हिंदू धर्म में माता अन्नपूर्णा और बाल्यकाल की याद में मनाए जाने वाले पर्वों का विशेष महत्व है। ऐसे ही एक महत्वपूर्ण त्यौहार है अहोई अष्टमी। यह पर्व विशेष रूप से माता अन्नपूर्णा और बच्चों के प्रति माताओं की भक्ति और श्रद्धा को दर्शाता है। आज हम आपको अहोई अष्टमी 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा की पूरी विधि विस्तार से बता रहे हैं।
अहोई का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। करवा चौथ के व्रत की तरह ही यह व्रत भी निर्जल रहकर रखने का विधान वर्णित है। अहोई अष्टमी का त्यौहार हिंदू धर्म में बहुत ही खास माना गया है क्योंकि अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन की कामना से रखती हैं।वहीं जो महिलाएं संंतान प्राप्ति की चाह रखती हैं उनके लिए भी अहोई अष्टमी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण और फलदायी माना गया है। इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है।

शुभ मुहूर्त
अहोई अष्टमी अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह त्यौहार अष्टमी व्रत के रूप में आता है और विशेष रूप से मां अहोई की पूजा की जाती है।
2025 में अहोई अष्टमी की तिथि:
-
दिनांक: 13 अक्टूबर 2025
-
दिन: सोमवार
-
अष्टमी तिथि का समय: सुबह 04:35 बजे से लेकर अगले दिन 05:50 बजे तक
-
शुभ मुहूर्त: 07:15 बजे से 09:30 बजे तक
अहोई अष्टमी का महत्व
यह पर्व खासकर मां अहोई की भक्ति और अपने बच्चों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा के लिए मनाया जाता है।
-
मातृत्व और बच्चों की सुरक्षा: यह पर्व उन माताओं द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है जिनके छोटे बच्चे हैं।
-
संपूर्ण समृद्धि: अहोई माता की पूजा से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
-
भक्ति और संस्कार: यह त्यौहार माताओं को अपने बच्चों के लिए भक्ति और त्याग की भावना से जोड़ता है।
-
कष्टों से मुक्ति: व्रत और अहोई माता की पूजा से जीवन के कष्ट कम होते हैं और मानसिक संतोष की प्राप्ति होती है।
अहोई अष्टमी की पूजा विधि
आवश्यक सामग्री:
-
अहोई माता की तस्वीर या चित्र
-
मिट्टी का छोटा थाल (या पत्तल)
-
नौ कटोरी या छोटे पात्र (अहोई माता के प्रतीक)
-
लाल कपड़ा और मोहर
-
हल्दी, कुमकुम, अक्षत (चावल)
-
मिठाई और फल
-
दीपक और घी
-
8–9 बच्चों के चित्र या मोमबत्तियाँ
पूजा की विधि:
-
सबसे पहले अहोई माता का चित्र या तस्वीर स्वच्छ स्थान पर रखें।
-
मिट्टी के पात्र में जल भरें और उस पर लाल कपड़ा डालें।
-
हल्दी, कुमकुम और अक्षत का तिलक माता के चित्र पर करें।
-
आठ या नौ पात्रों में हल्दी और अक्षत डालें। यह माता के आठ रूपों का प्रतीक माना जाता है।
-
दीपक जलाएं और माता के समक्ष घी का दीपक रखें।
-
बच्चों की लंबी उम्र और घर की सुख-समृद्धि के लिए माता का विशेष मंत्र पढ़ें।
-
मिठाई और फल माता को अर्पित करें।
-
पूजा के अंत में व्रती माता व्रत समाप्त करें और घर में बच्चों को आशीर्वाद दें।
अहोई अष्टमी पर ध्यान देने योग्य बातें
-
व्रत और पूजा के दौरान माता का ध्यान और भक्ति केंद्रित रखना बहुत आवश्यक है।
-
माता को अर्पित सामग्री में शुद्धता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
-
यह पर्व माँ और बच्चों के संबंध को मजबूत करता है, इसलिए बच्चों के साथ मिलकर पूजा करना शुभ माना जाता है।

