भारत में ट्रैफिक से भरी हुई किसी सड़क को पैदल पार करना अपने आप में एक उपलब्धि है. वैसे तो हम पैदल चलने वालों के लिए बनी हुई क्रासिंग पर ही सड़क को पार करने की सलाह देते हैं लेकिन अधिकतर लोग हमसे इत्तेफाक नहीं रखते. खासकर युवा किसी भी सड़क को कहीं से भी पार करना एक एडवेंचर समझते हैं. कुछ लोग तो इसमें इतने एक्सपर्ट हैं कि बातों-बातों में ही गाड़ीयों से भरी सड़क को हाथ हिला-2 कर चुटकियों में पार कर लेते हैं. शायद इसी को कला कहते हैं.
स्वीडन के Hampus Bergqvist (25) और Johan Bartoli (26) नाम के दो युवकों की फेसबुक और यू ट्यूब पर अच्छी-खासी पहचान है. दोनों अपने देश को छोड़ कर अभिनय में हाथ आजमाने के लिए मुंबई में रहते हैं और youtube पर वीडिओ अपलोड करते हैं जिन्हें लाखों व्यूज़ मिलते हैं. दोनों अपने एक भारतीय मित्र के साथ मिलकर 2 foreigners in bollywood नाम से यूट्यूब और फेसबुक पर एकाउंट्स चलाते हैं जिनके लाखों followers हैं.
इस वीडिओ में ये दोनों एक सड़क को पार करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कर नहीं पा रहे. इतने में उनके देखते ही देखते एक भारतीय लड़के ने बहुत casually सड़क पार कर दी. उस लड़के को देखकर इन दो विदेशियों ने भी वैसे ही सड़क पार करने की कोशिश की और आगे क्या हुआ, देखें 2 foreigners in bollywood फेसबुक पेज पर पोस्ट की गयीइस वीडिओ में.
गत 16 जून को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अचानक से एक हॉस्पिटल में पहुंच गए. केजरीवाल ने दिल्ली के बवाना क्षेत्र के महर्षि वाल्मीकि अस्पताल का औचक दौरा किया और खामियां पायीं.
अरविन्द केजरीवाल एक मरीज के हाथ से दवाई की पर्ची लेकर काउंटर पर दवा लेने चले गए. मेडिसिन के काउंटर वाले ने यह दवाई उपलब्ध होने से इंकार कर दिया. लेकिन जब केजरीवाल ने अपना चेहरा दिखाया तो काउंटर वाले की हालत खराब हो गई.
उसके बाद केजरीवाल ने हॉस्पिटल्स के MS को बुलाया और पूछा जब अस्पताल में दवाई नहीं थी तो लिखी क्यूँ. MS ने कहा कि उन्होंने डाक्टर को मना किया था ये दवाईया लिखने को लेकिन उन्होंने फिर भी लिख दी. केजरीवाल ने डॉक्टर को बुलाया पर डॉक्टर गायब था.
इसके बाद केजरीवाल ने वार्ड का दौरा किया और मरीजों से दवाइयों के बारे में पूछा. केजरीवाल के इस औचक दौरे से अस्पताल में हडकंप मच गया.
पंजाबी गायक “गुरी” का नया गाना “दूरियां” यूट्यूब पर धमाल मचा रहा है. गुरी और तान्या द्वारा गया यह वीडिओ गाना गुरी के संजीदा और शानदार अभिनय से सजा हुआ है. गाना खुद में बेहद खूबसूरत और मधुर बन पड़ा है.
