हिमालय की खूबसूरती को शब्दों में बयां कर पाना असंभव है. हिमालय की मनमोहक वादिया किसी को भी दीवाना बना सकती हैं. लेकिन एक जगह ऐसी भी है, जिसे भारत का आखिरी गांव कहते हैं. इस गांव का नाम है माणा गांव. इसके बारे में शायद ही लोग जानते होंगे.
हम आपको बता दें कि यह गांव उत्तराखंड के चमोली जिले में और बद्रीनाथ से तीन किमी आगे समुद्र तल से 18,000 फुट की ऊँचाई पर बसा एक खूबसूरत गाँव है. यह गांव भारत-तिब्बत सीमा पर बसा है. इस गांव को देश का आखिरी गांव या सीमान्त ग्राम भी कहा जाता है.
माणा गांव में सरस्वती और अलकनंदा नदियों का संगम भी होता है तथा यहाँ कुछ प्राचीन मंदिर और गुफाएं हैं जो कि बहुत ही प्रसिद्ध हैं. जो भी भक्त ‘बद्रीनाथ’ के दर्शन के लिए आते हैं, वह माणा गाँव व भारत के आखिरी गांव में आने का मौका नहीं छोड़ते हैं.
स्वर्ग जाने का रास्ता
कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव जब स्वर्ग जाने के लिए यहाँ से गुजरे थे, तो वहां दो पहाड़ियों के बीच में खाई थी जिसे पार करना बहुत ही मुश्किल था. उस समय भीम ने दो बड़ी शिलाएं डालकर पुल बनाया था और पांडव इसी पुल से होकर स्वर्ग की ओर गए थे. आज भी लोग इसे स्वर्ग का मार्ग मानकर इस रास्ते से चले जाते हैं.
गणेश जी ने दिया था सरस्वती नदी को श्राप
माणा गाँव में जब प्रवेश करते है तो सबसे पहले गणेश गुफा नजर आती है. ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी यहाँ पर वेदों की रचना किया करते थे तो पास में ही सरस्वती नदी अपने पूरे वेग में बहने के कारण शोर कर रही थी. जिससे गणेश जी को कार्य में बाधा पड़ रही थी. गणेश जी के आग्रह करने के बाद भी सरस्वती नदी ने उनकी बात नहीं मानी. गणेश जी ने नाराज होकर उन्हें श्राप दिया कि अब आगे वह किसी को भी नहीं दिखाई देगी. जिसके कारण ही सरस्वती नदी कुछ दूरी पर जाकर अलकनंदा नदी में मिल जाती है.