आधुनिक युग के इस दौर में मोबाइल फोन हर किसी की जरूरत बन चुका है. यह लोगों के जीवन का एक अहम् हिस्सा बन चुका है. आजकल बच्चों से लेकर बुजुर्ग आदमी के पास मोबाइल है और उनमें से 90% मोबाइल में इन्टरनेट मौजूद है.
रिसर्च से पता चला है कि मोबाइल फोन से कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है. अधिकतर देखा गया है कि बच्चे मोबाइल रेडिएशन (विकिरण) की चपेट में ज्यादा आते हैं और मोबाइल की रेडिएशन से बच्चों में ल्यूकेमिया जैसी गंभीर बीमारियाँ भी होती हैं. इसलिए सरकार ने गाइडलाइन्स जारी करके मोबाइल फ़ोन से दूर रहने की सलाह दी है.
मोबाइल फ़ोन पर ज्यादा समय तक किसी से बातें ना करें.
मोबाइल से थोड़ी दूरी बनाये रखें. हमेशा मोबाइल का उपयोग नहीं करते रहना चाहिए.
जहाँ तक संभव हो मोबाइल पर किसी को कॉल करने की बजाये, एसएम्एस (sms) का उपयोग करें. हो सके तो मोबाइल पर बातचीत मोबाइल के स्पीकर मोड से करें.
मोबाइल को कानों से लगाकर सुनने की बजाए हमेशा मोबाइल हेडसेट(ब्लू-टूथ)का उपयोग करें.
मोबाइल फ़ोन को कान पर जोर से लगाकर नहीं सुनना चाहिए क्योंकि मोबाइल की रेडियो फ्रीक्वेंसी (Radio Frequency) आपकी ऊर्जा का अवशोषण कर लेती है.
उस जगह पर जाकर बातचीत करें जहाँ पर मोबाइल सिग्नल अच्छा है क्योंकि अगर मोबाइल का रेडियो सिग्नल कमज़ोर है तो मोबाइल अपने आपट्रांसमिशन सिग्नल बढ़ा देता है. जो आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं होता.
जब आपने चश्मा पहना हो तब फोन पर बात ना करें, क्योंकि चश्मों के फ्रेम धातु के बने होते है और पानी और धातु दोनों रेडियो तरंगों के बेहतरीन सुचालक हैं.
अगर आप किसी को कॉल कर रहे हो तो शुरू में मोबाइल पर कॉल करते समय आपको फ़ोन अपने कानों से नहीं लगाना चाहिए. मोबाइल को कानों से उस समय तक दूर रखना चाहिए जब तक रिसीवर फ़ोन नहीं उठाता क्योंकि मोबाइल शुरू में दुसरे मोबाइल को कॉल करते समय बहुत अधिक रेडिएशन उत्पन्न करता है. जो आपके दिमाग पर प्रभाव डालती है.
जब आपका सिर गीला हो या नहा कर आ रहे हैं तब मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल ना करें. क्योंकि पानी और धातु दोनों रेडियो तरंगों के बेहतरीन सुचालक हैं.
अगर आपके पास लैंडलाइन है तो हो सके मोबाइल की बजाए उसका इस्तेमाल करें.
अगर आपका फ़ोन ओन है, तो इसे अपनी छाती से लगाकर या अपनी पैंट की जेब में ना रखें. क्योंकि मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन आपके दिल को और आपकी प्रजनन क्षमता को नुक्सान पहुंचा सकती है.
बच्चों को मोबाइल फ़ोन कम इस्तेमाल करने चाहिए क्योंकि बच्चों पर मोबाइल फ़ोनों से निकलने वाली रेडिएशन लंबे समय तक अपना बुरा प्रभाव छोड़ती है.
मोबाइल खरीदते समय मोबाइल की एसएआर मूल्य की जांच करनी चाहिए. आप अपने मोबाइल का एसएआर (SAR) नंबर इन्टरनेट से भी देख सकते हो या खुद ही *#07# डायल करके भी देख सकते है. यदि आपके फ़ोन का SAR नंबर 1.6 वॉट प्रति किलोग्राम (1.6 W/kg) से नीचे हैं तब वह ठीक है अन्यथा तुरंत अपने स्मार्टफोन को बदल लें.
मोबाइल फ़ोन को कार या किसी बस में इस्तेमाल करने से इसके संकेत ओर भी ज्यादा बढ़ जाते हैं. जो आपकी सुनने की क्षमता पर प्रभाव डालते हैं. इसलिए मोबाइल फ़ोन का बस या कार में कम इस्तेमाल करना चाहिए.
दुनिया में बहुत से ऐसे अजीबो-गरीब तथ्य हैं जिनसे हम अंजान होते हैं और यह तथ्य जितने अजीब होते हैं उतने ही रोचक और हैरान करने वाले भी होते हैं. आज हम आपको इस लेख में कारों से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्यों से रूबरू करवाएंगे जिनके बारे में आप आजतक अनजान थे.
क्या आपको पता है कि दुनिया में कारों की संख्या लगभग 100 करोड़ से भी अधिक है.
अमेरिका में प्रति व्यक्ति लगभग हर साल 38 घंटे तक ट्रैफिक में व्यतीत करता है.
दुनिया की सबसे पुरानी कार डी डायोन बूटोन (Wikipedia) का निर्माण 1884 में फ्रांस में किया गया था. उसे आज तक सुरक्षित रखा गया है. इस कार की नीलामी सन 2011 में की गयी थी उस दौरान इस कार की कीमत 6 मिलियन डॉलर तय की गई थी.
सन 1902 में पहली बार तेज कार चलाने के कारण किसी चालक का चालान किया गया था. उस समय गाड़ी की रफ्तार 45 मील प्रति घंटा की थी.
साल 2016 में 7 करोड़ 20 लाख नई कारों का निर्माण किया गया था. इसका मतलब यह हुआ कि हर दिन 1 लाख 70 हज़ार नई कारें बनाई गयी थी.
क्या आपको पता है कि एक औसतन कार में 30 हज़ार के आस-पास पुर्जे होते हैं. (हो गए ना आप भी सोचने पर मजबूर 🙂 ).
दुनिया की सबसे पहली कार दुर्धटना सन 1891 अमेरिका के ऑहियो (Ohio) राज्य में हुयी थी.
