रत्नों के प्रयोग को एक अचूक और कारगर उपाय के रूप में किया जाता है। इनका कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन हमें कुछ रत्न कब पहनने चाहिए और कब नहीं, इस बात पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। इसमें मोती रत्न के प्रयोग और सावधानियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि इस रत्न का संबंध चंद्रमा से होता है।
हर किसी को मोती नहीं पहनना चाहिए। कोई भी रत्न हमेशा किसी विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही धारण करें। वहीं अगर मोती की बात करें तो यह कुछ लोगों को फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है। हर पत्थर का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है।
रत्न शास्त्र में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। रत्नों को नियम-कानून के अनुसार ही विशेषज्ञों की सलाह के बाद ही धारण करना चाहिए, अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है। मोती की बात करें तो इसका संबंध चंद्रमा से माना जाता है। इसे धारण करने से मन शांत होता है और क्रोध पर नियंत्रण रहता है।
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा मन का कारक है और इसका हमारे जीवन पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसे धारण करना हमेशा लाभकारी नहीं होता है। कुछ जातकों के लिए यह हानिकारक भी साबित हो सकता है।
शुक्र, बुध और शनि की युति चंद्रमा के साथ अनुकूलता की कमी का कारण बनती है। इसके साथ ही यदि मोती कुंडली में खराब भावों का स्वामी हो तो भी इसे धारण करना शुभ नहीं होता है।
मेष और कर्क राशि वालों के लिए मोती बहुत शुभ होता है। लेकिन जिन राशियों का संबंध चंद्रमा के स्वामी से कमजोर है तो यह स्थिति परेशानी देती है।
इसी वजह से जातकों को मोती धारण करने से सकारात्मक परिणाम नहीं मिलते हैं। इसके साथ ही अत्यधिक भावुक लोगों को भी मोती धारण करने से बचना चाहिए।
इन रत्नों के साथ न पहनें मोती
जिन लोगों को मोती धारण करने की सलाह दी गई है वे इस बात का ध्यान रखें कि उन्होंने नीलम, गोमेद और हीरा पहले से धारण नहीं किया है। इन रत्नों से मोती नकारात्मक फल देने लगता है।
यदि कुंडली में चंद्रमा छठे भाव, आठवें या 12वें भाव का स्वामी हो तो ऐसे लोगों को मोती नहीं पहनना चाहिए। इसके साथ ही शरीर में कफ, जल तत्व जैसी समस्या हो तो मोती धारण करने से बचना चाहिए। नहीं तो समस्या खत्म होने की बजाय बढ़ सकती है