यह दुनिया आश्चर्यों से भरी हुई है। यहाँ पर ऐसे-ऐसे कारनामे होते हैं, जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते हैं। कई ऐसी रहस्यमयी चीजें सामने आती रहती हैं जिनके रहस्यों को आज तक वैज्ञानिक सुलझा नहीं पाए हैं।दक्षिण भारत में एक शहर है महाबलीपुरम। यह तमिलनाडु राज्य का ऐतिहासिक नगर है। इस शहर में कई बहुत पुरानी जगहें हैं, जो कि दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। इन्ही में से एक बहुत ही विशाल और प्राचीन पत्थर है जो अपने आप में एक रहस्य है।
यह पत्थर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह रहस्यमयी पत्थर करीब 1200 वर्ष पुराना है। इस पत्थर की ऊंचाई 20 फुट और चौड़ाई 5 फुट है लेकिन ये पत्थर जिस तरह से अपनी जगह पर टिका है, वह इसे अनोखा बनाता है।
यह पत्थर ना ही हिलता है और ना ही लुढ़कता है। वर्ष 1908 में पहली बार यह पत्थर तब खबरों में आया था, जब वहां के गवर्नर ने इस पत्थर को अजीब तरह से खड़ा देखा। उन्हें लगा कि इससे कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
इस कारण उन्होंने करीब 7 हाथियों से इस पत्थर को खिंचवाया लेकिन 7 हाथी भी मिल कर इस पत्थर को इंच भर भी हिला नहीं सके। इस पत्थर के साथ जुड़ी एक दंतकथा भी है कि यह जमा हुआ मक्खन है जो श्री कृष्ण ने अपनी बाल अवस्था में यहां गिरा दिया था।
वही माखन अब पत्थर बन चुका है। तभी लोग इस पत्थर को ‘कृष्ण की मक्खन गेंद’ के नाम से भी जानते हैं। वैज्ञानिक भी अभी तक इस पत्थर के रहस्य को नहीं समझ पाए हैं। यहां तक कि वे यह भी नहीं जान पाए हैं कि यह पत्थर इंसान द्वारा खड़ा किया गया है या प्रकृति द्वारा।
इस तथ्य को लेकर वैज्ञानिक भी असमंजस में हैं। इतना विशाल और वज़नी पत्थर होने के बाद भी यह कैसे सैकड़ों सालों से एक ढलान पर टिका हुआ है, यह किसी रहस्य से काम नहीं है। इस पत्थर को जो भी देखता है, देखकर हैरान हो जाता है।
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