रूस में अगर आप गंदी गाड़ी चलाते हैं तो उसे गैरकानूनी माना जाता है.
एक रिसर्च से पता चला है कि दुनिया भर में होने वाली 40 प्रतिशत दुर्घटनाओ के दौरान चालक ब्रेक का प्रयोग नहीं करते हैं.
बुगाटी वेरॉन सुपर स्पोर्ट कार दुनिया की सबसे तेज़ चलने वाली कार हैं इसकी रफ्तार 431 km/h है.
सन 1907 में दुनिया का पहला रेसिंग ट्रैक लंदन के ब्रूकलैंड शहर में बनाया गया था.
अगर आपको किसी कार का इंजन निकालकर उसकी जगह पर दूसरा इंजन लगाना पड़े तो आप उसके लिए कम से कम 2 या 3 घंटे का समय तो जरुर लेंगे ही, लेकिन क्या आपको पता है कि सन 1985 में महज 42 सेकेंड में ही कार का इंजन निकालकर उसकी जगह पर दूसरा इंजन लगाया गया था. उस कार का नाम फोर्ड एस्कॉर्ट था.
जब पहली बार कार रेडियो का आविष्कार किया गया था, तब बहुत से ऐसे देश थे जिन्होंने कार में लगाए जाने वाले रेडियो को बैन कर दिया था. उनका मानना था कि कार रेडियो से चालक का ध्यान भटक सकता है और दुर्घटना होने की संभावनाएं बढ़ सकती है.
जीका वायरस (Zika Virus ; Wikipedia) ने पूरी दुनिया की नाक मे दम कर रखा है. क्या आप जानते है कि क्या है यह खतरनाक जीका वायरस? यह कहाँ से आया? कब आया? और क्या है इसके लक्षण?
जीका (Zika Virus) के लक्षण
जीका वायरस(Zika Virus) के लक्षण भी डेंगू बुखार की तरह होते है. जीका के लक्षण मुख्यतः बुखार, लाल आखें, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, शरीर पर रैशेस यानी लाल चकत्ते होते है. बच्चों और बड़ों में इसके लक्षण लगभग एक ही जैसे होते हैं.
लेकिन कुछ मामलों में यह बीमारी हमारे नर्वस सिस्टम के डिसऑर्डर में बदल जाती है जिससे पैरालिसिस भी हो सकता है. जीका वायरस(Zika Virus) का सबसे ज्यादा ख़तरा गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे नवजात शिशु पर पड़ता है. इससे बच्चों में कई तरह की दिमागी बीमारियां हो जाती है. इससे नवजात शिशुओं को माईक्रोसिफ़ेली होने का खतरा है जिसमें बच्चों के मस्तिष्क का पूरा विकास नहीं हो पता और उनका सिर सामान्य से छोटा रह जाता है.
विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) ने भारत में जीका वायरस(Zika Virus) के तीन मामलों की पुष्टि कर दी है. जिनमें एक 64 वर्षीय वृद्ध महिला, 34 वर्षीय पुरुष और एक 22 वर्षीय गर्भवती महीला में पाया गया है. अहमदाबाद के बी.जे. मेडिकल कॉलेज में मॉनिटरिंग के दौरान WHO को इन तीनों में जीका वायरस के लक्षण मिले हैं.
जीका वायरस फ्लाविविरिडए (Wikipedia) विषाणु परिवार से है. यह विषाणु दिन के समय अधिक सक्रिय रहते हैं.
इतिहास
1947 में पूर्वी अफ्रीकी विषाणु अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम यूगांडा के जीका जंगल में पीले बुखार पर शोध व् रिसर्च कर रही थी. वैज्ञानिकों की टीम ने एक रीसस मकाक यानी एक प्रकार के लंगूर को पिंजरे में रख कर शोध कर रही थी. उस लंगूर को बुखार था और उसी से ही यह वायरस मिला था. तभी से ही इस वायरस को जीका वायरस(Zika Virus) के नाम से जाना जाता है.
जब 1948 में फिर से वैज्ञानिकों की टीम ने जीका जंगल में रिसर्च की, तब उन्हें जीका जंगल के मच्छरों में भी वही वायरस मिला. सन 1954 में भी नाइजीरिया में एक व्यक्ति में इसके लक्षण पाए गये थे. इसके बाद 2007 में इसकी खोज होने से पहले इसके संक्रमण के मामले अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में पाए गये थे.
WHO यानि विश्व स्वास्थ संगठन ने जीका वायरस को लेकर दुनियाभर में अलर्ट जारी कर दिया है. खासतौर पर उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में. WHO की रिपोर्ट के अनुसार इस वायरस की चपेट में तीस से चालीस लाख लोग हो सकते हैं.
ब्राजील में इसके सबसे ज्यादा लक्षण पाए गये हैं?
ब्राजील में जीका वायरस के सबसे ज्यादा लक्षण पाए गये हैं. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि हजारों लोग इस विषाणु से संक्रमित हो सकते हैं. मच्छरों के जरिये फैलने वाले इस वायरस से बच्चों का मस्तिष्क विकास रुक जाता है और उनके मस्तिष्क का आकार भी सामान्य से छोटा हो जाता है. जिसे माईक्रोसिफ़ेली (Wikipedia) कहते है
आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर से अब तक इसके 4,120 संदिग्ध केस पाए गये हैं. इन लोगों में से 270 लोगों की लैब टेस्ट में पुष्टि हो चुकी है. ब्राज़ील सरकार के अनुसार, ब्राज़ील के इतिहास में यह किसी भी बीमारी का सबसे घातक आक्रमण है.
जीका वायरस से बचाव के लिए कारगर उपाय
जीका वायरस दुनिया के और हिस्सों में अपने पैर फैला सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इससे बचाव के लिए उपाय सुझाए हैं. हम आपको बताते हैं जीका वायरस से बचाव के लिए कारगर उपाय…. 1. डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस बीमारी को रोकने का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरों की रोकथाम. 2. मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढककर रखें और हल्के रंग के कपड़े पहनें. 3. मच्छरों की रोकथाम के लिए घर के आसपास के गमले, बाल्टी, कूलर आदि में पानी जमा ना होने दें. 4. बुखार, गले में खराश, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होने जैसे लक्षण होने पर अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन और भरपूर आराम करें. 5. जीका वायरस का फिलहाल कोई टीका उपलब्ध नहीं है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि स्थिति में सुधार नहीं होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ.
