भारत में कई ऐसी परंपराएँ मौजूद हैं जो कई वर्षों से अपने मूल रूप में ही चली आ रही हैं। इन परंपराओं को मानने वाले इन्हें पूरी आस्था के साथ निभाते हैं। इनमें से कुछ परंपराएँ खतरनाक भी होती हैं लेकिन इनको निभाते समय लोगों के मन में किसी प्रकार का डर नही होता और वे जानलेवा परंपराओं को निभाने से भी पीछे नहीं हटते।
आज हम आपको भारत की कुछ ऐसी ही परंपराओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएँगे।
बच्चों को ऊपर से नीचें फेकना
महाराष्ट्र के शोलापुर में बाबा उमर की दरगाह में बहुत ही अजीबोगरीब परंपरा है। यहाँ हिंदू और मुस्लिम अपने बच्चों को करीब 50 फीट की ऊंचाई से नीचे फेंकते हैं और नीचे खड़े लोग उन बच्चों को चादर से पकड़ते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से बच्चों का स्वास्थ्य और शरीर मजबूत होता है। यह परंपरा 700 साल से अधिक समय से चली आ रही है।
बच्चों की लंबी उम्र के लिए देवी को चढ़ाई जाती है लौकी
छत्तीसगढ़ के रतनपुर में स्थित शाटन देवी मंदिर से एक अनोखी परंपरा जुड़ी है। यहाँ मंदिर में लौकी चढ़ाई जाती है। यहाँ लोग अपने बच्चों की तंदुरुस्ती के लिए प्रार्थना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी यहाँ लौकी चढ़ाता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
पहाड़ बताता है शिशु का लिंग
झारखंड के खुखरा गाँव में अनोखी परंपरा है जो पिछले 400 सालों से चली आ रही है। इस गाँव में एक पहाड़ पर बनीं हुई एक चाँद की आकृति है। गाँव के लोगों का मानना है कि चाँद की आकृति वाला ये पहाड़ गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग बता देता है।
गर्भवती महिलाएँ कुछ दूरी से पत्थर फेंकती हैं। अगर यह पत्थर चाँद की आकृति के अंदर लगता है तो इसका मतलब है कि गर्भ में लड़का है। अगर बाहर लगे तो गर्भ में लड़की पल रही है। इस परंपरा पर गाँव वालों का अटूट विश्वास है।
गायों के पैरों से कुचलना
मध्य प्रदेश के उज्जैन के कुछ गांवों में सदियों से ये परंपरा चली आ रही है। इसमें लोग जमीन पर लेट जाते हैं और उनके ऊपर गायों को दौड़ा दिया जाता है। यह परंपरा दिवाली के अगले दिन एकादशी पर्व को निभाई जाती है।
इस दिन उज्जैन जिले के भीडावद और आस पास के गाँव के लोग पहले अपनी गायों को रंगों और मेहंदी से सजाते हैं। फिर अपने गले में माला डालकर रास्ते में लेट जाते हैं। इसके बाद गायों को छोड़ दिया जाता है और वे दौड़ती हुईं लोगों के ऊपर से गुजर जाती हैं। लोगों का मानना है कि इससे तरक्की का आशीर्वाद मिलता है और उनकी मनोकामना पूरी होती है।
गले तक मिट्टी में दफना दिए जाते हैं बच्चे
उत्तरी कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बड़ी अजीब परंपरा है। जहाँ बच्चों को शारीरिक और मानसिक विकलांगता से बचाने के लिए जमीन में गले तक गाड़ दिया जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि मिट्टी काफी पवित्र होती है और इस रिवाज के तहत बच्चों को 6 घंटों तक मिट्टी के अंदर रखा जाता है।