“बिठूर गाँव” जिसने भारत के इतिहास की कई महत्वपूर्ण घटनाओं को देखा है। इस खूबसूरत गाँव का उल्लेख भारत में प्राचीन काल से है।
कहा जाता है कि कई ऐतिहासिक घटनाएं यहां हुई थीं। बिठूर, उत्तर प्रदेश में कानपुर के पश्चिमोत्तर दिशा में स्थित एक नगरपंचायत है।
मेरठ के अलावा बिठूर में भी सन 1857 में भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम का श्रीगणेश हुआ था। यह शहर उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर से 22 किलोमीटर दूर कन्नौज रोड पर स्थित है।
तो आइये जानते हैं बिठूर गाँव के बारे में
- बिठूर उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे एक ऐसा छोटा सा क़स्बा है जो किसी ज़माने में सत्ता का केंद्र हुआ करता था।
- कानपुर के पास आज यहाँ की पुरानी ऐतिहासिक इमारतें और मंदिर जीर्ण-शीर्ण हालत में पड़ी हैं; लेकिन स्थानीय लोगों के पास इतिहास की वो यादें हैं जिनका पाठ हर बच्चे को स्कूल में पढ़ाया जाता है।
- नानाराव, तात्या टोपे 1857 के विद्रोह के मुख्य नेता थे। आज भी, टोपे परिवार के सदस्य यहां रहते हैं।
- उसी दौर में कानपुर से अपनी जान बचाकर भाग रहे अंग्रेज़ों को सतीचौरा घाट पर मौत के घाट उतार दिया गया। बाद में उसके बदले में अंग्रेज़ों ने गाँव के गाँव तबाह कर दिए और एक एक को पेड़ से लटका कर फाँसी दे दी।
- वाल्मीकि का जन्म इसी गाँव में हुआ था और यहीं पर वाल्मीकि ने तपस्या के माध्यम से रामायण की रचना की थी।
- जीत के बाद अँग्रेज़ों ने बिठूर में नानाराव पेशवा के महल को तो मटियामेट कर ही दिया था l जब ताँत्या टोपे के रिश्तेदारों को 1860 में ग्वालियर जेल से रिहा किया गया तो उन्होंने बिठूर लौटकर पाया कि उनका घर भी जला दिया गया है।
- रानी लक्ष्मीबाई, जिन्होंने अंग्रेजों के लिए बहादुरी से लड़ाई लड़ी और कहा कि वह मैं मेरी झांसी को नहीं छोड़ेंगी, उन्होंने अपना बचपन इसी गांव में बिताया।
- इस गांव को 52 घाटों के शहर के रूप में जाना जाता है, परन्तु इस गाँव में अब केवल 29 घाट बचे हैं।
- जिस वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में सीता माता ने अपने पुत्रों लव और कुश को जन्म दिया, वह आश्रम थोड़ी ही दूर पर एक पहाड़ी पर है।
- पठार घाट पर एक भव्य शिव मंदिर भी है।
- यहीं पर ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया और फिर अश्वमेध यज्ञ किया था।