ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमुखी रुद्राक्ष का विशेष महत्व है। इसके कई प्रकार हैं। पंचमुखी रुद्राक्ष कब धारण करना चाहिए और इससे क्या-क्या लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं, इसके बारे में ज्योतिषशास्त्र में कई महत्वपूर्ण बातें कही गई हैं।
रुद्राक्ष, जो स्वयं रुद्र है, को ज्योतिष में महादेव का एक पहलू और कालाग्नि का एक रूप माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर के आंसुओं से हुई है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करना शुभ माना जाता है।
यह माना जाता है कि रुद्राक्ष धारण करने से भगवान गणेश, भगवान शिव, देवी शक्ति, भगवान विष्णु और सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
आइए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमुखी रुद्राक्ष के महत्व है और लाभ:
इसे धारण करने के लाभ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने से मन को शांति मिलती है। अनावश्यक बातों से मन विचलित नहीं होता। रुद्राक्ष धारण करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
कई ज्योतिषी धन और सुख लाने के लिए रुद्राक्ष धारण करने की सलाह देते हैं। रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। कई लोगों का यह भी मानना है कि रुद्राक्ष एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए यह रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है। वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि लाने के लिए भी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी होता है।
कैसे करें धारण
पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से पहले उस पर गंगाजल छिड़कें। इसके बाद ‘ऊं ह्रीं नम: मंत्र’ मंत्र का 108 बार जाप करें। मान्यता है कि इस तरह पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से अधिक लाभ मिलता है।
इसका महत्व
पंचमुखी रुद्राक्ष की सतह पर 5 प्राकृतिक रेखाएं उभरी हुई होती हैं। जिसे रुद्राक्ष का मुख कहा जाता है। इस रुद्राक्ष के देवता भगवान कलाग्नि हैं जो भगवान शिव का ही एक रूप माने जाते हैं।
कहा जाता है कि जो कोई इसे विधि-विधान से पहनता है और इसके नियम का पालन करता है, वह दैवीय शक्ति की वजह से बुरे कर्मों से दूर रहता है।
इसके साथ ही इस रुद्राक्ष को पहनने वाला शुद्ध होता है और उसका मन शांत हो जाता है। कहा जाता है कि पंचमुखी रुद्राक्ष पहनने वाले को यश, प्रसिद्धि और मानसिक शांति मिलती है।