यूपीएससी की परीक्षा को भारत की सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षा माना जाता है। इसमें सफलता प्राप्त करना एक कठिन कार्य है जिसके लिए अटूट समर्पण, अपार बलिदान, अथक परिश्रम और दृढ़ निरंतरता की आवश्यकता होती है। यह यात्रा उन व्यक्तियों के लिए और भी कठिन हो जाती है जिनके पास वित्तीय बाधाओं के कारण आवश्यक अध्ययन सामग्री और संसाधनों तक पहुंच नहीं होती।
फिर भी, इन चुनौतियों के बीच, सभी बाधाओं के बावजूद जीत की कई कहानियाँ मौजूद हैं। ऐसी ही एक प्रेरक कहानी है आईएएस अंसार शेख की, जिनकी यात्रा कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की मिसाल है।
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा जिले में एक साधारण परिवार में जन्मे शेख के पिता एक ऑटोरिक्शा चालक थे, जबकि उनकी मां खेतों में मेहनत करती थीं। उनकी पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी।
वित्तीय संघर्ष बढ़ने के साथ, उनके परिवार ने शिक्षा के बजाय कमाई को प्राथमिकता दी, जिससे उनके भाई को घर का खर्च चलाने के लिए स्कूली शिक्षा छोड़नी पड़ी। उनकी दो बहनों की शादी भी जल्दी कर दी गयी थी।
आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते अंसार के पिता उनके स्कूल में उनका नाम कटवाने पहुंच गए थे। इसके बाद स्कूल में टीचरों द्वारा उनके पिता को बताया गया कि अंसार पढ़ाई में अच्छे हैं इसलिए उन्हें आगे बढ़ने का मौका दिया जाए, जिसके बाद उनके पिता इस पर राजी हो गए।
अंसार शेख पढ़ाई में शुरुआत से बहुत अच्छे थे। उन्होंने 12वीं क्लास 91 प्रतिशत अंकों के साथ वहीं ग्रेजुएशन 73 फीसदी अंको के साथ उत्तीर्ण किया। उन्होंने ग्रेजुएशन पुणे के फॉर्ग्यूसन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस विषय से पास किया।
उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए पहले एक वर्ष के लिए कोचिंग की और उसके बाद लगातार तीन सालों तक कड़ी मेहनत करके इसकी तैयारी की। इसके बाद उन्होंने यूपीएएसी परीक्षा में भाग लिया और अपने पहले ही प्रयास में 361 रैंक हासिल कर आईएएस बन गए।
अंसार शेख ने अपने पहले ही प्रयास में आईएएस बनने का सपना पूरा करने के साथ ही एक नया रिकॉर्ड भी अपने नाम दर्ज किया। वे देश के सबसे कम उम्र में आईएएस बनने वाले पहले व्यक्ति बन गए। उन्होंने यह उपलब्धि मात्र 21 वर्ष में हासिल की। शेख आमतौर पर प्रति दिन 10-12 घंटे पढ़ाई करते थे। मुख्य परीक्षा के लिए शेख़ ने प्रतिदिन 14-15 घंटे मेहनत की।