दुनिया के सबसे महानतम खिलाड़ियों में शुमार बॉक्सर मोहम्मद अली (जन्म का नाम कैसिअश क्ले) का निधन 3 जून 2016 को फीनिक्स, एरिज़ोना, अमेरिका के एक अस्पताल में हो गया. मोहम्मद अली 32 साल से सांस लेने में तकलीफ से जूझ रहे थे. उन्हें बीबीसी और स्पोर्ट्स इलेस्ट्रेडेट ने पिछली ‘सदी का सबसे महानतम खिलाड़ी’ चुना था.
जानिए, महानतम मुक्केबाज मोहम्मद अली के बारे में खास बातें जो आप जानना चाहते थे!
मोहम्मद अली सन 1964 में महज़ 22 वर्ष की उम्र में सोनी लिस्टन को हराकर पहली बार वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन बने. इससे पहले वह 1960 के रोम ओलिंपिक में गोल्ड मैडल जीत चुके थे. कुछ समय बाद रंगभेद से नाराज होकर उन्होंने इस्लाम धर्म को अपना लिया और मोहम्मद अली के नाम से मशहूर हुए. वह तीन बार वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन रहे.
आइए जानें महान बॉक्सर मोहम्मद अली से जुड़ी 10 अनजानी बातें.
साइकिल चोरी की वजह से की मुक्केबाजी की शुरूआत
अली जब 12 साल के थे तो उनके पिता ने उन्हें लाल रंग की साइकिल लाकर दी जो कि साइकिल चोरी हो गयी. उन्होनें Louisville, Kentucky के पुलिस अधिकारी जो मार्टिन को चोरी की सूचना दी और चोर को पीटने की ठान ली. मार्टिन जो कि एक मुक्केबाजी प्रशिक्षक थे, ने युवा अली को कहा कि उसे पहले यह सीखना चाहिए कि लड़ा कैसे जाता है. बस यहीं से ट्रेनिंग कि शुरुआत हुई और छह हफ्ते बाद ही उन्होनें अपनी पहली ‘बाउट’ में जीत हासिल की.
मूल नाम एक दासप्रथा-विरोधी समाज-सुधारक के नाम पर
मोहम्मद अली का मूल नाम कैशियस क्ले जूनियर था. अपने पिता की तरह उनका नाम भी एक 19वीं सदी के समाज सुधारक, सेनानायक और राजनीतिज्ञ कैसियस मार्सेलस क्ले के नाम पर था जो कि जन्म से किसान थे. उन्होंने अपने पिता से विरासत में मिलें 40 गुलामों को आजाद कर दिया था. वे केंटुकी के सीनेटर हेनरी क्ले के चचेरे भाई थे और एक दास-प्रथा विरोधी अखबार के सम्पादक थे. वे मैक्सिकन-अमेरिकी युद्ध में कमांडर रहे और राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के कार्यकाल में रूसी मामलों के मंत्री रहे।
मोहम्मद अली नाम रखने से पहले उन्होंने अपना नाम “कैशियस एक्स” रखा था
लिस्टन को हराने के बाद वह नये हेवीवेट चैंपियन बनें औए उसके बाद मोहम्मद अली ने इस्लाम धर्म को अपनाया. मोहम्मद अली ने इस बात की पुष्टि की थी कि जब तक उन्हें नया नाम नही मिल जाता तब तब वह कैसियस एक्स और “दास के नाम” से जाने जायेंगे. 6 मार्च 1964 को इस्लामी नेता अलीजाह मोहम्मद ने उन्हें मोहम्मद अली नाम दिया.
तीन साल के लिए मुक्केबाजी से प्रतिबंध
1967 में वियतनाम युद्ध के दौरान मोहम्मद अली ने धार्मिक कारणों की वजह से अमेरिकी सेना में सेवा करने का ऑफर ठुकरा दिया जिसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी. न्यूयॉर्क स्टेट एथलेटिक कमीशन ने उनका बॉक्सिंग लाइसेन्स रद्द कर दिया. मोहम्मद अली को पांच साल की जेल और दस हजार डॉलर के जुर्माने की सजा सुनाई गयी थी। 1971 में उनकी अपील पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ये बैन हटाया. इस बैन की वजह से अली को अपने करियर के लगभग चार साल गंवाने पड़े.
