हिंदू धर्म में जिस प्रकार तुलसी के पौधे की काफी मान्यता है और हर घर में इसकी पूजा की जाती है। उसी प्रकार एक और पौधा है जिसे हिंदू धर्म में काफी शुभ माना जाता है और ये है शमी पौधा, शास्त्रों के मुताबिक शमी पत्र का विशेष महत्व है और इसे घर में लगाना बेहद ही शुभ माना जाता है।
कहा जाता है कि शमी का पौधा भगवान शिव का प्रिय है और भगवान शिव पर जल अर्पित करते समय जल में शमी का फूल या पत्ती डालने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। आज इस पोस्ट में हम भगवान शिव को शमी पत्र चढ़ाने के सही नियम के बारे में जानेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं :-
सावन का महीना भगवान शिव का महीना माना जाता है। सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से की गई पूजा से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
इस पूरे महीने में पूजा का फल कई गुना होता है। सावन में किसी भी दिन भगवान शिव को शमी के पत्ते चढ़ाए जा सकते हैं। लेकिन अगर सावन के सोमवार को शमी पत्र का भोग लगाया जाए तो भक्त को तुरंत भगवान की कृपा मिलती है।
शमी का पेड़ आपको शनि के प्रकोप से भी बचाता है। शमी के पौधे को घर के ईशान कोण यानी पूर्वोत्तर कोने में लगाना सबसे लाभकारी माना जाता है।
ऐसे चढ़ाएं शमीपत्र
सोमवार को स्न्नान करके शिव मंदिर में जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख करके तांबे के पात्र में गंगाजल सफेद चंदन,चावल आदि मिलाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें। अभिषेक करते समय ‘ऊं नमः शिवाय‘ मंत्र का उच्चारण करें।
जब अभिषेक कर लें, तब शिव जी को बिल्व पत्र, सफेद वस्त्र, जनेऊ, चावल, प्रसाद के साथ शमी के पत्ते भी अर्पित करें। शमी के पत्ते अर्पित करते समय हो सके तो इस मंत्र का उच्चारण करें।
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
क्यों शुभ माना जाता है भोलेनाथ को शमी पत्र चढ़ाना ?
पौराणिक मान्यताओं में शमी का वृक्ष बड़ा ही मंगलकारी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शमी का पेड़ बहुत ही शुभ होता है। जब भगवान श्री राम रावण का वध करके लंका से लौटे तो उन्होंने शमी वृक्ष की पूजा की।
इसके साथ ही एक अन्य कथा के अनुसार महाभारत में जब पांडवों को गुमनामी दी गई तो उन्होंने अपने शस्त्र शमी वृक्ष में छिपा दिए। भोलेनाथ के साथ-साथ गणेश जी और शनिदेव, दोनों को ही शमी बहुत प्रिय है इसलिए शमी का बहुत महत्व है।
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