Monday, December 30, 2024
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वैज्ञानिकों द्वारा मानव शरीर में खोजी गयी यह 10 नई चीजें!

चाहे मनुष्य समुद्र की गहराइयों और आकाश की ऊँचाइयों तक पहुंच गया हो. लेकिन अभी तक मानव यह पूरी तरह नहीं जान पाया कि उसके शरीर के अंदर क्या चल रह है ? हाल ही में वैज्ञानिकों ने शरीर के बारे में दस नई बातें पता की है. जिनके बारे में जानकर आपको अपने शरीर के बारे में अच्छी तरह से पता चलेगा.

हमारा दिमाग सूचना को कैसे श्रेणीबद्ध करता है

हमारे दिमाग में सूचना जाकर अलग अलग श्रेणियों में बंट जाती है. जैसे कि लोगों के नाम की श्रेणी दिमाग के किसी अलग हिस्से में स्टोर हो जाती है. जरूरी सूचनाओं की श्रेणी दिमाग के दुसरे हिस्से में स्टोर हो जाती है. यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहता है. इसी वजह से किसी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति चीजों को भूलने लगते हैं क्योंकि रोग दिमाग के माध्यम से स्थानांतरित करता है. जिससे दिमाग के एक वर्ग में स्टोर की हुई जानकारी खत्म होने लगती है.

मनुष्य की आँख में एक नई लेयर मिलना

वैज्ञानिकों ने एक नये शोध में पता लगाया है कि मनुष्य की आँख में एक बहुत छोटी सी लेयर भी पायी जाती है जिसके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं थी. इस नई लेयर के मिल जाने से आँखों में 6 लेयर बन गयी हैं. इस बात का पता लोगों द्वारा दान की गयी आँखों पर अध्ययन करके लगा. जिसमें डॉक्टरों ने आँख के कोर्निया पर छोटा सा बब्ल इंजेक्ट किया और उन्होंने एक छोटी लेयर को पाया. इस नई लेयर के मिल जाने से बहुत सारी आँख के संबंधित बीमारियों के बारे में पता चलेगा.

हमारे दिमाग में झुर्रियां क्यों हैं ?

सभी मनुष्यों के दिमाग एक समान नहीं होते. हर एक मनुष्य के दिमाग में पायी जाने वाली झुर्रियों की बनावट अलग अलग होती है. इस झुर्रियों की बनावट की वजह से हमारा दिमाग ठीक ढंग से प्रोसेस करता है. हमारे दिमाग पर पायी जाने वाली लकीरों को गीरी(gyri) कहते हैं और झुर्रियों को सुलसी कहते हैं. हमारे मस्तिष्क में ग्रे पदार्थ और सफेद पदार्थ पाया जाता है. दोनों पदार्थों में समान सी कठोरता होती है. लेकिन दोनों के ग्रोथ अलग अलग होती है. जिसकी वजह से हमारे दिमाग में झुर्रियां बनी होती हैं.

आंत जीवाणु (Gut Bacteria)

रेडबाउंड विश्वविद्यालय के चिकित्सक सेंटर में शोधकर्ताओं ने मानव शरीर में पाये जाने वाले सबसे समान वायरस के बारे में पता लगाया है. उन्होंने इस वायरस का नाम क्रासफेज रखा है. वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि क्रासफेज वायरस पाचन किर्या में भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में अलग करता है.

मस्तिष्क के नये हिस्से की खोज

वाशिंगटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, मानव दिमाग के बारे में अध्ययन कर रहे थे. तो उन्हें एम्.आर.आई स्कैन में दिमाग में फाइबर के अजीब से बंडल मिले. इससे पहले इन फाइबर के बंडलों का किसी को पता नहीं था. यह इतिहास में पहली बार हुआ था. फिर बाद में इस पर वैज्ञानिकों की टीम ने अध्ययन किया जिसमें पता चला कि इस फाइबर का उपयोग दृश्य जानकारी को स्टोर करने के लिए होता है.

जैसे-जैसे मानव का शरीर बूढ़ा होता जाता है तो शरीर की दुर्गन्ध बढ़ती जाती है

वैज्ञानिकों ने पता लगाया है जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती जाती है उसके शरीर से निकलने वाली दुर्गन्ध भी पहले से बदतर होती जाती है. 40 साल की उम्र के बाद व्यक्ति के शरीर के पसीने की दुर्गन्ध पहले से बदतर होने लगती है. ऐसा पसीने से मिलने वाले बैक्टीरिया की वजह से होता है.

घुटनों पर लगी चोट का उपचार करने की नई तकनीक

घुटनों के दर्द से बहुत सारे लोग ग्रस्त हैं. पहले घुटनों को हटाने के लिए की जाने वाली ऐ.सी.एल सर्जरी पूरी तरह से घुटनों की समस्या को हल नहीं करती थी. अब उन्होंने ऐसी तकनीक को बनाया है जो सीधे तौर पर उसी हिस्से को ठीक करेगी जहाँ पर चोट के दौरान घुटने के हिस्से में सबसे ज्यादा दर्द हो रहा होता है. शोधकर्ताओं को घुटनों में अग्रपाश्विक बंध(anterolateral ligament) हिस्सा मिला है जिसमें घुटने पर चोट लगने से सबसे पहले चोट से ग्रस्त होता है.

हमारे शरीर के अलग अलग हिस्सों की उम्र अलग अलग दर से बढ़ती है

वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि हमारे शरीर के अलग अलग हिस्सों की उम्र अलग-अलग दर से बढ़ती है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में किये गये एक अध्ययन में पाया गया है कि शरीर के अलग-अलग हिस्सों की उम्र मंह अंतर थोड़ा-थोड़ा नहीं होता बल्कि बहुत ज्यादा भी हो सकता है. शरीर के कई उत्तकों(tissues) की उम्र बाकी उत्तकों से कई साल ज्यादा भी हो सकती है.

ध्यान लगाते समय हमारा शरीर

मैडिटेशन तकनीक सदियों से चलती आ रही है. अगर आप लगातार कई सप्ताह तक मैडिटेशन करेंगे तो आपको पता चलेगा कि मेडिटेशन करने से आप अपने तनाव के स्तर को, विचारों को और प्रतिकिर्याओं को स्थिर रख सकेंगे. वैज्ञानिकों ने मैडिटेशन की वजह से दिमाग पर होने वाले असर को एम्.आर.आई स्कैन से देखा. उन्होंने पाया कि मैडिटेशन से हमारे मस्तिष्क में ग्रे पदार्थ में कमी होने लगती है. यह ग्रे पदार्थ ही लड़ाई की वजह बनता है. इसमें कमी आने से हमारा स्वभाव शांत और हंसमुख होने लगता हैं

चेतना के लिए ओन-ऑफ स्विच

इस बात को जानकर आप हैरान हो जायेंगे कि अब आप अपने दिमाग में आने वाले नकरात्मक विचारों को भी मिटा सकते हैं. अगर आप किसी बुरी स्मृति को भूलना चाहते हैं तो वैज्ञानिकों ने ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित की है जिससे आप अपनी बुरी स्मृति को भूल सकेंगे. वैज्ञानिकों ने ऐसे इलेक्ट्रिक रोड्स विकसित किये हैं जो आपके दिमाग में होने वाली सूचना के आदान प्रदान को नियंत्र कर पाएंगे.

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