बड़ौदा हाऊस, लुटियंस दिल्ली की एक शानदार इमारत है, जिसका निर्माण बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय ने कराया था। यह दिल्ली में सयाजीराव तृतीय का महल था, जो फरीदकोट के पास कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित है।
अब यहां उत्तर रेलवे का जोनल मुख्यालय स्थापित है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में, इमारत में रेलवे कार्यालयों की आवश्यकताओं के अनुसार काफी बदलाव किया गया है लेकिन इमारत की भव्यता आज भी बड़ौदा रियासत की समृद्धि की याद दिलाती है।
इमारत के बाहर एक छोटे से भूभाग में एक नैरो गेज एम. टी. आर. क्लास का भाप से चलने वाला रेल का इंजन खड़ा है, जो लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है।
महल की वास्तुकला
बड़ौदा के गायकवाड़ शासक, जो इंगलैंड में शिक्षित थे, वे चाहते थे कि नई दिल्ली में उनका महल एंग्लो-सैक्सन शैली का हो। इसके लिए उन्होंने इमारत के डिजाइन की जिम्मेदारी सर एडविन लुटियंस को दी। ऐसा कहा जाता है कि लुटियंस ने इसे 1921 में एक ट्रेन के सफर के दौरान डिजाइन किया था।
वहीं, इमारत का निर्माण अक्तूबर, 1928 में शुरू हुआ जो 15 साल में बनकर तैयार हुई थी। यह इमारत भी लुटियंस दिल्ली की अन्य इमारतों की तर्ज पर यानी तितली आकार में बनाई गई है लेकिन इसका गुंबद सांची स्तूप से प्रेरित है और मेहराब अर्ध गोलाकार हैं। इसमें छतें, भव्य गलियारे, कूलिंग आर्केड, सुंदर उद्यान के साथ बड़े पैमाने पर सजाए गए लिविंग रूम भी शामिल हैं।
यूँ पड़ा वडोदरा नाम
बड़ौदा शहर को कभी इसके शासक राजा चंदन के नाम पर चंद्रावती कहा जाता था, फिर वीरावती यानी वीरों का निवास स्थान और फिर विश्वामित्री नदी के तट पर बरगद के पेड़ों की प्रचुरता के कारण वडपत्रा कहा जाने लगा।
वडपत्रा से इसका वर्तमान नाम बड़ौदा या वडोदरा पड़ा। वर्तमान में यह ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी‘ के लिए ही नहीं बल्कि अपने अनूठे गरबा नृत्य के कारण विदेश में भी प्रसिद्ध है।
इंजन की कहानी
बड़ौदा हाऊस के बाहर लगे नैरो गेज इंजन का निर्माण साल 1910 में हुआ था, जिसे सबसे पहले कराची पोर्ट ट्रस्ट (वर्तमान पाकिस्तान) के लिए चलाया गया था। 1922 में इंजन को ढिलवां क्रेओसोटिंग प्लांट में स्थानांतरित कर दिया गया, जो 1947 के विभाजन के बाद पंजाब का भारतीय क्षेत्र बन गया।
इसे 1990 में अमृतसर में उत्तर रेलवे की कार्यशाला में पुनर्निर्मित किया गया। अंततः इस विरासत इंजन को बड़ौदा हाऊस में सड़क किनारे स्थापित कर दिया गया। इसके चारों ओर छोटा-सा उद्यान भी बनाया गया है।
उत्तर रेलवे (एन.आर.) भारत के 19 रेलवे जोनों में से एक और भारतीय रेलवे का सबसे बड़ा जोन है । इसका मुख्यालय नई दिल्ली में बड़ौदा हाऊस में है । इसे आधिकारिक तौर पर 14 अप्रैल, 1952 को एक नए रेलवे जोन के रूप में अधिसूचित किया गया था ।