एक सभ्य और शांतिपूर्ण समाज के निर्माण के लिए कानून व्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण इकाई होती है। यदि किसी देश के नागरिक कानून व्यवस्था का पालन करते हैं तो वह देश शीघ्र ही विकसित, रहने योग्य, शांतिपूर्ण और समृद्ध हो जाता है। वहीँ जिस देश की क़ानून व्यवस्था दोषपूर्ण होती है वहां के नागरिक हर पल असुरक्षा की भावना में जीते हैं और वह देश शीघ्र ही नष्ट भ्रष्ट हो जाता है।
किसी देश में कानून व्यवस्था कैसे काम करती है? वह किस कार्य के लिए जिम्मेदार होती है? इस पोस्ट के माध्यम से हम कुछ ऐसे ही आधारभूत नियमों के बारे में चर्चा करेंगे जिनका पालन करवाना क़ानून व्यवस्था का काम होता है।
जानिए कानून व्यवस्था के कार्य
किसी भी देश के नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना कानून व्यवस्था का मुख्य कार्य होता है। अगर देश में किसी भी तरह का राजनीतिक या सामाजिक टकराव या दंगे-फसाद हो तो है, या फिर देश का माहौल तनावपूर्ण हो, तो कानून व्यवस्था ही उसका समाधान करती है। यानी किसी क्षेत्र में अशांति या हिंसा होना कानून व्यवस्था की इकाई के लिए एक चुनौती होता है और इसका समाधान करना ही इसका मुख्य लक्ष्य होता है।
भारत का गृह मंत्रालय देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े मामलों के लिए जिम्मेदार होता है. यह आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए कानून अधिनियमित करता है।
देश में पुलिस बल को सार्वजनिक व्यवस्था का रख-रखाव करने और अपराधों की रोकथाम और उनका पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. भारत के प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश का अपना अलग पुलिस बल है. राज्यों की पुलिस के पास ही कानून व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है.
भारतीय संविधान के तहत हर राज्य के दो विषय ‘पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ हैं. अपराध रोकना, दोषी का पता लगाना, दोषी पर केस दर्ज करना और मामले की जांच-पड़ताल करने की जिम्मेवारी पुलिस को दी गई है.
संविधान के तहत ही केन्द्र सरकार पुलिस के आधुनिकीकरण, अस्त्र-शस्त्र, संचार, उपस्कर, मोबिलिटी और अन्य अवसंरचना के लिए राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है.
आपको बता दें कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.) गृह मंत्रालय की एक नोडल एजेंसी है, जो कि अपराधों को बेहतर ढंग से रोक कर देश की कानून व्यवस्था को कायम रखने में मदद करती है. राज्यों को अपराध संबंधी आंकड़े जुटाने का काम भी यही करती है.