खुश कौन नहीं रहना चाहता? दरअसल इस जिन्दगी का तमाम फलसफा ही हमारी खुशियों के पीछे की भागमभाग है. हर कोई अच्छा कमा, खा, पहन और रह रहा है फिर भी खुश नहीं है. दरअसल खुशियों की चाबी धन-दौलत, गाड़ी-बंगला, जमीन-जायदाद में नहीं है. ये तो नकली चाबियाँ हैं जो कभी भी काम करना बंद कर सकती हैं. खुश रहने की असली चाबी तो कुछ और ही है.
दरअसल खुश रहने की असली चाबी कुछ ऐसे अनजाने fundas हैं जिन्हें जान कर और अपना कर हर कोई खुश रहन सीख सकता है.
तो ये रहे खुश रहने के 7 आसान फंडे जिन्हें अपनाना बहुत ही आसान है.
बुरे अतीत यानि past को जाने दें
Past चाहे कितना भी बुरा रहा हो, है तो past ही! हमारे साथ बुरा हुआ या हमने कुछ ऐसा किया जिससे अंतर्मन पर बोझ बन गया. इस सोच और बोझ को अभी झटक दें. इसे ढ़ोने का कोई मतलब नहीं है. किसी और की गलतियों को ढोना तो सरासर बेवकूफी ही है. और अपनी गलतियों को ढ़ोने का मतलब है कि हमने अतीत से कोई सबक नहीं सीखा. तो अभी सही समय है. इस गलती को सुधारें और अपने present को past के काले साए से बचा लें. सच में खुश रहना चाहते हैं तो अतीत को पकड़ कर न बैठें, इसे बस जाने दें.
खुद को दूसरों के नजरिये से न देखें
बाहरी लोग आप के बारे में क्या सोचते हैं इससे आपको कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए. न तो आप दूसरों की तरह हैं न ही वे आपकी तरह हैं. खुद को आप ही सबसे बेहतर समझ सकते हैं, न को दूसरे लोग. दूसरों की वजह से खुद को परेशान करना छोड़ दें. दूसरों की टीका-टिप्पणी पर बस मुस्करा दें, और आगे बढ़ जांए. यही सबसे बेहतर तरीका है उन्हें जवाब देने का. यकीन करें. खुश रहने का बहुत ही कारगर तरीका है यह!
समय सारे घाव भर देता है
समय सारे घाव भर देता है. लगभग सारे. फिर वे शारीरिक हों या मानसिक क्या फर्क पड़ता है? जिस तरह से मजबूत शरीर अधिक तेजी से ठीक होता है उसी तरह मजबूत मन विपरीत परिस्थितियों से तेजी से उबरने में मदद करता है. हिम्मत रखें और सब्र करें. सब ठीक हो जाएगा.
कोई आपको इतना खुश नहीं रख सकता जितना आप खुद
आपकी खुशियों का कारण आप और केवल आप ही हैं. कोई आपको इतना खुश नहीं रख सकता जितना आप खुद को रख सकते है. किसी से बहुत ज्यादा उम्मीद न करें. असली ख़ुशी अन्दर ही से आती हैं और कहीं नहीं जाती. बाहरी ख़ुशी अस्थायी (temporary) होती हैं.
खुद को दूसरों से compare न करें
खुद को दूसरों के साथ compare न करें. आप यह बात कभी पूरी तरह से नहीं जान सकते कि अगर वे इस मुकाम पर हैं तो इसके पीछे क्या हालात(circumstance), परिस्थितियां(situation) या क्या भूमिका (background) रही होगी. अपने लिए खुद का तरीका(method) और रास्ता(course) चुने और बस काम पर लग जाएँ.
आप हर चीज़ में परफेक्ट नहीं हो सकते
चीज़ों के बारे में बहुत ज्यादा न सोचें. जितना हो सकता है करें और पूरे तन-मन से करें. कोई भी हर चीज़ में माहिर नहीं हो सकता. जरूरी नहीं कि आपको सब कुछ पता होना चाहिए. जैसे एक डॉक्टर एक इंजीनियर का काम नहीं जानता और एक कृषि वैज्ञानिक एक अर्थशास्त्री नहीं हो सकता उसी तरह हर व्यक्ति हर कुछ नहीं कर सकता. अपना विषय चुने और उसमें बेहतर होने की कोशिश करते रहें.
मुस्कुराने पर कोई टैक्स नहीं है
इस बात को सोचना छोड़ दें कि आप ही सबसे ज्यादा परेशान हैं. जब आप मान लेते हैं कि आप की समस्या सबसे बड़ी है तो यह सचमुच में सबसे बड़ी होती है. वैसे इसके मतलब यह भी होता है कि समस्याओं का सामना करने में आप ही सबसे कमजोर हैं क्योंकि दुनिया में तो बहुत बड़ी-2 समस्याएँ हैं. तो अगली बार आप पर कोई समस्या आन पड़े तो एक सैकंड के लिए रुक कर सोचें, क्या यह दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है या आप सबसे कमजोर है? बात समझ में आये तो मुस्कुराना न भूलें. मुस्कुराने पर कोई टैक्स नहीं है 🙂
पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर करना न भूलें. आखिर खुश रहने का अधिकार सबको है. हम किसी न किसी रूप में किसी अपने-पराये के काम आ जाएँ तो इससे जो ख़ुशी मिलती है उससे बढ़ कर अन्दर की ख़ुशी कोई नहीं हो सकती. 🙂
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