सनातन धर्म के त्योहारों में गणेश चतुर्थी एक मुख्य त्यौहार है जो भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन गणेश जी दोपहर में अवतरित हुए थे, इसलिए यह गणेश चतुर्थी विशेष फलदायी बताई जाती है। पूरे देश में यह त्यौहार गणेशोत्सव के नाम से प्रसिद्ध है लोक भाषा में इस त्यौहार को डण्डा चौथ भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को विद्या-बुद्धि के प्रदाता, विघ्न-विनाशक, मंगलकारी, सिद्धिदायक, सुख-समृद्धि और यश-कीर्ति देने वाले देवता माना गया है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ‘ॐ’और स्वास्तिक को भी साक्षात गणेश जी का स्वरूप माना गया है। तभी तो कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत इनसे ही होती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी मंगलवार, सितम्बर 19, 2023 को मध्यान गणेश पूजा मुहूर्त – सुबह 10:59 से 01:25 पी एम तक
अवधि – 02 घण्टे 26 मिनट्स
गणेश विसर्जन बृहस्पतिवार, सितम्बर 28, 2023 को
एक दिन पूर्व, वर्जित चन्द्रदर्शन का समय – 02:09 पी एम से 08:16 पीएम, सितम्बर 18
अवधि – 06 घण्टे 07 मिनट्स
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय – 09:25 ए एम से 08:53 पी एम
अवधि – 11 घण्टे 27 मिनट्स
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 18, 2023 को 02:09 पी एम बजे चतुर्थी तिथि समाप्त सितम्बर 19, 2023 को 03:13 पी एम बजे
गणेश चतुर्थी व्रत व पूजन विधि
- व्रती को चाहिए कि प्रातः स्नान करने के बाद सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें।
- चौकी में लाल आसन के ऊपर गणेश जी को विराजमान करें।
- गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबों या ब्राह्मणों को बाँट दें।
- सांयकाल के समय गणेश जी का पूजन करना चाहिए। गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती पढ़ने के बाद अपनी दृष्टि को नीचे रखते हुए चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
- इस दिन गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है।
- ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं।
- गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
यह 10 दिनों का उत्सव है। गणेश के शरीर के विभिन्न अंगों का अलग महत्व है जिसमें सिर-आत्मान, शरीर- माया, हाथी का सिर- ज्ञान, ट्रंक- ओम का प्रतीक माना जाता है।
मूर्ति विसर्जन
गणपति स्थापना 19 सितम्बर को होगी और 10 के दिन बाद 28 सितम्बर को भगवान गणेश का विसर्जन होगा। इसी दिन लोग ‘गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ‘ के जयकारों के साथ गणेश विसर्जन करते हैं। इस दिन ही अनंत चतुदर्शी तिथि भी रहती है। गणेश विसर्जन के साथ ही 15 दिनों का पितृ पक्ष शुरू हो जाता है।
गणेश चतुर्थी के दिन जरूर करें ये उपाए
करे दूर्वा का ये उपाय
दूर्वा गणेश भगवान को अति प्रिय है। उनकी पूजा में दूर्वा का विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में आप दूर्वा की 11 गांठ और एक हल्दी की गांठ लेकर उसे पीले कपड़े में बांध दें।
इसके बाद गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक इसकी पूजा करें। इसके बाद इस कपड़े को अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान पर रख दें। इससे घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती।
धन लाभ के लिए उपाय
गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर सुबह स्नान करने के बाद भगवान गणेश को गुड़ में देसी घी मिलाकर भोग लगाएं। इसके बाद इसे किसी गाय को खिला दें।
ऐसा करने से व्यक्ति के लिए धन प्राप्ति के योग बनते हैं। वहीं, गणेश चतुर्थी के दिन गुड़ से छोटी-छोटी 21 गोलियां बनाकर गणेश मंदिर में दूर्वा के साथ इन गोलियों को अर्पित करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है।
करें गणेश यंत्र की स्थापना
गणेश चतुर्थी के दिन विधिवत रूप से घर के मंदिर में गणेश यंत्र की स्थापना करें। इसके साथ ही नियमित रूप से भगवान गणेश के साथ इस यंत्र की भी पूजा करें। इससे घर में धन-समृद्धि और वैभव की वृद्धि होती है।
इसके साथ ही आप नियमित रूप से गणपति जी का अभिषेक करें। ऐसा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ जरूर करें।