हिन्दू धर्म में महाभारत को पांचवा वेद माना जाता है. माना जाता है कि इस महाकाव्य में व्यक्ति, परिवार, समाज, धर्म, कर्म, माया, ईश्वर, देवता, राजनीति, कूटनीति, महासंग्राम, महाविनाश, ज्ञान-विज्ञान, तंत्र-साधना, भक्त-भगवान और न जाने कितने अनेकोनेक विषयों के बारे में विस्तृत वर्णन किया गया है. महाभारत में वर्णित श्रीभगवत गीता ईश्वर, आत्मा, कर्म और योग के विवेचन का एक ऐसा विश्व-कोष है जिसके स्तर का ग्रन्थ अन्यंत्र मिलना दुर्लभ है.
लगभग हर हिंदू व्यक्ति महाभारत की कथा और गाथा के बारे में जानता है. लेकिन महाभारत के कुछ ऐसे दिलचस्प तथ्य हैं जो केवल महाभारत के बारे में गहन रुचि और अध्ययन करने वाले व्यक्ति को ही पता हैं और हम-आप साधारण जन के लिए जान पाना लगभग असंभव ही है. कुछ ऐसे ही खास तथ्य हमें इंटरनेट के माध्यम से पता चले और हमने आपके लिए उनको यहाँ पर संकलित और प्रस्तुत किया है.
तो आइए शुरू करते हैं कौरव-पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य के जन्म से सम्बंधित प्रसंग से.
द्रोणाचार्य का जन्म
कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोण महऋषि भरद्वाज के पुत्र थे. महर्षि भरद्वाज एक महान वैज्ञानिक, चिकित्सक, तत्व-वेता और प्रकांड विद्वान थें. एक बार महर्षि भरद्वाज अपनी दिनचर्या के अनुसार गंगा नदी में स्नान के लिए जा रहे थे. उसी समय घृताची नामक अप्सरा केवल एक पारदर्शी वस्त्र में गंगा जी में स्नान कर रही थी. अप्रितम सुंदर और कमनीय अप्सरा को देखकर महऋषि भरद्वाज उत्तेजित हो गये और उनका अवांछित वीर्यपात हो गया.
उस समय में वीर्य को केवल नए जीवन के बीज के रूप में ही बाहर निकालने की परंपरा थी. दूसरे, वर्षों की कड़ी तपस्या और सयंम से पुरुष का वीर्य एक अति-तेजस्वी और बलशाली संतान को सक्षम देने में समर्थ था, महऋषि ने इस वीर्य को व्यर्थ जाने देना उचित नहीं समझा और उसे पीपल के पत्ते की सहायता से एक द्रोणा यानि कलश में कुछ अन्य उपाय करके स्थापित कर दिया. समय आने पर इससे तेजस्वी और महान धनुर्धर गुरु द्रोणाचार्य का जन्म हुआ. अत: द्रोणाचार्य पहले ज्ञात टेस्ट ट्यूब बेबी थे.
एकलव्य का धृष्टदयुम्न के रूप में पुनर्जन्म
द्रौपदी के साथ उनके भाई धृष्टदयुम्न का भी जन्म हुआ था. माना जाता है कि धृष्टदयुम्न पूर्वजन्म के एकलव्य थे. गुरु द्रोण ने उनकी तीरंदाजी के महाकौशल को देखते हुए उन्हें राज-परंपरा के लिए एक खतरा समझा और उनसे गुरुदक्षिणा में उनका अंगूठा मांग लिया था. एकलव्य ने बायें हाथ से धनुष चलाना सीख लिया था.
रुक्मिणी के हरण के समय श्रीकृष्ण के हाथों से एकलव्य मारा गया. उस समय श्रीकृष्ण ने एकलव्य को अगले जन्म में द्रोणाचार्य के वध के लिए जन्म लेने का वरदान दिया था. इस तरह एकलव्य ने पुनर्जन्म लेकर द्रोणाचार्य का वध किया था. यह शरीर बदल कर कार्य करने के सिद्धांत का एक अन्य उदाहरण था.
केवल अर्जुन ने ही श्रीकृष्ण के विश्वरूप को नहीं देखा था
युद्ध के शुरू होने से पहले ही शत्रु सेना में अपने सगे-सम्बन्धियों को देख कर अर्जुन के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया. अर्जुन को पलायन करता देख श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता के रूप उपदेश दिया और उन्हें अपने विराट विश्वरूप के दर्शन कराये जिससे अर्जुन का मन मोह-माया को त्याग कर युद्ध के लिए तत्पर हुआ. ऐसा माना जाता है कि यह उपदेश और दर्शन अर्जुन को ही प्राप्त हुआ लेकिन दो अन्य लोग भी थे जिन्होंने यह उपदेश भी सुना और भगवान के विश्व-रूप के दर्शन भी किये.
संजय ने दिव्य दृष्टि के कारण देखा और सुना
संजय महाभारत के एक महत्वपूर्ण पात्र थे. वे कौरव राजा धृतराष्ट्र के सारथी थे. महाभारत युद्ध के शुरू होने पर धृतराष्ट्र ने युद्ध देखने का आग्रह किया. चूंकि धृतराष्ट्र अंधे थे इसलिए महर्षि वेदव्यास ने संजय को दिव्य दृष्टि प्रदान की ताकि वे सारा वृत्तांत धृतराष्ट्र को ‘लाइव’ सुना सकें. इसी कारण संजय ने भी दिव्य दृष्टि से कृष्ण के विश्वरूप को देखा था.
श्री हनुमान ने भी देखा-सुना है क्योंकि वे अर्जुन के रथ पर विराजमान थे
पवन-पुत्र हनुमान, अर्जुन के रथ पर ध्वजा पर विराजमान थे. इसलिए रणभूमि में जो कुछ भी घटित हुआ वह सब कुछ उन्होंने देखा और सुना.
