हिमाचल प्रदेश पूरी दुनिया में सेब की खेती के लिए मशहूर है. यहां के सेब विदेशों में बहुत पसंद किए जाते हैं. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और सेबों की वजह से जानी जाती है.
लेकिन क्या आपको पता है शिमला जिले की चौपाल तहसील में स्थित मड़ावग गाँव को एशिया का सबसे अमीर गांव माना जाता है. मड़ागव गाँव के लोगों की आय का मुख्य साधन खेती ही है.
चौपाल तहसील में स्थित मड़ावग गांव की जनसंख्या करीब 2000 हैं. इस गांव में प्रत्येक परिवार की सालाना आया 70 से 75 लाख के करीब है। मड़ावग गाँव में आपको हर जगह सेब के बाग ही देखने को मिलेंगे.
इस गाँव में हर व्यक्ति के पास आलीशान मकान हैं. मड़ावग गाँव के सेब अधिकतर विदेशों में निर्यात किए जाते हैं. इस गाँव में हर साल 150 करोड़ रुपए के सेबों का उत्पादन किया जाता हैं.
मड़ावग गाँव के लोग नई नई तकनीकों का प्रयोग करके सेबों की खेती करते हैं. यहाँ के लोग इंटरनेट के माध्यम से विदेशों से भी जानकारी हासिल करते रहते हैं.
मड़ावग गाँव के किसान इंटरनेट के माध्यम से बाजार का भाव जानकर ही सेबों को बेचते हैं. हम आपको बता दें कि सेबों की खेती दो प्रकार से की जाती है एक तो ऑन इयर प्रोडक्शन और दूसरी ऑफ ईयर प्रोडक्शन.
मड़ावग गाँव से पहले गुजरात के कच्छ जिले में स्थित माधवपर गाँव एशिया का सबसे अमीर गाँव रह चुका है. इससे पहले 1982 में भी शिमला जिले का क्यारी गाँव एशिया का सबसे अमीर गांव रह चुका है. क्यारी गाँव के लोगों की आय का मुख्य साधन भी सेब की खेती ही थी.
इतिहास
1954 में मड़ावग गाँव का किसान चैइंयां राम मेहता एक बार कोटखाई से कुछ सेब के पौधे लेकर आया था. कोटखाई से लाए गए सेब के पौधों को उसने अपनी जमीन पर लगाया. कोटखाई में उस समय सेबों का उत्पादन बहुत होता था.
राम मेहता द्वारा लगाए गए पौधों में पहली बार फल लगे और राम मेहता ने उन्हें मंडी में बेचा. जब वह सेबों को बेच का वापिस आए तो उसके पास आठ हजार रुपए थे.
धीरे-धीरे मड़ावग गांव के लोगों ने भी सेब के पौधे लगाने शुरू किए. इसका नतीजा सब जानते है कि मड़ावग गांव एशिया का सबसे अमीर गांव बन गया है.