गोल्ड मीडिया (Gold Media) और गीत MP3 (GeetMP3) ने इस गाने को पेश किया है. यह गाना लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आ रहा है. यह गाना 26 जून 2017 को रिलीज़ हुआ है. यूट्यूब पर इस गाने को अब तक 80 लाख से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं
इस गाने को गुरी और तान्या ने गाया है. इस गाने के बोल लिखे है राज फतेहपुरिया ने और म्यूजिक रंजीत ने दिया है. इस गाने की टाइटल लाइन है: “दूरियां वध गीयां पलक नु झपक देयां, उन्वे ही प्यार तेरा प्लां च घट गया”
जब भी हम सार्वजनिक स्थान यानी Public Place में कोई स्टेच्यू यानि मूर्ति देखते हैं तो हम कैमरे का एंगल बदल-बदल कर तस्वीरें लेने लगते हैं. लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो इन अपनी रचनात्मकता का बुद्धि कौशल दिखाते हुए गज़ब की तस्वीरें लेते हैं. आज हम इस लेख में कुछ ऐसी ही चुनिंदा तस्वीरें ले कर आये हैं.
लगता है आज इसका “जैकपोट” लग गया है.
ऐसा लग रहा है जैसे कि हाथी गुदगुदी कर रहा है.
देखा शैम्पू का कमाल, चीख निकल गयी लेकिन बाल नहीं.
लगता है पिछले जमाने में दोनों भाई भाई थे. 😉
मेरा जूता चुराके भाग रहा है? तेरी तो??
बुड़बक!! मुझे हॉकी के साथ-साथ बॉक्सिंग भी आती है समझा क्या?
अंगूर खट्टे हैं..!!
अगर आज के बाद तुम दोनों मेरी इजाजत के बिना कहीं गए न तो टांग तोड़ दूंगी
हर संस्कृति, सभ्यता की अपनी विशिष्ट नृत्य शैली होती है. अकेले भारत में ही कई सारी प्रचलित नृत्य शैलियाँ हैं. नृत्य उसे कहते हैं जिसे देख कर देखने वालों का और नाचने वालों का मन खुश हो जाए। ऐसा ही कुछ हटकर किया है नर्तकी अजीजा देगवेकर, स्नेहा देसाई और लेविना मांवाणी ने इंस्ट्रुमेंटल ट्रैक “कल हो ना हो” पर.
इन्होंने बैले डांस और भारतीय डांस का ऐसा मिश्रण पेश किये कि देखने वाले कह उठे, वाह क्या बात है! सादगी भरे परिधान में बैले डांस का साधारण प्रस्तुतीकरण करतीं ये तीन सुंदर नृत्यांगनाएं वहां मौजूद जनता का मन मोहने मे कामयाब हुईं.
यह विडियो सीजन्स डांस फेस्ट (Seasons Dance Fest) का है जो कि सीजन्स मॉल, पुणे में आयोजित किया गया था.
आपने भूत-प्रेतों से जुड़े बहुत सारे किस्से सुने होंगे. भूतों को लेकर लोगों द्वारा अलग-अलग तर्क दिए जाते हैं. भूत होते हैं या नहीं यह बहस का विषय है लेकिन इस पोस्ट को पढ़ कर शायद आपके रौंगटे खड़े हो जाएँ क्योंकि यहाँ हम अमेरिका की एक भूतहा जेल और उसमें रहने वाले भूत की सच्ची कहानी बता रहे हैं.
अमेरिका के न्यूजर्सी में स्थित एसेक्स काउंटी जेल को दुनिया में सबसे डरावनी जेल माना जाता है. कहा जाता है कि इसके भीतर भूत लोगों के बाल खींचते हैं जिसको वजह से इसके अंदर जाने की हिम्मत किसी ही नहीं होती है. लेकिन कुछ दिन पहले विल एलिस नामक एक फोटोग्राफर ने इस जेल के भीतर तस्वीरें ली हैं, जो की सोशल साइट्स पर वायरल भी हो गए हैं.
सन 1837 में इस जेल को बनाया गया था. उस समय इस जेल में 300 सैल थे. है कई वर्षो तक जेल में कैदियों का आना-जाना लगा रहा, लेकिन अजीबोगरीब गतिविधिया की वजह से इसे 1970 में बंद कर दिया गया. दरअसल इस जेल में मैजूद भूतों को लेकर कई तरह की कहानियाँ प्रचलित हैं.
कुछ लोगों के अनुसार जेल के सैंट्रल हॉल में एक कैदी ने खुद को आग लगा ली थी जिससे उसकी मौत हो गयी. इसके बाद से ही उसकी आत्मा जेल में भटकती रहती है. वही कुछ लोगों का मानना है कि यह भुत एक सिक्योरिटी गार्ड का है जो यहाँ आने वाली लोगों के बाल खिंचता है.
