Friday, December 5, 2025
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महात्मा गांधी जी के जीवन से जुड़े कुछ स्थान

भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचंद गांधी का जन्‍म दिन 2 अक्‍टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

आज हम आपको महात्मा गांधी जी के जीवन से जुड़े कुछ सथलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां से गांधी जी के विचारों, उनके आदर्शों और सिद्धांतों को अंकुर मिला था।

पोरबंदर

कर्मचंद गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था। यह गांव गुजरात में स्थिति हैं। पोरबंदर में कर्मचंद गांधी जी के बचपन से जुड़ी बहुत सी चीज़े हैं, आज भी यहां पर उनका पैतृक घर है। इसके अलावा पोरबंदर में कीर्ति मंदिर भी एक शानदार जगह है।

राजकोट (गुजरात)

गांधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की। यहाँ उनके पिता करमचंद गांधी दीवान थे। राजकोट का यह दौर गांधी जी के बचपन और संस्कारों का आधार बना।

लंदन (इंग्लैंड)

1888 में गांधी जी बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन गए। उन्होंने यहाँ से कानून की पढ़ाई पूरी की और अंग्रेज़ी संस्कृति को नज़दीक से देखा। यह अनुभव उनके जीवन में अनुशासन और दृढ़ संकल्प का कारण बना।

अहमदाबाद

अहमदाबाद भी ऐसे ऐतिहासिक स्‍थलों में से एक है, यहां गांधी जी के जीवन का काफी जुड़ाव रहा है। अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे स्थित गांधी जी का आश्रम है। इस आश्रम को साबरमती आश्रम के नाम से भी पुकारते हैं।। यहीं से ही गांधी जी ने दांडी मार्च की शुरूआत की थी।

दांडी

दांडी गांव भी राष्‍ट्रपि‍ता महात्‍मा गांधी जी के जीवन काल को बयां करने वाले मुख्‍य स्‍थानों में से एक है। आज दांडी अरब सागर के तट पर स्थित इस जगह से ही नमक सत्याग्रह अपनी परिणति तक पहुंचा।

दक्षिण अफ्रीका

1893 में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए जहाँ उन्हें नस्लभेद का सामना करना पड़ा। पिएटरमैरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन की घटना, जहाँ उन्हें ट्रेन से उतार दिया गया था, ने उनके जीवन को बदल दिया। यहीं से उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के प्रयोग शुरू किए। दक्षिण अफ्रीका में ही फीनिक्स आश्रम और टॉल्सटॉय फार्म की स्थापना की।

नई दिल्ली

दि‍ल्‍ली भी गांधी स्‍मृत‍ि वाले स्‍थानो में से एक है। यहां पर बिरला हाउस के रूप में महात्मा गांधी को समर्पित एक ऐत‍िहास‍िक संग्रहालय है। इसके अलावा यहां का प्रस‍िद्ध स्थल राजघाट भी है, यहां पर 1869 को गांधी जी की मृत्‍यु के बाद राजघाट में उनकी समाधि स्थल बनी थी।

सेवाग्राम आश्रम

1936 में गांधी जी ने वर्धा (महाराष्ट्र) में सेवाग्राम आश्रम बसाया। यह स्थान उनकी गतिविधियों का केंद्र बन गया और अनेक स्वतंत्रता सेनानी यहाँ एकत्र होते थे। आज भी यह आश्रम ग्रामीण विकास और शिक्षा का केंद्र है।

जोहान्सबर्ग

गांधी जी ने अपनी जिंदगी के 21 साल जोहान्सबर्ग में व्‍यतीत किए थे। यहां पर ही उन्होंने अपनी राजनीतिक विचारधाराओं को पहचाना था। गांधी जी की याद में यहां सत्याग्रह सदन बनाया गया है।

चंपारण (बिहार)

1917 में गांधी जी ने चंपारण में नील की खेती करने वाले किसानों के आंदोलन का नेतृत्व किया। इसे चंपारण सत्याग्रह कहा जाता है और यह भारत में गांधी जी का पहला सफल आंदोलन था। यहाँ से किसानों को अत्याचार से मुक्ति मिली और स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा।

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