कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
धनतेरस पर कुछ न कुछ वस्तु खरीदने की परम्परा है। मसलन बर्तन, सोना, चांदी, भूमि-मकान और वाहन। लेकिन इन सबके अलावा एक विशेष वस्तु है झाडू। जो कि धनतेरस के दिन खरीदना आवश्यक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है? चलिए इस पोस्ट के माध्यम से जानते हैं :-
पौराणिक मान्यताएं
पौराणिक मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन जिन चीजों की खरीदारी की जाती है। इस दिन झाड़ू खरीदने की भी परंपरा है जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन घर में एक नई झाड़ू जरूर खरीदना चाहिए।
मत्स्य पुराण के अनुसार झाड़ू को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है। घर में झाड़ू के पैर लग जाए तो इसे भी अशुभ माानते हैं। इसलिए घर में झाड़ू से घर साफ करने के बाद ऐसी जगह रखा जाता है जहां पैर नहीं लगे। क्योंकि झाड़ू का मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
मान्यताओं के मुताबिक झाड़ू को सुख-शांति बढ़ाने और दुष्ट शक्तियों का सर्वनाश करने वाला भी बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि झाड़ू घर से दरिद्रता हटाती है। ऐसा भी माना जाता है कि धनतेरस पर घर में नई झाड़ू से झाड़ लगाने से कर्ज से भी मुक्ति मिलती है इसलिए इस दिन झाड़ू खरीदने की पुरानी परंपरा है।
शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से लक्ष्मी माता रुठकर घर से बाहर नहीं जाती हैं और वह घर में स्थिर रहती है। इस दिन लोग झाड़ू खरीदकर अपने घरों में रखते हैं। झाड़ू से घर में सकारात्मकता का संचार होता है। यही वजह है कि हर घर में सफाई के तौर पर सबसे पहले झाड़ू लगाया जाता है।