न्यूजर्सी की इस जेल को नेवार्क स्ट्रीट जेल के नाम से भी जाना जाता है. इसकी बिल्डिंग यहाँ की सबसे पुरानी इमारतों में से है. ऐसा माना जाता है कि इसके बंद होने के बावजूद भी जेल के अंदर अनजान लोगों के पदचिन्ह (food print) दिखाई देते हैं. दुनिया में सबसे डरावनी मानी जाने वाली इस जेल की अंदरूनी दीवारें पेड़ों से घिर चुकी हैं
डब्लू डब्लू ई को रेसलिंग का महाकुंभ माना जाता है। इस खेल में दुनिया भर के रेसलर्स शामिल होते हैं। डब्लू डब्लू ई में आपको रोमांच, फाइट और एंटरटेनमेंट सब कुछ देखने को मिलता है।
क्या आपको पता है कि डब्लू डब्लू ई की शुरुआत 1952 में दो पहलवान टूट्स मॉन्ड्ट और जेस मैकमहोन ने की थी और इसका नाम कैपिटल रेसलिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Capitol Wrestling Corporation Ltd.) रखा गया था।
आइए जानें डब्लू डब्लू ई के कुछ रोचक तथ्यों के बारे में …
इसका पूरा नाम वर्ल्ड रेसलिंग एनटरटेनमेन्ट, इंक (World Wrestling Entertainment, Inc.) है।
WWE का मुख्यालय ईस्ट मेन स्ट्रीट स्टैमफोर्ड (East Main Street Stamford,) अमेरिका में है।
इसका पहला टीवी प्रसारण सन 1970 में शुरू किया गया था।
WWE एक पब्लिकली ट्रेडेड कंपनी है।
विंस मैकमहोन (Vince McMahon) WWE के CEO है और कंपनी में करीब 52 फीसदी हिस्सेदारी है।
आप सब ने रिंग के नीचे रखें हथियारों को देखा ही होगा जिन्हें रेसलर इस्तेमाल करते हैं। इन हथियारों में से अधिकतर हथियार असली होते हैं. जैसे कि स्टील चेयर, हथौड़ा, सीढ़ी इत्यादि।
WWE वर्ल्ड हेवीवेट चैंपियनशिप का टाइटल 1963 मे बनाया गया था। ब्रूनो समार्टीनो एक मात्र ऐसे रेसलर है जिनके पास यह चैंपियनशिप सात वर्ष से भी अधिक समय तक रही थी।
WWE में कुछ मूव्स बैन हो गए हैं। जैसे कि कुर्सी का सिर में मारना इत्यादि।
WWE के नियम के मुताबिक फाइट के दौरान रेसलर की कभी भी पिटाई हो सकती है इसलिए उसे और भी चौकन्ना रहना पड़ता है।
डब्लू डब्लू ई को पहले WWF के नाम से जाना जाता था। लेकिन 2002 में इसका नाम बदलकर WWE रखा गया था।
डब्लू डब्लू ई के अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय (International Office) लंदन और टोरंटो दोनों स्थानों पर हैं।
क्या आपको पता है कि WWE के रिंग के नीचे माइक लगाया जाता है ताकि रेसलर्स की आवाज़ सुनाई दी जाए।
WWE यूनाइटेड स्टेटस् चैंपियनशिप का निर्माण सन् 1975 में किया गया था।
डब्ल्यूडब्ल्यूई में शीर्ष 10 सबसे अमीर रेसलरों की सूची:
पिछले लेख में हमने बताया था कि असम की जतिंगा वैली हर साल बड़े पैमाने पर पक्षी ‘आत्महत्या’ करते हैं. अब इस लेख में पढ़ें इसके पीछे के संभावित कारण.