अर्जुन किन्नर के रूप में
एक दिन जब स्वर्ग में गन्धर्व चित्रसेन अर्जुन को संगीत और नृत्य की शिक्षा दे रहे थे, वहाँ अप्सरा उर्वशी आई और अर्जुन पर मोहित हो गई. उर्वशी ने अर्जुन के सामने विवाह करने का प्रस्ताव रखा लेकिन अर्जुन ने इसे विनम्रता से ठुकरा दिया. क्योकिं वह इंद्र की पत्नी थी और चूंकि अर्जुन इंद्र के अंश-पुत्र थे इसलिए उनके लिए उर्वशी माता के समान थी.
अर्जुन द्वारा ठुकराए जाने पर उर्वशी क्रोधित हो गईं और उसने अर्जुन को एक वर्ष तक नपुंसक या हिजड़ा बनने का शाप दे दिया. यह श्राप अज्ञात-वास के दौरान उनके काम आया जब वे बृहन्नला नाम से विराट नगर में अपनी होने वाली पुत्रवधू उत्तरा की संगीत और नृत्य की शिक्षिका के रूप में कार्यरत रहे.
भीष्म के पांच ‘पांडव विनाशक’ तीर
युद्ध के दौरान, दुर्योधन ने भीष्म पितामह पर पांडवों के प्रति नरम रवैया अपनाने का आरोप लगाया. इस आरोप से भीष्म क्षुब्ध हो गये और उन्होंने अपने तरकश से पांच तीर निकाले, उन पर कुछ मंत्र फूंके और दुर्योधन को वचन दिया कि इन पांच तीरों से वे अगले दिन पांडवों का वध करेंगे. दुर्योधन इससे संतुष्ट नहीं हुआ और उसने इन तीरों को अपने कब्जे में ले लिया.
श्रीकृष्ण की सलाह पर अर्जुन ने दुर्योधन से ये पांच तीर दुर्योधन द्वारा अर्जुन को दिए एक वरदान के बदले में मांग लिए.
श्रीकृष्ण हुए शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा को तोड़ने के लिए विवश
युद्ध से पहले, भगवान श्रीकृष्ण ने प्रण किया था कि वह इस युद्ध में हथियार नहीं उठाएँगे. वहीँ महायोद्धा भीष्म ने भी प्रण किया था कि वह या तो श्रीकृष्ण को हथियार उठाने पर मजबूर कर देंगे या पांडवों का वध कर देंगे. युद्ध के दौरान, भीष्म पांडवों की सेना को बुरी तरह कुचल रहे थे और अर्जुन भी उन्हें रोक नहीं पा रहे थे.
कोई चारा न देख अंत्यंत क्रोधित होकर श्रीकृष्ण ने भीष्म पितामह को मारने के लिए रथ के पहिए को उठा कर दौड़ पड़े. अर्जुन ने उन्हें भक्त और सखा होने का वास्ता देकर रोक लिया ताकि श्रीकृष्ण के प्रण की मर्यादा बनी रहे.
जब अर्जुन युधिष्ठिर को मारने के लिए उतारू हुए
सूतपुत्र कर्ण पांडव सैनिकों का भयानक संहार कर रहा था. इसी दौरान कर्ण ने युधिष्ठिर पर एक ज़ोरदार वार किया और वे बुरी तरह घायल हो गये. नकुल तथा सहदेव ने भ्राता युधिष्ठिर की यह हालत देखी तो शीघ्र ही वे उन्हें शिविर में ले गए.
युधिष्ठिर ने जब अर्जुन आते देखा तो वह बहुत खुश हुए. उन्हें अति-विश्वास था कि अर्जुन ने अपने भ्राता को घायल करने के बदले में कर्ण को अवश्य ही मार डाला होगा. लेकिन जब पता चला कि कर्ण जीवित है तो युधिष्ठिर बहुत क्रोधित हुए. युधिष्ठिर ने क्रोध में आकर अर्जुन गांडीव को त्याग देने को कह क्योंकि वह अपने भाई की रक्षा और प्रतिशोध नहीं ले पाने के कारण इसके लायक नहीं रहे थे.
दूसरी और, बहुत पहले ही, अर्जुन ने प्रण कर रखा था कि जो भी उन्हें गांडीव को त्यागने को कहेगा वे उसे मार डालेंगे. अब उन्हें इस दुविधा में पाकर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को किसी ऐसे व्यक्ति का अनादर करने की सलाह दी जिसका वे पहले आदर करते रहे हों. इस तरह से अर्जुन ने जीवन में पहली बार भ्राता युधिष्ठर का अनादर किया.
दरअसल, किसी का अनादर करना भी कुछ समय के लिए उस व्यक्ति को नजरों में खो देने या क्षणिक मार डालने के समान समझा गया है. इस तरह से त्रिकाल-दर्शी भगवान श्रीकृष्ण की सूझबूझ से पांडवों का एक बड़ा संकट टल गया.
(यह पोस्ट Quora पर महाभारत के विषय में किये गये एक प्रश्न के एक उत्तर का हिंदी अनुवाद है. मैं Fundabook टीम की ओर से Quora और उत्तर के लेखक Aditya Anshul का आभार व्यक्त करता हूँ.)
अगले महीने इंग्लैंड में होने वाले आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट के लिए भारतीय क्रिकेट टीम की घोषणा कर दी गई. जिसमे रोहित शर्मा, मोहम्मद शमी और रविचंद्रन अश्विन की वापसी हुई है. बीसीसीआई की चयन समित ने एक और अहम फैसला लेते हुए रिषभ पंत, कुलदीप यादव, शर्दुल ठाकुर, सुरेश रैना को स्टैंडबाई के तौर पर रखा है. टीम के चयन के बाद बीसीसीआई की चयन समिति के चेयरमैन एम.एस.के. प्रसाद ने कहा, “स्टैंडबाई खिलाड़ियों के लिए भी वीज़ा तैयार होगा और ये बेंगलुरू स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में अभ्यास करेंगे.”
डिफेंडिंग चैंपियन है टीम इंडिया
पिछली बार महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली टीम इंडिया ने ये टूर्नामेंट जीता था. इस बार वो अपना ताज बचाने उतरेगी. अब तक भारत और ऑस्ट्रेलिया आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी सबसे अधिक दो-दो बार जीत चुकी हैं. अगर इस बार टीम इंडिया ये ख़िताब जीत गई तो वह दुनिया की सबसे सफल टीम बन जाएगी.
