क्रिकेट में छोटा-सा फैसला भी मैच परिणाम को प्रभावित कर सकता हैं। लेकिन जब ये फैसले जानबूझ कर लिए जाते है तो वो जीत और हार के बीच का अंतर बन जाते है। भारतीय क्रिकेट के सफलतम कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी कैप्टन कूल के नाम से जाने जाते रहे हैं. वे भारत को एक दिवसीय विश्व कप सहित और कई महत्वपूर्ण ट्राफीयां और सीरज जिता चुके हैं.
यहाँ पेश हैं वर्तमान में फटाफट क्रिकेट के भारतीय “कैप्टन कूल” एमएस धोनी के द्वारा विपरीत स्थितियों में लिए गये कुछ उल्लेखनीय फैसले जिन्होंने भारतीय टीम को हारी हुई बाजी जिता दी.
ईशांत शर्मा को बाउंसर डालने को कहना
मैच: 17 जुलाई 2014 2nd टेस्ट मैच, इंग्लैंड v/s भारत, लॉर्ड्स
इंग्लैंड और भारत के बीच खेले गये लॉर्ड्स टेस्ट मैच अंतिम दिन एम.एस.धोनी ने इशांत शर्मा को इंग्लैंड के बल्लेबाजों को बाउंसर यानि शार्ट गेंदें डालने को कहा। महत्वपूर्ण समय में लिए गये इस निर्णय का परिणाम यह निकला कि ईशांत शर्मा ने एक के बाद एक इंग्लैंड के 5 बेशकीमती विकेट लेकर भारत को यह मैच 95 रन से जिता दिया। ये सभी विकेट शार्ट गेंदों पर मिले.
फार्म में चल रहे युवराज सिंह से पहले आकर बल्लेबाजी करना
मैच: 2 अप्रैल 2011 विश्व कप फाइनल, भारत v/s श्रीलंका, मुंबई
विश्व कप फाइनल में श्रीलंका ने भारत के सामने 274 रन का लक्ष्य रखा। धोनी ने फार्म में चल रहे युवराज सिंह को नंबर 4 में न भेज कर खुद बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। अंत तक नाबाद रहकर धोनी ने 79 गेंदों में 91 रन की महत्वपूर्ण पारी खेल कर भारत को वर्ल्ड कप जिताया।
दाहिने हाथ के दस्ताने को हटाने का फैसला
मैच: 22 मार्च 2016, टी20 के ग्रुप चरण का मैच, भारत v/s बांग्लादेश, ढाका
बांग्लादेश को जीतने के लिए आखिरी ओवर में 11 रनों की आवश्यकता थी। महेंद्र सिंह धोनी ने हार्दिक पंड्या से बात करके उसे गेंदबाजीं करने के लिए कहा। आखिरी गेंद पर दो रन की आवश्यकता थी। धोनी ने चतुराई दिखते हुए अपने दाहिने हाथ का दस्ताना पहले ही हटा दिया था, जिससे उन्हें रन आउट करने में आसानी हुई और भारत मैच जीत गया।
मुख्य गेंदबाजों के बजाए पार्ट-टाईम गेंदबाजों से बॉलिंग करवाना
मैच: 14 सितंबर 2007, टी20 विश्व कप ग्रुप चरण, भारत v/s पाकिस्तान, किंग्समीड, डरबन
आईसीसी टी20 विश्व कप के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया मैच 141 रन टाई हो गया। आईसीसी टी20 नियम के अनुसार दोनों टीमों को बारी-बारी से खाली विकेट पर निशाना लगाना था। एमएस धोनी ने इसके लिए अपने मुख्य गेंदबाजों का प्रयोग न करके अपने पार्ट टाईम गेंदबाजों रॉबिन उथप्पा और वीरेंद्र सहवाग का प्रयोग किया और भारत मैच जीत गया।
चेतेश्वर पुजारा को मैच में नंबर 4 से नंबर 1 पर लाना
मैच: 9 अक्टूबर 2010, 2nd टेस्ट मैच, भारत v/s ऑस्ट्रेलिया, बंगलुरु
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने दूसरे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में चेतेश्वर पुजारा को अपनी प्रतिभा को साबित करने का मौका दिया और राहुल द्रविड़ से आगे नंबर 3 पर उसे बल्लेबाजी करने को भेजा। चेतेश्वर पुजारा ने इस मौके का फायदा उठाया और 72 रन की शानदार पारी खेल कर भारत को टेस्ट सीरीज में अजेय बढ़त लेने में मदद की।
ईशांत शर्मा को गेंद देने का साहसिक निर्णय
मैच: 23 जून 2013, आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल, भारत v/s इंग्लैंड, एजबेस्टन, बर्मिंघम
फाइनल में भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा। पूरी टीम 20 ओवरों में सिर्फ़ 129 रन बना पायी। कम स्कोर का पीछा करते हुए एम एस धोनी ने अपने गेंदबाजों का चतुराई से उपयोग किया और इंग्लैंड पर लगातार दबाव बनाए रखा। 18वें ओवर तक रवि बोपारा और इयोन मोर्गन मैच लगभग इंग्लैंड के पक्ष में कर चुके थे. इस समय धोनी ने तब तक सबसे महंगे साबित हो चुके ईशांत शर्मा को गेंद देकर साहसिक निर्णय लिया। ईशांत शर्मा में खूबसूरती से गेंदबाजी की और इयोन मोर्गन और रवि बोपारा का विकेट लेकर भारत को मैच में वापिस ले लाये. अंत में भारत ने यह मैच 5 रनों से जीता।
बल्लेबाजी क्रम में परिवर्तन करना
मैच: 15 फरवरी, 2015 आईसीसी विश्वकप ग्रुप चरण, भारत v/s पाकिस्तान, एडिलेड ओवल
आईसीसी वर्ल्ड कप 2015 में किसी भी कप्तान ने अपनी बल्लेबाजी क्रम में कोई बदलाव नही किया था। धोनी ने इस मैच में जोखिम भरा निर्णय ले कर रैना को पहले बल्लेबाजी करने को भेजा। रैना ने 74 की शानदार पारी खेली और टीम इंडिया ने विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ 76 रनों से शानदार जीत हासिल की। एमएसधोनी द्वारा महत्वपूर्ण मैचों में बल्लेबाजी क्रम में बदलाव का यह एक और सफल प्रयोग था.