वैज्ञानिक अध्ययनों और प्रयोगों के बाद यह निष्कर्ष निकला है कि पक्षी आमतौर पर यहाँ की गहरी धुंध या कोहरे से विचलित हो जाते हैं और वे गांव की रोशनी की तरफ आकर्षित होते हैं और बदहवासी में रोशनी की तरफ उड़ते हैं. रोशनी की तरफ उड़ते समय वह पेड़ों, कंटीली झाडियों और रास्ते में आने वाली किसी भी चीज़ से टकरा जाते हैं. जिसके कारण कुछ पक्षी मर जाते हैं, जबकि अन्य गंभीर रूप से घायल होते हैं.
अध्ययन से यह भी पता चला है कि पक्षी केवल गांव के उत्तरी छोर से ही आते हैं और लगभग 1.5 किलोमीटर लम्बी और 200 मीटर चौड़ी पट्टी में ही इन हादसों का शिकार होते हैं. अध्ययनों दौरान पक्षी गांव के दक्षिणी किनारे में रखी गयी रोशनी की तरफ आकर्षित नहीं हुए.
मरने वाले पक्षियों में स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की लगभग 40 प्रजातियां शामिल हैं और उनमें से अधिकांश पक्षी पास की घाटियों और पहाड़ी ढलानों से आते हैं. इनमें किंगफिशर (Kingfishers), ब्लैक बिटन (Black Bitterns), टाइगर बिटर्न्स (Tiger Bitterns) और पॉन्ड हेरस (Pond Herons) आदि पक्षी शामिल हैं.
यदि दूसरे वैज्ञानिकों के अध्ययन पर नजर डालें तो लगता है कि ज्यादातर आत्मघाती पक्षी मानसून के मौसम में अपने प्राकृतिक आवासों को खो देते हैं इसलिए वे आवास की तलाश में जतिंगा वैली में आते हैं. लेकिन अभी भी रहस्य बना हुआ है कि आखिरकार ये पक्षी रात में उड़ते ही क्यों हैं? और वे हर साल एक ही स्थान पर क्यों इन हादसों का शिकार हो जाते हैं?
प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानीअनवरुद्दीन चौधरी का मानना है कि, “सही-सही कहें तो यह आत्महत्या नहीं है. लेकिन यह बात भी सच है कि यहाँ पर पक्षी रौशनी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. यह बात पक्षी विज्ञान के लिहाज से बहुत ही अजीब है.”
भारत के सबसे प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी दिवंगत सलीम अली भी इस घटना से चकित थे. “मेरे लिए सबसे अजीब चीज़ यह है कि पक्षियों की इतनी सारी प्रजातियां उस समय उड़ रही होती हैं जिस समय उन्हें गहरी नींद में होना चाहिए। इस समस्या का विभिन्न कोणों से गहरा वैज्ञानिक अध्ययन किये जाने की जरुरत है“, उन्होंने लिखा था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि आत्महत्या की पहली बार ऐसी घटना 1900 के दशक में हुयी थी, जिसने गांव वासियों को बुरी तरह डरा दिया था. इसकी वजह से उन्होंने अपनी जमीन जतियंज (Jaintias) को बेची और 1905 में जगह छोड़ दी थी. जब फिर से Jaintias लोग इस जगह पर बसे तो उन्होंने इसे भगवान द्वारा दिया गया उपहार मान लिया.
आखिर हो भी क्यों नहीं. इस घटना ने गाँव को देश-विदेश में प्रसिद्ध कर दिया है. दुनिया भर के वन्य-जीव विज्ञानी, शौधकर्ता और टूरिस्ट इस घटना का गवाह बनने और खोज करने के लिए यहाँ आते हैं. मानसून के महीनों के दौरान भारी संख्या में पर्यटक यहाँ आते हैं. ये पक्षी खाने में स्वादिष्ट होते हैं और लोग इनके विभिन्न व्यंजनों का लुत्फ़ उठाते हैं. हर साल लोग पक्षियों को आकर्षित करने और उन्हें पकड़ने के लिए घरों की रौशनी और लालटेन आदि का प्रयोग करते है.
