बैक्टीरिया यानी जीवाणु धरती पर ही उत्पन्न हुए हैं। डायनासौरों की तरह जीवाणु अपने पीछे जीवाश्म छोड़ गए। इन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोप) की जरूरत पड़ती है।
जीवाणु अरबों वर्ष पूर्व पृथ्वी पर दिखाई देने वाली जीवन की प्रारंभिक किस्मों में से एक हैं। वैज्ञानिकों का विचार है कि उन्होंने हमारे ग्रह की युवावस्था में इसके वातावरण को बनाने और बदलने में मदद की, जिससे अंततः वातावरणीय ऑक्सीजन का निर्माण हुआ, जिससे जीवन की अधिक पेचीदा किस्में विकसित हुई।
बहुतों का मानना है कि स्वतंत्र जीवित बैक्टीरिया के अन्य कोशिकाओं में आवास बनाने के बाद अधिक पेचीदा कोशिकाएं विकसित हुई जो अंतत: आधुनिक पेचिदा कोशिकाओं के अंग बनीं।
मिटोकांड्रियन, जो आपको शरीर की कोशिकाओं के लिए ऊर्जा बनाता है, ऐसे ही एक अंग का उदाहरण है। बैक्टीरिया मात्र एक कोशिका से बने होते हैं।
बैक्टीरिया हर कहीं पाए जाते हैं, उनमें से अधिकतर हानिरहित तथा उनमें से भी कुछ बहुत उपयोगी होते हैं मगर कुछ जीवाणु बीमारियों का कारण बन सकते हैं क्योंकि या तो वे हमारे शरीर के गलत हिस्से में पहुँच जाते हैं अथवा वे हमारे शरीर पर हमला करने के लिए ही बने होते हैं।
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