जापानी कानून केवल पुरुष परिवार के पुरुष वंशजों को ही सिंहासन पर बैठने की अनुमति देते हैं। शाही परिवार की सबसे युवा पीढ़ी में केवल एक राजकुमार के साथ जापान की राजशाही पर वारिसों के खत्म होने का खतरा मंडराने लगा है। इसके बावजूद महिला उत्तराधिकार को लेकर अभी भी विचार बंटे हुए हैं।
जापान में बुजुर्गों की आबादी तेजी से बढ़ रही है और इसके साथ ही देश की वंशानुगत राजशाही धीरे-धीरे वारिसों से वंचित होती जा रही है।
वर्तमान कानून के अनुसार पुरुष परिवार के केवल पुरुष वंशज ही सिंहासन पर बैठ सकते हैं जबकि महिला परिवार के सदस्यों का उस पर कोई दावा नहीं।
यदि वे किसी से शादी करने का फैसला लेती हैं तो उन्हें शाही परिवार को छोड़ कर आम नागरिक बनना पड़ता है।
राजकुमारियां सिंहासन की उत्तराधिकारी नहीं
इसी कानून के चलते जापान के वर्तमान सम्राट नारूहितो, जो उम्र के 60वें दशक में हैं, की 19 वर्षीय बेटी राजकुमारी आइको सिंहासन की उत्तराधिकारी नहीं हैं।
अब केवल 3 उम्मीदवार बचे हैं- नारूहितो के भाई 55 वर्षीय क्राऊन प्रिंस आकिशिनो, उनके 14 वर्षीय बेटे प्रिंस हिसाहितो और नारूहितो के चाचा मासाहितो जो पहले से ही 85 वर्ष के हैं।
यदि परिवार की सबसे छोटी पीढ़ी के एकमात्र शेष पुरुष सदस्य हिसाहितो के बेटा नहीं होता है तो शाही घराने का अस्तित्व नहीं बचेगा।
चर्चा के लिए बनाया गया आयोग
सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसा न हो प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने एक नया आयोग बनाया है जो अब शाही परिवार के उत्तराधिकार के गंभीर मुद्दे का ध्यान रखेगा। इस संबंध में जारी परामर्श में एक वर्ष का समय लग सकता है।
लेकिन यह सारी कवायद उस समाधान को नजरअंदाज कर रही है जिसका प्रस्ताव 2005 में रखा गया था। तब प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई एक परिषद् ने शाही सिंहासन के लिए महिला उत्तराधिकार की शुरूआत करने की सिफारिश की थी।
यदि महिलाएं भी उत्तराधिकार का हिस्सा होती तो समस्या एक झटके में हल हो जाती। ऐसा भी नहीं है कि जापान में कभी महिला सम्राट नहीं हुई। वास्तव में 8 साम्राज्ञी रह चुकी हैं जिनमें से पिछली 1762 में सिंहासन पर बैठी थीं।
महिला सम्राट के लिए जनता तैयार
सर्वेक्षणों के अनुसार जापान में कई लोग एक महिला साम्राज्ञी को भी स्वीकार करेंगे, लेकिन 2005 में जब राजनेता कानून बदलने के लिए तैयार लग रहे थे, तभी क्राऊन प्रिंस आकिशिनो की पत्नी किको ने अचानक घोषणा कर दी कि वह गर्भवती हैं।
वह एक लड़का था और इसके साथ ही महिला उत्तराधिकार का विषय दरकिनार कर दिया गया। यह मुद्दा एक दशक बाद तब दोबारा उठा जब नारूहितो के पिता सम्राट आकिहितो ने कहा कि वह सिंहासन छोड़ना चाहते थे।
राजनेताओं को उत्तराधिकार के नियमों पर तेजी से बहस के लिए कहा गया और तब से सालों बीत चुके हैं। अब हालांकि, बात आगे बढ़नी शुरू हुई है।
सरकारी प्रवक्ता कात्सुनोबु काटो कहते हैं कि देश के लिए एक स्थिर, शाही उत्तराधिकार महत्वपूर्ण मुद्दा है। कुछ जानकारों की राय में इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए पूरा साल दिए जाने की जरूरत एक रहस्य है।
ऐसा लगता है कि इसके पीछे जापान की सरकार में राष्ट्रवादियों का हाथ है जो सिंहासन पर महिला को बैठाने के पक्ष में 80 प्रतिशत समर्थन के बावजूद इसके विरोध में हैं।
जापानी राष्ट्रवादी कुछ साम्राज्यवादी परिवारों को सिंहासन पर देखना पसंद करेंगे जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपना शाही स्टेटस खो दिया था।
राजकुमार ‘हिसाहितो’ पर दबाव
अगर कोई हल नहीं निकलता है तो 14 वर्षीय राजकुमार हिसाहितो को आगे चल कर एक ऐसी महिला से शादी करने के लिए मजबूर किया जाएगा जो बेटे को जन्म देने के लिए तैयार हो और अगर एक निश्चित समय के बाद भी यह उपाय काम नहीं करता है तो उसे एक नई महिला के साथ बेटा पैदा करने का प्रयास करने की आवश्यकता होगी। हालांकि, जापान में बहुत से लोग इसे अनुचित मानते हैं।
दूसरी ओर सरकारी आयोग कौन-सा समाधान पेश करता है यह भी देखना होगा। हालांकि, कई लोग मानते हैं कि जापानी राजनेता सिंहासन पर महिला उत्तराधिकार की अनुमति देने से अधिक दर तक बच नहीं सकते।
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साभार पंजाब केसरी