खिलाड़ियों की चांदी
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने इस साल की चैम्पियन्स ट्रॉफी की इनामी राशि 500,000 डॉलर बढ़ाकर इसे 45 लाख डॉलर कर दी है. आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की चैंपियन टीम को 22 लाख डॉलर की राशि मिलेगी. उप विजेता टीम को 11 लाख डॉलर का चेक मिलेगा.
भारत की 15 सदस्यीय टीम
भारत की 15 सदस्यीय टीम में रोहित शर्मा, शिखर धवन, अजिंक्य रहाणे, विराट कोहली (कप्तान), एमएस धोनी (विकेट कीपर), युवराज सिंह, केदार जाधव, हार्दिक पंड्या, भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह, उमेश यादव, आर. अश्विन, रविंद्र जडेजा और दिनेश कार्तिक का सिलेक्शन किया गया है.
आइये नजर डालते है भारत की 15 सदस्यीय टीम के कैरियर पर…
क्रम सख्या
नाम
भूमिका
मैच
रन
उच्चतम स्कोर
1
विरट कोहली
बल्लेबाज
179
7755
183
2
एमएस धोनी
विकेटकीपर बल्लेबाज
286
9275
183
3
रोहित शर्मा
बल्लेबाज
153
5131
264
4
शिखर धरन
बल्लेबाज
76
3090
137
5
अजिंक्य रहाणे
बल्लेबाज
73
2237
111
6
दिनेश कार्तिक
बल्लेबाज
71
1313
79
7
केदार जाधव
ऑल राउंडर
15
468
120 और 6 विकेट
8
युवराज सिंह
ऑल राउंडर
296
8539
150 और 111 विकेट
9
रविचंद्रन अश्विन
ऑल राउंडर
105
674
65 सर्वोच्च स्कोर और 145 विकेट
10
रवींद्र जडेजा
ऑल राउंडर
129
1888
87 सर्वोच्च स्कोर और 151 विकेट
11
हार्दिक पंड्या
ऑल राउंडर
7
160
56 सर्वोच्च स्कोर और 9 विकेट
12
जसप्रीत बमराह
गेंदबाज
11
0
22विकेट और 4/22 सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी
13
भुवनेश्वर कुमार
गेंदबाज
59
207
61विकेट और 4/8 सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी
14
उमेश यदाव
गेंदबाज
63
77
88 विकेट और 4/31 सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी
15
मोहम्मद शमी
गेंदबाज
47
109
87विकेट और 4/35 सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी
ICC चैंपियंस ट्रॉफी 2017 का पूरा शेड्यूल:
जून 1 (गुरुवार) – इंग्लैंड vs बांग्लादेश (दि ओवल, 3.00pm IST)
जून 2 (शुक्रवार) – ऑस्ट्रेलिया vs न्यूजीलैंड (एजबेस्टन, 3.00pm IST)
जून 3 (शनिवार) – श्रीलंका vs दक्षिण अफ्रीका (दि ओवल, 3.00pm IST)
जून 4 (रविवार) – भारत vs पाकिस्तान (एजबेस्टन, 3.00pm IST)
जून 5 (सोमवार) – ऑस्ट्रेलिया vs बांग्लादेश (दि ओवल, 6.00pm IST)
जून 6 (मंगलवार) – इंग्लैंड vs न्यूजीलैंड (कार्डिफ, 3.00pm IST)
जून 7 (बुधवार) – पाकिस्तान vs दक्षिण अफ्रीका (एजबेस्टन, 6.00pm IST)
जून 8 (गुरुवार) – भारत vs श्रीलंका (दि ओवल, 3.00pm IST)
जून 9 (शुक्रवार) – न्यूजीलैंड vs बांग्लादेश (कार्डिफ, 3.00pm IST)
जून 10 (शनिवार) – इंग्लैंड vs ऑस्ट्रेलिया (एजबेस्टन, 3.00pm IST)
जून 11 (रविवार) – भारत vs दक्षिण अफ्रीका (दि ओवल, 3.00pm IST)
जून 12 (सोमवार) – श्रीलंका vs पाकिस्तान (कार्डिफ, 3.00pm IST)
जून 14 (बुधवार) – पहला सेमीफाइनल (A1 v s B2) (कार्डिफ, 3.00pm IST)
जून 15 (गुरुवार) – दूसरा सेमीफाइनल (A2 v s B1) (एजबेस्टन, 3.00pm IST)
जीवन के ऐसे कई रहस्य हैं जो आज भी रहस्य ही हैं. कई सारे प्रश्न हर व्यक्ति के दिमाग में उठते हैं. मसलन, मनुष्य क्यों जन्म लेता है, उसकी मृत्यु क्यों होती है, उसका जन्म से पहले और मरने के बाद क्या होता है? लेकिन इनका सही जवाब इंसान अभी तक खोज नहीं पाया है.
इन सारे रहस्यों और प्रश्नों के बीच मनुष्य इस धरती पर जीवन-मृत्यु की एक सतत प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है. मनुष्य अपने जीवन को सार्थक और खुशहाल बनाये रखने का हरसंभव प्रयास करता रहता है. यहाँ हम बात चाणक्य द्वारा प्रदत, मनुष्य से जुड़ी कुछ आदतों और सुझावों की करेंगे जिन्हें अपना कर मनुष्य स्वंय के जीवन में गुणात्मक सुधार कर सकते हैं.
चाणक्य (See Wikipedia) एक महान शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री, न्यायिक और शाही सलाहकार और अर्थशास्त्री थे जिन्होंने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन के बहुत सारे पहलुओं के बारे में लिखा है. इनमें से कुछ-एक बातें आज के बदलते सन्दर्भ परिवेश में बेमानी हो चुकी हैं लेकिन अधिकतर बातें अभी उतनी ही व्यावहारिक और उपयोगी हैं जितनी वे उस समय थीं.
