कर सकते हैं. उन देशों में काम कर रही भारतीय कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ेगा.
- अब यूरोपियन यूनियन से कारोबारी रिश्ते रखने वाले देशों पर बुरा असर पड़ेगा. बता दें कि भारत के लिए यूरोपियन यूनियन सबसे बड़ी एक्सपोर्ट मार्केट है.
- भारतीय आईटी सेक्टर की 16 से 18 प्रतिशत कमाई ब्रिटेन से ही होती है. ब्रिटेन के यूरोप से अलग होने पर यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे. इससे कंपनियों का खर्च बढ़ेगा.
- ब्रिटेन के यूरोप से अलग होने पर दुनियाभर के शेयर बाजारों में अनिश्चितता का माहौल रहेगा इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ेगा.
- ई.यू. से अलग होने के बाद भारत ब्रिटेन के साथ द्विपक्षीय व्यापार खुलकर कर पाएगा. इससे भारत और ब्रिटेन दोनों को फायदा होगा. हालाँकि ब्रिटेन में काम कर रही 800 कंपनियों को नुकसान हो सकता है.
- करंसी
- भारत से होने वाले बिजनेस पर खतरा है.
- यूरो-पौंड में गिरावट थामे हुए एक्सपोर्ट बिजनेस में भारत को झटका दे सकती है.
- टाटा की जगुआर-लैंडरोवर का वार्षिक मुनाफा एक दशक में 10 हजार करोड़ तक गिर सकता है.
- निवेश
- भारतीय कंपनियों के कैपिटल इनवेस्टमेंट पर असर पड़ेगा.
- ब्रिटेन में प्रोफेशनल्स की कमी हो सकती है.
ई.यू. ने क्या कहा
- यूरोपियन यूनियन ने ब्रिटेन से जल्द से जल्द अलग होने को कहा है.
- हम चाहते हैं कि ब्रिटेन जनता के फैसले को जल्द से जल्द लागू करें. किसी भी तरह की देरी से अनिश्चितता जाहिर होगी. यह बयान ई.यू. अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क, ई.यू. कमीशन चीफ जीन क्लाउड जंकर, ई.यू. पार्लियामेंट लीडर मार्टिन शुल्ज़ और डच प्रीमियर मार्क रूट ने जारी किया
प्रवासियों के सामने आएगा संकट?
ब्रिटेन के ई.यू. से हटने के बाद प्रवासी अपने बच्चों के लिए सरकार से लाभ की मांग नहीं कर पाएंगे. अपराधियों को उनके देश वापिस भेजा जाएगा. ई.यू. का सदस्य बनने वाले नए देशों के लोगों को ब्रिटेन में तुरंत प्रवेश नहीं मिल पाएगा. ब्रेग्जिट का समर्थन कर रहे लोगों का मानना है कि ई.यू. अलग हो जाने पर ब्रिटेन में प्रवासी संकट पर अंकुश लगाया जा सकेगा. आपको बता दें कि इस वक्त ब्रिटेन में हर रोज 500 प्रवासी दाखिल होते हैं और पूर्वी यूरोप के करीब २० लाख लोग इस वक्त ब्रिटेन में रह रहे हैं
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रेग्जिट से एक पैंडोरा बॉक्स खुल सकता है यानि ब्रिटेन की देखादेखी दूसरे देश भी छोड़ने पर विचार कर सकते हैं. वैसे ब्रिटेन ई.यू. के साथ समझौते की कोशिश भी कर सकता है जिसके तहत उसको कुछ विशेष अधिकार दिए जा सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो प्रवासियों को ब्रिटेन में आने के 4 साल बाद ही सरकार से मिलने वाले लाभ मिल पाएंगे.
ब्रिटेन को क्या नुकसान होगा?
ब्रेग्जिट का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इससे ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा. एक अनुमान के मुताबिक ब्रेग्जिट से अलग होने पर 2.5 लाख ब्रिटिश नागरिकों की नौकरियां जा सकती हैं
क्या है यूरोपियन यूनियन?
यूरोप एक महाद्वीप है जिसमें 51 देश है. इनमें से ब्रिटेन समेत 28 देशों ने यूरोपियन यूनियन बनाया. यह 1993 में बना था. यूनियन के 19 देशों की एक अलग करेंसी यूरो बनाई गई. इनकी इमीग्रेशन पालिसी भी एक जैसी तय हुई. डिफेंस इकॉनमी और फॉरेन पॉलिसी पर भी एक राय में फैसले लिए जाने लगे. एक वीजा से पूरे यूरोपियन यूनियन में एंट्री हो सकती है.
ई.यू. के साथ जाना चाहते थे ब्रिटेन के सिख
ब्रिटेन में जनमत संग्रह एक बड़ा मुद्दा था कि क्या ब्रिटेन यूरोपियन संघ में रहने के लिए मतदान करेगा या इससे बाहर होने के लिए. सिख प्रवासी समुदाय इस बारे में क्या सोचता है इसे लेकर भी एक ऑनलाइन सर्वे करवाया गया. ब्रिटेन में रहने वाले सिखों में करीब 60% ने ई.यू. साथ रहने की इच्छा जाहिर की थी.