आपने भूत-प्रेतों से जुड़े बहुत सारे किस्से सुने होंगे। कुछ लोग भूत-प्रेतों पर विश्वास करते हैं जबकि कुछ लोगों का मानना है कि यह केवल किस्से और कहानियां की बातें हैं. लेकिन इस पोस्ट को पढ़ कर शायद आपके रौंगटे खड़े हो जाएँ क्योंकि यहाँ हम एक भूत की की सच्ची कहानी बता रहे हैं.
लचुलुंग दर्रे का भुतहा 22 मोड़
मनाली-लेह मार्ग पर सरचू से 54 किलोमीटर दूर 16,616 फीट (5,059 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है लचुलुंग दर्रा (Lachulung La). यह मनाली से 278 किमी दूर लचुलुंग दर्रा जम्मू-कश्मीर के लेह जिले में पड़ता है. खैर, यह पोस्ट एक भूत की सच्ची कहानी के बारे में है.
लचुलुंग दर्रे के पास 22 मोड़ नामक जगह से गुजरने वाला हर वाहन चालक यहां पर बने ‘भूत मंदिर’ में पानी की एक बोतल चढ़ा कर ही आगे बढ़ता है. गाँव के लोग मानते हैं कि जो लोग जानबूझ कर भी पानी की बोतल नहीं चढ़ाते, उनके साथ कोई न कोई अनहोनी हो जाती है। ऐसा गांव वालों का विश्वास और धारणा है जो कि इन लोगों के तजुर्बे से बनी है.
भूत की सच्ची कहानी
इसके पीछे एक रोचक कहानी है। गाँव वालों के मुताबिक लगभग 8 साल पहले एक ट्रक लेकर ड्राईवर और कंडक्टर लेह जा रहे थे. लचुलुंग-ला के पास 22 मोड़ नामक जगह पर उस ट्रक का एक्सीडेंट हो गया और कंडक्टर इसमें गंभीर रूप से घायल हो गया.
कहते हैं कि ड्राईवर घायल कंडक्टर को छोड़कर भाग गया। वहीं कुछ लोग बताते हैं कि यह ड्राईवर दूर पंग गांव में मदद के लिए गया मगर उसे वापस लौटते काफी देर हो गई। उसी रात वहां से गुजर रहे एक अन्य ड्राईवर ने उस घायल कंडक्टर को देखा तो वह पानी-पानी चिल्ला रहा था।
दर्दनाक मौत के बाद भटकने लगी आत्मा
जब तक ड्राईवर पानी लाता उसकी मौत हो चुकी थी। बिना खाने और पानी के उसकी दर्दनाक मौत हो चुकी थी। कहते हैं इसके बाद से उसकी आत्मा यहां पर भटकने लगी।
बताया जाता है कि कंडक्टर की लाश को यहीं पर दफना दिया गया था। इसके बाद से ही यहां पर डरावनी घटनाएं होने लगी। आते जाते चालकों को एक लड़के की आत्मा डराने लगी और यह लड़का भी लोगों को दिखने लगा। यह आते जाते चालकों से खाने के लिए सामान मांगता था। जो लोग उसे यह नहीं देते थे वह किसी न किसी हादसे का शिकार होने लगे। बाद में यहां पर मंदिर बना लिया गया और लोग वहां खाने की चीजें और मिनरल वार्टर की बोतलें चढ़ाने लगे। यहाँ मिनरल वाटर की बोतलों का ढेर देखा जा सकता है. लोग कहते हैं भूत इस मंदिर में मिनरल वाटर पीता है।
क्या कहते हैं स्थानीय निवासी?
लाहौल के वयोवृद्ध इतिहासकार छेरिंग दोरजे बताते हैं यह एक भूत की सच्ची कहानी है. उनके अनुसार यह बात दस साल पहले की है।
ट्रक ड्राइवर सुरेंद्र कुमार, राजू राम, नंद किशोर और भागसेन के अनुसार इस मार्ग से गुजरते समय ड्राइवर-कंडक्टर यहां आत्मा के लिए पानी की बोतल छोड़ते हैं।
एसआरटीसी केलांग डिपो के चालक रमेश लाल ने बताया कि कई ड्राइवर उन्हें बता चुके हैं उन्होंने उस आत्मा की चीख सुनी है जो पानी मांगती है। डर से ही सही यहां ड्राइवर पानी की बोतलें छोड़ते हैं।
यह भूत की सच्ची कहानी है या झूठी कहानी यह तो भगवान ही जाने लेकिन यहाँ पर लगे बोतलों का ढेर कुछ तो जरूर कहता है.
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