चाणक्य ने चाणक्य नीति में चार ऐसे काम बताएँ हैं जो कि एक व्यक्ति को अपने जीवन में कभी नहीं करने चाहिएं. यह ख़ास सुझाव, चाणक्य द्वारा रचित चाणक्य-नीति नामक ग्रंथ से उल्लिखित हैं जिसमें मनुष्य के लिए कुछ बहुत ही उपयोगी बातें कही गयी हैं.
धन-हानि या व्यापार में घाटे के बारे में चर्चा
चाणक्य नीति में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को अपने धन की हानि या व्यापार में हो रहे घाटे के बारे में चर्चा नहीं करनी चाहिए. जहां तक संभव हो सके तो इस बात को निजी स्तर पर ही रखें.
वजह
जब आप किसी को अपनी गरीबी या आर्थिक तंगी के बारे में बताते हैं अधिकतर लोग आपसे मुंह फेर लेते हैं. सब आपको झूठी तसल्ली देते हैं और मौका मिलने पर दूसरे लोगों के सामने आपका मजाक भी उड़ाते हैं. इसलिए अपनी गरीबी के बारें में केवल किसी खास या नजदीकी को बताएं जिससे आपको मदद की आशा हो.
गरीब कोई सम्मानजनक स्थान नहीं
चाणक्य के अनुसार, समाज में गरीब की कोई इज्जत नहीं है, इसलिए गरीबी को अपने तक सीमित रखें और इससे बाहर निकलने का प्रयास करते रहें, क्योकिं परिश्रम से भाग्य को बदला जा सकता है.
व्यक्तिगत समस्या
दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपनी निजी जिंदगी की समस्याओं को कभी भी बाहरी व्यक्ति के साथ साझा नहीं करना चाहिए. इससे होगा यह कि वह आपकी समस्याओं को और बढ़ा देंगे और आपकी पीठ पीछे आपके ऊपर हँसेंगे भी. जिंदगी का कडवा सत्य यह भी है कि लोग दूसरे लोगों को दु:खी देख कर खुश होते हैं.
चाणक्य द्वारा इस बाबत कही गयी तीसरी बात यह है कि एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी पत्नी के चरित्र के बारे में किसी से कुछ भी चर्चा नहीं कहना चाहिए. इनमे कुछ ऐसी बातें भी हो सकती हैं जिन्हें आप दूसरे को नहीं बताना चाहते हों लेकिन एक बार चर्चा छिड़ जाने पर आप उन्हें भी कह दें. कुछ निजी बातें ऐसी भी होती है जिनके बारे में बताने से आपको भविष्य में गंभीर और दूरगामी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. यह बात स्त्री-पुरुष दोनों पर समान रूप से लागू होती हैं.
निम्न-स्तर के व्यक्ति द्वारा बेइज्जत होने की बात
चाणक्य की चौथी और सबसे महत्वपूर्ण बात कि कभी भी किसी व्यक्ति को यह ना बताएं कि किसी निम्न-स्तर के या समाज में बदनाम किसी आदमी ने आप की बेइज्जती की है या मजाक बनाया है. यदि आप यह बात दूसरों को बताएँगे तो हो सकता है वह आपका मजाक उड़ायें, जिससे आपकी गरिमा को ठेस पहुंच सकती है और आपका आत्मविश्वास डगमगा सकता है.
यदि आपको अपनी नौकरी अच्छी नहीं लगती तो जरा इन लोगों के बारे में सोचिये जो निहायत अवांछित और घृणित नौकरियां करते हैं. इन्हें देखकर आपको अपनी नौकरी अवश्य ही अच्छी लगने लगेगी. भारत में यह अवांछित नौकरियां ज्यादातर दलित और महा-दलित जाति के लोगों द्वारा की जाती हैं. यह लोग ज्यादतर बस्तियों में और सड़कों पर रहने को मजबूर हैं.
सीवरेज कर्मी (Sewer Diver)
सीवरेज गोताखोर का काम पृथ्वी पर सबसे घृणित और अवांछित नौकरियों में से एक है. इस काम में कर्मचारी शहर को साफ़ रखने के लिए सीवर के अंदर जाकर मानव मलमूत्र, जहरीले कचरे आदि को साफ़ करता है. कई बार इसमें इन्हें जान भी गवानी पड़ती है.
मैला ढोने का काम (Manual Scavenger)
मानव-मैला उठाने और ढोने वाले को सफाई कर्मचारी भी कहा जाता है. यह सार्वजनिक शौचालय और घरों में मानव मल को हाथों से साफ़ करने का काम करते हैं. यह काम अभी भी भारत में कई जगहों पर होता है. आधिकारिक तौर पर इस काम पर भारत में प्रतिबंध लग चुका है.
कचरा उठाने वाला(Garbage Collectors)
कचरा उठाने वाले कर्मचारी हमारे घरों से और गलियों में पड़ा कचरा उठाते हैं. वह कचरा उठाने का काम अपनी जिंदगी में रोजाना करते हैं. कचरा उठाने वाला काम पृथ्वी पर सबसे कमाई वाला सबसे अवांछित कार्य है.
कचरा बीनने का कार्य (Rag Picker)
यह काम भारत में पुरुषों, महिलाओं और छोटे बच्चों द्वारा भी किया जाता है. कचरा बीनने वाले लोग लोगों द्वारा फेंका गया कचरा उठाते हैं और उनमें से काम की चीजें खोजते हैं. रेग पिकर्स भारत के बढ़े-बढ़े शहर जैसे दिल्ली, मुंबई की झुग्गी-झोंपड़ियों में रहते हैं.
सफाईवाला(sweeper)
सफाईवाला काम सबसे अवांछित कार्यों में से एक है. भारत में यह काम ज्यादातर निम्न दलित जाति, चर्मकार और तथाकथित भंगी लोगों द्वारा किया जाता है. स्वीपर भारत की सड़कों, सार्वजनिक स्थानों और बगीचों में सफाई का काम करते हैं.
भारत एक प्राचीन, सबसे जादुई संस्कृतियों और धर्मों का देश है. दुनिया के हर हिस्से में अलग-अलग मान्यताएँ होती हैं. लेकिन कुछ तो इतनी अजीब होती हैं जिन पर विश्वास करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. आज हम आपको दुनिया की कुछ ऐसी ही परंपराओं के बारे में बता रहे हैं जिनके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएँगे.