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मोहम्मद अली गायक और कवि भी थे
43 महीने तक रिंग से दूर रहने को मजबूर अली ने एक्टिंग और गायकी का रुख किया. अली का स्टेज करियर छोटा रहा परन्तु उसके वावजूद अली की काफी सराहना की गई. सॉनी लिस्टन को हराकर वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन बनने से महज छह महीने पहले उन्होंने अपना ऐल्बम ‘आई एम द ग्रेटेस्ट’ रिलीज किया था.
खुद पर पत्थर फिंकवाकर करते थे प्रैक्टिस
मोहम्मद अली का प्रैक्टिस करने का तरीका बहुत ही निराला और सबसे अलग था. वह अपने भाई को खुद पर पत्थर फेंकने के लिए कहते थे और उन पत्थरों से खुद को बचाकर प्रैक्टिस करते थे. उनके छोटे भाई रूडी ने बाद में कहा था, ‘इससे फर्क नहीं पड़ता कि मैंने कितने पत्थर फेंके लेकिन मेरे द्वारा फेंके पत्थर कभी उन्हें छू भी नहीं पाए.’
अली का परिवार आयरलैंड मूल का था
मोहम्मद अली के पड़नाना एबे ग्रैडी 1860 में आयरलैंड से अमेरिका आए थे और केंटकी में बस गए थे। वहां उन्होंने छोड़ी गयी एक गुलाम (free slave) महिला से शादी की। उनकी पोतियों में से एक पोती मोहम्मद अली की मां ओडेसा ली ग्राडी क्ले थीं. 2009 में मोहम्मद अली अपने पड़नाना के शहर एन्निस, आयरलैंड गए और ओ’ग्रेडी खानदान के सदस्यों से मिले.
सबसे प्रसिद्ध मुकाबला सुबह 4 बजे खेला गया था
1974 में 32 वर्षीय अली ने 25 वर्षीय अपराजित चैंपियन जॉर्ज फोरमैन को हरा कर ख़िताब अपने नाम किया था. जायरे के तानाशाही राष्ट्रपति मोबूतू ने दोनों मुक्केबाजों को इस मुक़ाबले के लिए 5-5 मीलियन डॉलर्स दिये थे. अमेरिका में सभी बॉक्सिंग फैन इस फाइट को देख पायें इसलिए इसे अफ्रीका के हिसाब से सुबह 4 बजे रखा गया था. मोहम्मद अली ने “Rumble in the Jungle” नाम से मशहूर यह मुक़ाबला 8 राउंड के बाद नॉकआउट से जीता जो कि उन्होंने सात साल के बाद वापिस पाया था.
ओलंपिक स्वर्ण पदक को ओहयो नदी में फ़ेक दिया
उच्च विद्यालय के स्नातक होने के बाद 18 वर्षीय अली ने रोम की यात्रा की और 1960 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में लाइट हैवीवेट स्वर्ण पदक जीता. मोहम्मद अली ने 1975 में अपनी आत्मकथा में लिखा था कि उन्होंने नस्लवाद के विरोध में अपना गोल्ड मेडल ओहयो नदी में फेंक दिया था। लकिन कुछ लोगों का मानना है कि अली ने अपना अपना मेडल खो दिया था. फिर बाद में हुए 1996 ओलंपिक उद्घाटन समारोह में खोये हुए मेडल की जगह उन्हें नया गोल्ड मेडल दिया गया था.
मोहम्मद अली की बेटी लैला अली भी है पेशेवर मुक्केबाज
अली की बेटी लैला अली भी बेहतर बॉक्सर रही हैं. मोहम्मद अली के नौ बच्चों में सबसे छोटी लैला अली ने 24 मुकाबले लड़े और सभी में जीत हासिल की. वह कभी न हारने वाली बॉक्सर के रूप में रिटायर हुईं. लैला अली, मोहम्मद अली की तीसरी पत्नी वेरोनिका पोर्श की बेटी हैं.
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