1913 में इंगलैंड में बने एक रेल इंजन को हाल ही में दरभंगा रेलवे स्टेशन पर लाया गया है, जिसका जल्द ही नवीनीकरण किया जाएगा। माना जाता है, कि एक चीनी मिल में माल ढुलाई के काम के लिए सर्वप्रथम इस भाप इंजन को लाया गया था। छोटी लाइन पर चलने वाला यह इंजन लोहाट शुगर मिल में जीर्ण-शीर्ण स्थिति में पड़ा हुआ था, जिसका स्वामित्व बिहार गन्ना उद्योग विभाग के पास था।
समस्तीपुर खंड के (डी.आर.एम. आर.के.) जैन बताते हैं कि, यह इंगलैंड में निर्मित भाप इंजन था| जो, एक चीनी मिल में बहुत ही ख़राब स्थिति में पड़ा हुआ था। कुछ विरासती कार्यकर्ताओं के अभियान के बाद उन्होंने (खंड के डी.आर.एम. आर.के. जैन) बिहार सरकार से इंजन को यहां लाने का आग्रह किया था, इससे उनको इस बात की इजाजत मिल गयी थी, और राज्य मंत्रि मंडल ने भी इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी थी।
यह इंजन बहुत ऐतिहासिक है, क्योंकि यह इंजन चीनी मिल में उपयोग होने के लिए दरभंगा में लाया गया पहला रेल इंजन है।
अब इस इंजन की काफी मुरम्मत करनी पड़ेगी। क्योंकि, यह इंजन काफी पुराना हो चुका है। विशेषज्ञ इसे अच्छी अवस्था में लाने के लिए इस इंजन को पेंट करने का काम करेंगे, जिसके बाद इसे एक ऐतिहासिक रेल इंजन के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा।
इस इंजन को छोटी रेल लाइन (नैरो गेज) ट्रैक के लिए बनाया गया था | इसे ‘कैप्टिव इंजन’ भी कहा जाता है| क्योंकि, इसे एक ही स्थान यानी चीनी मिल में इस्तेमाल के लिए रखा गया था।
रेलवे की इस विरासत को बचाने के लिए प्रयास करने वाले लोगों में शामिल रहे फोटोग्राफर तथा स्थानीय हैरिटेज एक्टिविस्ट संतोष कुमार के अनुसार, “सभी के प्रयास रंग लाए हैं। यह कदम दरभंगा में विरासत संरक्षण को प्रोत्साहित करेगा। जिले में एक और चीनी मिल में चार पुराने इंजन हैं, उन्हें भी बचाया जाना चाहिए, और प्रदर्शन के लिए अन्य स्टेशनों के सामने उन्हें रखा जाना चाहिए” | दरभंगा में रेल 1874 में आई थी, और तब दरभंगा राज के शाषकों की अपनी शाही ट्रेनें और सैलून होते थे।
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