Friday, November 22, 2024
16 C
Chandigarh

जानिए कब से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध, कौन कहलाते हैं पितर

हिन्दू धर्म में माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए संतान का होना जरुरी माना जाता है। श्राद्ध की तिथियों में लोग अपने पितरों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि पर करते है और उन्हें जल और पिंड दान देते हैं।

कौन कहलाते हैं पितर

पितर वे व्यक्ति कहलाते है, जो इस धरती पर जन्म लेने के बाद जीवित नहीं है, उन्हें पितर कहते हैं। ये विवाहित हों या अविवाहित, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष जिनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितर कहा जाता है।

श्राद्ध क्या होता है

हिन्दू धर्म में भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि से आरम्भ होने वाले पितर पक्ष का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा ही चुकाया जा सकता है।

पितर पक्ष में श्राद्ध करने से पितर गण प्रसन्न रहते हैं। श्राद्ध में पितरों को उम्मीद रहती है, कि हमारे पुत्र-पौत्रादि पिंडदान और तिलांजलि प्रदान करेंगे। हिंदू धर्म शास्त्रों में पितर पक्ष में श्राद्ध अवश्य करने के लिए कहा गया है।

इस बार पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 29 सितंबर से होकर 14 अक्टूबर तक रहेगा इसीलिए तारीख तो दो है परंतु तिथि एक ही है।

29 सितंबर 2023, शुक्रवार: पूर्णिमा श्राद्ध

30 सितंबर 2023, शनिवार: द्वितीया श्राद्ध

01 अक्टूबर 2023, रविवार: तृतीया श्राद्ध

02 अक्टूबर 2023, सोमवार: चतुर्थी श्राद्ध

03 अक्टूबर 2023, मंगलवार: पंचमी श्राद्ध

04 अक्टूबर 2023, बुधवार: षष्ठी श्राद्ध

05 अक्टूबर 2023, गुरुवार: सप्तमी श्राद्ध

06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: अष्टमी श्राद्ध

07 अक्टूबर 2023, शनिवार: नवमी श्राद्ध

08 अक्टूबर 2023, रविवार: दशमी श्राद्ध

09 अक्टूबर 2023, सोमवार: एकादशी श्राद्ध

11 अक्टूबर 2023, बुधवार: द्वादशी श्राद्ध

12 अक्टूबर 2023, गुरुवार: त्रयोदशी श्राद्ध

13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: चतुर्दशी श्राद्ध

14 अक्टूबर 2023, शनिवार: सर्व पितृ अमावस्या

कब से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध

इस वर्ष में श्राद्ध पक्ष 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक रहेगें । पूर्णिमा से अमावस्या तक 15 तिथियां पितरों के निमित श्राद्ध कर्म के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इन 15 तिथियों में सभी अपने-अपने पितर को याद करते है और उनका श्राद्ध करते हैं।

पितर पक्ष में कैसे करें श्राद्ध

श्राद्ध पक्ष के दिनों में पूजा और तर्पण करें। पितरों के लिए बनाए गए भोजन के चार ग्रास निकालें और उसमें से एक ग्रास गाय, दूसरा हिस्सा कुत्ते, तीसरा टुकड़ा कौए और एक भाग मेहमान के लिए रख दें।

गाय, कुत्ते और कौए को भोजन देने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं। जो श्रद्धा पूर्वक किया जाएं उसे श्राद्ध कहते हैं। पुराणों के अनुसार मनुष्य का अगला जीवन पिछले संस्कारों से बनता है।

श्राद्ध कर्म इस भावना से किया जाता है, कि अगला जीवन बेहतर हो। जिन पितरों का हम श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध करते हैं, वे हमारी मदद करते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR