रजनीकांत के किस्से अपने आप में अद्भुत होते हैं. एक बस कंडक्टर का अभिनय जगत की बुलंदियों को छूना अपने आप में एक महान गाथा की तरह है. रजनीकांत से जुड़े हुए ढेरों रोचक और प्रचलित किस्से हैं. ऐसा ही एक किस्सा सन 2015 का है जब उनकी चर्चित शिवाजी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई थी.
फिल्म के सफल होने के कुछ दिन बाद रजनीकांत एक मंदिर में गये. वे हमेशा की तरह साधारण कपड़ों में थे. मंदिर में माथा टेकने के बाद वे कुछ देर विश्राम करने के लिए मंदिर के प्रांगण में एक खंबे के नीचे बैठे हुए थे जब यह किस्सा हुआ.
लगभग 35-36 साल की एक औरत आई जो रजनीकांत को इस साधारण रूप में नहीं पहचानती थी. उन के साधारण कपड़ों और रंग-रूप को देखकर उस औरत ने उन्हें भिखारी समझ लिया और उनको दस रुपए दान करने चाहे. रजनीकांत पहले तो थोड़ा चौंकें लेकिन फिर शीघ्र ही स्थिति को समझ गये और उन्होंने मुस्कुराते हुए 10 रुपये ले लिए.
संयोंग से कुछ देर बाद उस औरत ने रजनीकांत को लोगों की भीड़ के बीच अपनी पॉर्श कार में बैठते हुए देखा. कुछ ही क्षण में वह सारा माजरा समझ गयी. वह दौड़ कर रजनीकांत के पास गयी और अपनी भूल के लिए माफ़ी मांगी. साथ ही औरत रजनीकांत को दिए हुए अपने दस रुपए वापिस मांगे.
लेकिन उन्होंने बड़ी विनम्रता से कहा कि आपका मुझे दस रुपए देना एक तरह से परमात्मा के आशीर्वाद की तरह है. उसने मुझे एक बार फिर से यह एहसास कराया कि उसके लिए मैं एक सुपर-स्टार नहीं बल्कि आज भी एक साधारण आदमी ही हूँ. उसने आज फिर यह शिक्षा दी कि आप कितने भी अमीर हो जायें लेकिन आप परमात्मा के द्वार में आकर आप एक भिखारी की तरह हैं. औरत से याचना करके उन्होंने वह 10 रुपए परमात्मा का आशीर्वाद समझ कर रख लिए.
इस महान कलाकार का यह विनम्र व्यवहार उस औरत के साथ-2 वहां मौजूद कर हर किसी की आँख को नम कर गया. लोगों की नज़रों में इस साधारण से दिखने वाले उनके देव-तुल्य और पूज्य सुपर-स्टार की कद्र और भी बढ़ गयी.