“शरद पूर्णिमा “ इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। इसे कोजागरी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन इतना शुभ और अच्छा होता है, कि एक छोटे से उपाय बड़ी से बड़ी मुश्किल भी टल जाती हैं। माना तो यह भी जाता है कि केवल खीर बना कर खाने से ही सेहत को कई फायदे मिल जाते हैं। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे वर्ष में सिर्फ इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से निपुण होता है, और इससे निकलने वाली किरणें इस रात्रि में अमृत के सामान होती हैं। शरद पूर्णिमा की रात को दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। माना जाता है, कि चंद्रमा की किरणें जब खीर पर पड़ती है, तो वह खीर अमृत के समान गुणकारी और लाभकारी हो जाती हैं। इसलिए इस दिन खीर का सेवन किया जाता है।
शरद पूर्णिमा का व्रत 13 अक्टूबर रविवार को रखा जाएगा।
शरद पूर्णिमा व्रत मुहूर्त :-
पूर्णिमा आरंभ 13 अक्टूबर को 00:38:45 से
पूर्णिमा समाप्त 14 अक्टूबर 2019 को 02:39:58 तक रहेगी
शरद पूर्णिमा महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन का एक विशेष महत्व है l इस दिन भगवान कृष्ण महारास रचना प्रारंभ करते हैं। देवीभागवत महापुराण के अनुसार गोपिकाओं के प्रेम को देखते हुए भगवान कृष्ण ने आज के दिन चंद्र को महारास का इशारा दिया था। चंद्र ने भगवान कृष्ण का संकेत समझते ही अपनी शीतल रश्मियों से प्रकृति को ढक दिया और उन्हीं किरणों ने भगवान कृष्ण के चेहरे की चमक को सजा दिया। कृष्ण और गोपिओं के अटूट प्रेम को देखकर चंद्रमा ने अपनी अमृत किरणों से पवित्र वर्षा आरंभ कर दी, जिसमें भीगकर गोपियाँ अमरता को प्राप्त हो गई और भगवान कृष्ण के अमर प्रेम का हिस्सा बनीं।
शरद पूर्णिमा की पूजा
शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी, चंद्र देव, भगवान शिव, कुबेर और कृष्ण की पूजा करने से घर में खुशियां आती है , और साथ अपार धन की प्राप्ति होती है। शरद पूर्णिमा को चंद्र की पवित्र किरणें आंगन में पड़ने से खुशियां आती है। इसलिए यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन रात में की गई चंद्र पूजन और आराधना से साल भर के लिए लक्ष्मी और कुबेर की कृपा प्राप्ति होती है। इसके अलावा आत्म विस्वास में वृद्धि, स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी, अस्थमा से छुटकारा, ग्रह बाधा से रोकथाम और घर से निर्धनता मिटाने जैसी समस्याओं का समाधान होता है।
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मां लक्ष्मी की पूजा
शरद पूर्णिमा की रात में माँ लक्ष्मी की पूजा करने से धन सम्पति का लाभ प्राप्त होता है। इस दिन माँ लक्ष्मी के इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
2 . कुबेर भगवान की पूजा
शरद पूर्णिमा को कुबेर महाराज की पूजा भी करनी चाहिए। इनकी पूजा करने से भी घर में धन की कमी ख़त्म होती है l उनकी पूजा के लिए भी एक मन्त्र का जाप करना चाहिए।
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये
धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।।
3 . भगवान शिव की पूजा
शिवलिंग का जल स्नान कराने के बाद पंचोपचार पूजा यानी सफेद चंदन, अक्षत, बेलपत्र, आंकडे के फूल व मिठाई का भोग लगाना चाहिए। इस दिन अपनी इच्छाओ की पूर्ति के लिए इस शिव मंत्र का ध्यान करना चाहिए। इससे जीवन में शुभ-लाभ प्राप्त होता है, शिव मंत्र मृत्युभय, दरिद्रता व हानि से रक्षा करने वाला माना गया है l
पंचवक्त्र: कराग्रै: स्वैर्दशभिश्चैव धारयन्।
अभयं प्रसादं शक्तिं शूलं खट्वाङ्गमीश्वर:।।
दक्षै: करैर्वामकैश्च भुजंग चाक्षसूत्रकम्।
डमरुकं नीलोत्पलं बीजपूरकमुक्तमम्।।
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गोपीकृष्ण की रासलीला
कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात भगवान कृष्ण ने गोपियों संग रास रचाया था। इसमें हर गोपी के साथ एक कृष्ण नाच रहे थे। गोपियों को लगता रहा कि कान्हा बस उनके साथ ही थिरक रहे हैं।