हम जानते हैं कि पेड़-पौधे बढ़ते हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि किसी भी जीव-जन्तु के विकसित होने की भांति पेड़-पौधे भी विकसित होते हैं। इस विकास के लिए भोजन जरूरी है। तो सवाल पैदा होता है कि पेड़ भोजन कैसे करते हैं? जवाब है क्लोरोफिल जैसे घटकों की मदद से।
दरअसल पेड़-पौधे भोजन के लिए सूर्य के प्रकाश का उपयोग करते हैं। पेड़ों के पत्ते सूर्य के प्रकाश को ऊर्जा के रूप में संग्रहित (store) करते हैं। बाद में इस संग्रहित ऊर्जा का उपयोग पेड़ भोजन के रूप में करते हैं।
क्लोरोफिल
ऊर्जा के भोजन भोजन के रूप में निर्माण की इस प्रक्रिया में पत्तों में पाये जाने वाले कुछ घटक(components) मदद करते है। ऐसे ही घटकों में मुख्य घटक है क्लोरोफिल। क्लोरोफिल अधिकतर पेड़ों की भोजन-निर्माण की प्रक्रिया जिसे प्रकाश संश्लेषण कहा जाता हैं में मुख्य भूमिका अदा करता है।
क्लोरोफिल हरे रंग का होता है। सूर्य का प्रकाश क्लोरोफिल के निर्माण यानि पोषण को बढ़ा देता है जिसकी वजह से यह पत्तों में अपनी मौजूदगी को हरे रंग के रूप में दर्शाता है। यही क्लोरीफिल भोजन के निर्माण में पेड़-पौधों की सबसे अधिक सहायता करता है।
सूर्य के प्रकाश की गैरमौजूदगी के परिणाम स्वरूप पत्तों में मौजूद अन्य घटक जोकि समान्यता पीले रंग का होता है बढ़ जाता है। इसी कारण सूर्य के प्रकाश के अभाव में पेड़ों के पत्ते पीले रंग के हो जाते हैं। कुछ पेड़ों के पत्तों में मौजूद अन्य सामान्य घटक जो कि लाल, बैंगनी आदि रंगों के होते हैं भी अपना प्रभाव दिखाते हैं इसी वजह से कुछ पेड़ों के पत्ते अन्य रंग में भी प्रदर्शित करते हैं।
आपने देखा होगा कि शरद ऋतु में जब सूर्य की रौशनी अधिक ताकतवर नहीं होती पेड़ पौधों के पत्तों के रंग अधिक हरे नहीं होते बल्कि वे पीले, लाल या बैंगनी रंग के दिखते हैं। इसमें भी यही लॉजिक काम करता है। यानि अन्य घटक अधिक ताकतवर होकर अपना रंग दिखा पाते हैं।
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