सम्मान रक्षा हेतु हत्या (ओनर किल्लिंग)
ऑनर हत्या, भारत में सबसे चौंकाने वाला अनुष्ठानों में से एक है. भारत में शादी दो लोगों के बंधन से भी बढ़कर है. विवाह भारत में दो परिवारों के मिलन के बारे में भी है. विवाह में दोनों परिवार एक दुसरे की जाति, समुदाय, धर्म, सामाजिक स्थिति भी देखते हैं. कई समुदाय या परिवार इन रस्मों के बारे में बहुत कठोर होते हैं. कई मामलों में अगर लड़का या लडकी किसी दूसरी जाति या समुदाय की बिरादरी वाले लडके या लडकी से शादी कर ले तो उसे मार भी दिया जाता है.
दहेज प्रथा
परंपरागत रूप से, पहले जब लड़की की शादी होती थी तब लड़की के मां-बाप उसकी विदाई के समय लड़की को सोने के गहनों के साथ विदा करते थे. लेकिन समय बदलता गया अब लोग गहनों की बजाय पैसे, महंगे महंगे उपहारों के साथ लड़की की विदाई करते हैं. भले ही यह प्रथा भारत में अवैध है लेकिन अब भी इसकी वजह से लड़की के परिवार वालों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है और कई मामलों में तो लड़की खुदख़ुशी भी कर लेती है.
अघोरी बाबाओं द्वारा की जाने वाली नरभक्षण, काला जादू और अन्य रस्में
वाराणसी में रहने वाले दुर्जेय अघोरी संत भगवन शिव की पूजा करते हैं. वे अपने पोस्त्मोर्टम अनुष्ठानों के लिए जाने जाते हैं. यह संत व्यक्ति के अंतिम-संस्कार में बची हुई राख को अपने शरीर पर लगाते हैं. यह संत काला जादू करते हैं और मरे हुए व्यक्ति के शरीर के मांस का सेवन भी करते हैं.
गले तक मिट्टी में दफना दिए जाते हैं बच्चे
उत्तरी कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बड़ी अजीब परंपरा है. जहाँ बच्चों को शारीरिक और मानसिक विकलांगता से बचाने के लिए जमीन में गले तक गाड़ दिया जाता है. इसके पीछे मान्यता यह है कि मिट्टी काफी पवित्र होती है और इस रिवाज के तहत बच्चों को 6 घंटों तक मिट्टी के अंदर रखा जाता है.
शादी से पहले दिया जाता है बिजली का झटका
साउथ अमेरिका की एक जनजातीय परंपरा के अनुसार लड़कियाँ शादी के पहले पुरुषों से उनकी मर्दानगी का अनोखा सबूत मांगती हैं. इस सबूत को देना यहाँ की सबसे बड़ी परंपरा में शामिल है. इस परंपरा के अनुसार पुरषों को शराब का सेवन करना पड़ता है. थोड़ी देर बाद उन्हें 120 वोल्ट का बिजली का झटका दिया जाता है अगर लड़का इस झटके को झेल जाए तो उसे मर्द माना जाता है. इस गेम में फेल होने वाले लड़के को नामर्द समझा जाता है.
शादी से पहले दूल्हे के तलवों पर पड़ती है मार
इस तरह की अजीबोगरीब परंपरा साउथ कोरिया में निभाई जाती है. इस रस्म में दूल्हे को जमीन पर लिटाने के बाद उसके पैरों को रस्सी से बांधकर उसके तलवों पर गन्ने से मारा जाता है. दोस्तों के साथ-साथ, रिश्तेदार भी बारी-बारी से आकर दूल्हे के तलवों पर गन्ने से मारते हैं. साउथ कोरिया में गन्ने को फलाका कहा जाता है.
शादी करने के लिए करना पड़ता है रेप
किर्गिस्तान के लोगों की ये परंपरा है जिसमे हर लड़का शादी करने से पहले अपनी होने वाली पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाता है. जो लड़का जिस लड़की के साथ रेप करता है, वो ही उसका पति बन जाता है. सदियों से यह पंरपरा चली आ रही है. इस परंपरा के चलते ही इस देश में सालाना करीब 12,000 लड़कियों का अपहरण करके उनके साथ यह गलत काम किया जा रहा है. हालांकि इस देश की सरकार द्वारा इस परंपरा को बैन कर दिया गया है, लेकिन समाज से यह प्रथा अभी भी चली आ रही है.
स्कॉटलैंड में दुल्हन को किया जाता है काला
स्कॉटलैंड में शादी से पहले दुल्हन को कालिख लगाने की रस्म निभाई जाती हैं. इस रस्म के साथ ही रिश्तेदार दूल्हा-दुल्हन को एक पेड़ से बांध देते हैं और उनके ऊपर दूध, आटा, चॉकलेट सीरप, अंडे और इसी तरह की अन्य चीजें डालते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस रस्म को निभाने से दूल्हा-दुल्हन को बुरी शक्तियों से बचाया जाता है. इस तरह की रस्में स्कॉटलैंड के कुछ हिस्सों में ही निभाई जाती हैं.
पीपल या केले के पेड़ से होता है गठबंधन
हिन्दू समाज में लड़के और लड़कियों की कुण्डली मिलाते समय मांगलिक दोष पर अधिक जोर दिया जाता है. हिंदू ज्योतिष के अनुसार, मांगलिक लड़के या लड़की की गैर मांगलिक लड़की या लड़के से शादी करने के लिए पहले मांगलिक दोष दूर किया जाता है. इस मांगलिक दोष को दूर करने के लिए मांगलिक को कुंभ विवाह करना होता है. यह कुंभ विवाह भगवान विष्णु की मूर्ति, पीपल या केले के पेड़ के साथ होता है.
आत्म-समालोचना (Self-Flagellation)
आत्म-समालोचना की प्रथा भारत में ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी प्रचलित है. यह प्रथा मुहर्रम के दिवस पर मनाई जाती है. मुहर्रम दिवस इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मनाया जाता है. इस दिन को हुसैन इब्ने अली की मौत हुई थी और साथ ही उनके साथ लड़ने वाले 72 योद्धाओं की मौत हुई थी. यह दिवस उनकी याद में मनाया जाता है.
बच्चे को छत से गिराना
बच्चे को छत से गिराने वाली रस्म बहुत चौंकाने वाली है, यह खास करके मुस्लिम समुदाय के लोगों में प्रचलित है, हालांकि यह रिवाज हिन्दू धर्म के लोगों में भी प्रचलित है. यह प्रथा महाराष्ट्र और कर्नाटक के कई ग्रामीण इलाकों में पिछले 700 वर्षों से मनाई जा रही है. इस प्रथा में 1-2 वर्ष के बच्चे को 50 फुट की ऊंचाई से नीचे गिराया जाता है. नीचे खड़े लोग उसको पकड़ते हैं, लोग ऐसा समझते हैं कि ऐसा करने से बच्चों को भगवान से आशीर्वाद मिलता है.
फीमेल फोएटिसाइड
भारत में कई परिवार दहेज देने के दबाव से लड़की को बोझ मानते हैं और वह लड़की का जन्म होने से पहले ही उसको गर्भ में मार देते हैं, इसके विपरीत लड़कों को परिवार का मशाल पदाधिकारी कहा जाता है. भारत में कन्या भ्रूण हत्या पर प्रतिबंध है फिर भी कई लोग अवैध तरीके से लड़की को गर्भ में मार देते हैं.
मृत्यु एक सत्य है जो भी इस संसार में आया है उसकी मृत्यु एक ना एक दिन निश्चित है. इसलिए जिंदगी एक ही बार मिलती है तो इसके मजे लो, क्योंकि एक ना एक दिन सबको जाना ही है. मौत से तो सभी को डर लगता ही है चाहे वह अपनी हो या दुसरो की. आज हम आपको इस लेख में मृत्यु से सम्बंधित कुछ ऐसे दिलचस्प तथ्य बताने जा रहे है जो आपने पहले कभी नहीं सुने होंगे.
मृत्यु होने पर शरीर के ऑर्गन्स काम करना बंद करते हैं जिससे सुनने की शक्ति खत्म हो जाती है.
क्या आपको पता है कि दुनिया में हर रोज लगभग 1,59,636 लोगों की मृत्यु होती है.
आप सब ने देखा होगा कि ज्यादातर लोगों की मृत्यु सुबह के समय 3:00 से 4:00 बजे के बीच में होती है, क्योंकि इस समय शरीर सबसे कमज़ोर हालत में होता है.
मृत्यु होने के बाद शरीर में बदलाव होने लगते है. सांसें रुकने के बाद पाचन एंजाइम (Digestive enzyme) शरीर को अंदर से खाना शुरू कर देते हैं. इसका तात्पर्य यह है कि जो एंजाइम पेट में खाने को पचाते थे वह आंतों को पचाने लगते हैं.
डॉक्टरों की खराब लिखावट के कारण हर साल लगभग 7 हजार लोगों की मौत जाती हैं.
उल्टे हाथ का इस्तेमाल करने वाले लोगों की आयु सीधे हाथ से लिखने वाले लोगों से 3 साल कम होती है.
क्या आपको पता है कि न्यूयोर्क में ज्यादातर मौतें सुसाइड की वजह से होती है.
अमेरिका में हर घंटे एक इंसान की मौत ड्रिंक एंड ड्राइव की वजह से होती है.
हर मिनट बॉडी में 35 मिलियन सेल्स मर जाते हैं.
भारत एक ऐसा देश है जहां दहेज न मिलने के कारण लोग बहुओं को मार देते हैं. भारत में हर एक घंटे में दहेज की वजह से एक महिला की मृत्यु होती है.
पूरी दुनिया में जहाँ टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ गयी है वहां आज भी लगभग 440,00 लोग हर साल सिर्फ इलाज की वजह से मर जाते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, आठ में से एक व्यक्ति की मौत का कारण वायु प्रदूषण है. वायु प्रदूषण से फेंफडों में गंदी हवा जाती है जिसकी वजह से खून में भी गंदी हवा फैल जाती है. वही मौत की वजह बनती है.
क्या आपको पता है कि ब्रिटेन में एक “रेंट ए मॉउरनर” कम्पनी है, जो अंतिम संस्कार के लिए लोगों को किराए पर देती है, ये लोग बहुत एक्सपर्ट और रिश्तेदारों की तरह ही शोक व्यक्त करते हैं.
ऐसी ही प्रथा राजस्थान के कुछ गांवों में भी होती है. जहाँ किसी की मौत पर रोने के लिए औरतें बुलाई जाती है जिन्हें रुदाली कहते है.
क्या आपको पता है कि प्रथम विश्वयुद्ध में 4 करोड़ और द्वितीय विश्वयुद्ध में 6 करोड़ के आसपास लोग मारे गए थे.
हर साल 150 लोगों की मौत सिर पर नारियल गिरने की वजह से होती हैं.
सांप को देखकर अक्सर लोगों का बुरा हाल हो जाता है, लेकिन भारत में एक ऐसा भी गांव हैं जहां सांपों को पाला जाता है जी हाँ, हम बात कर रहे है महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में स्थित शेतपाल गांव की. शेतपाल गांव में सांप पूरी आजादी के साथ वैसे ही घूमते है जैसे दूसरे पालतू जानवर घूमते हैं. शेतपाल गांव के हर घर की छत पर सांपों के रहने की व्यवस्था की जाती है.
वैसे तो शेतपाल गांव भारत के किसी भी दूसरे गाँव के जैसा ही है लेकिन इस गांव की इस विशेष खासियत इसे अजीबोगरीब गाँव में शामिल करती है. इस गाँव में सांप भी कोई साधारण नहीं बल्कि कोबरा प्रजाति के सांप पाए जाते है, जो कि बहुत जहरीले होते है.
शेतपाल गांव के हर घर में साँप ऐसे घूमता है जैसे कि वह परिवार का सदस्य ही हो. लोग भी सांपों के होने की परवाह न करके अपना-अपना काम करते रहते हैं. खास बात यह है कि यहाँ इतने अधिक सांप होने के बावजूद आज तक इस गांव में सांपों के काटने के कारण किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई. शेतपाल गांव के लोग सांपों को कभी नहीं मारते. यहां के स्कूलों तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी सांप बिना किसी डर के घूमते रहते हैं.