जिला प्रशासन ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पक्षी आत्महत्या के समय एक त्योहार आयोजित किया जाता है, जिसे जतिंगा महोत्सव कहा जाता है. जतिना महोत्सव सबसे पहले 2010 में आयोजित किया गया था.
दुनिया में बहुत सी चीजें ऐसी हैं जो अभी तक वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बनी हुई हैं. ऐसी ही एक जगह दक्षिणी आसाम के दीमा हसाओ जिले में स्थित है. इस जगह को जतिंगा वैली (Jatinga Valley) के नाम से जाना जाता है. जतिंगा गांव में सितंबर और अक्टूबर के दौरान हर साल बड़े पैमाने पर पक्षी ‘आत्महत्या’ करते हैं.
सितंबर और अक्टूबर के महीनों में कृष्ण पक्ष (Second and darker fortnight) की रातों में जतिंगा वैली में यह अजीबोगरीब हादसे बहुत अधिक बढ़ जाते हैं. इन दिनों में यहाँ शाम के समय गहरी धुंध रहती है और साथ ही तेज हवाएं चलती हैं.
पक्षियों द्वारा आत्महत्या करने की ये घटनाएं अधिकतर शाम 7 बजे से रात 10 बजे की बीच होती हैं. अचानक आसमान से पक्षी कीट पतंगों की तरह गिरते हैं और धरती में मौजूद विभिन्न चीज़ों से टकरा कर मर जाते हैं या बुरी तरह घायल हो जाते हैं जिन्हें पकड़ कर ग्रामीण पका कर खा लेते हैं.
क्या है जतिंगा वैली का रहस्य?
पक्षियों के इस तरह से आत्महत्या करने पर या शायद मरने पर वैज्ञानिक अलग-अलग तर्क देते हैं, लेकिन इस घटना की असली वजह का पता अभी तक नहीं लग पाया है.
कुछ लोग मानते हैं कि तेज हवाओं से पक्षियों का संतुलन बिगड़ जाता है और वह आसपास मौजूद पेडों से टकराकर मर जाते हैं. मरने वाले पक्षियों में स्थानीय और प्रवासी चिड़ियों की लगभग 40 प्रजातियां शामिल हैं.
जतिंगा वैली में पक्षियों के आत्महत्या का रहस्य क्या है इस बात को लेकर स्थानीय लोगों में कई तरह की बातें प्रचलित है. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह भूत-प्रेत और अदृश्य ताकतों का काम है.
चाहे जो भी बात हो लेकिन अभी भी जतिंगा वैली में हो रही पक्षियों की आत्म हत्या, दुनिया भर में रहस्य बनी हुई हैं.
फ्रांस की एक घटना है जिसे देखकर आप भी हैरान रह जायेंगे. यह घटना देखकर लोगों को समझ ही नहीं आया कि यह हो क्या रहा है। एक फ्रेंच न्यूज पेपर Le Parisien ने अपने फेसबुक पेज में अपने आप चल रही हर्ले डेविडसन मोटरसाइकिल का वीडियो शेयर किया है। इस बाइक के मालिक ने बताया कि यह घटना तब हुई जब वह हाइवे पर कहीं जा रहा था। अचानक एक कार ने उसे टक्कर मार दी।
उसके बाद क्या हुआ, देख कर आप भी दंग रह जायेंगे… देखिये वीडिओ:
इस मोटरसाइकिल के मालिक ने बाद में फ्रेंच अख़बार से इंटरव्यू में कहा कि टक्कर लगने से वह बाइक से गिर गया. अस्पताल जाने से पहले उनसे बाइक को ढूँढने की कोशिश की लेकिन वह कहीं नज़र नहीं आई. हुआ यह कि उसकी बाइक 600 मीटर तक अपने आप ही दौड़ती चली गई और गिर गयी। उस ने कहा कि वह खुद भी हैरान है कि ऐसा कैसे हो सकता है।
मोटरसाइकिल से स्टंट करने के लिए मशहूर जेन पेरी ने बताया कि ऐसा तो सोचा भी नहीं जा सकता है कि एक मोटरसाइकिल 600 मीटर तक बिना किसी राइडर के भागते हुए चली जाए।