होलिका दहन, हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें होली के एक दिन पहले यानी पूर्व सन्ध्या को होलिका का सांकेतिक रूप से दहन किया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
होली का त्यौहार हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए विशेष होता हैं। यह प्रमुख पर्वो में से एक माना जाता हैं। हिंदू धर्म में होली त्यौहार दो दिवसीय होता हैं इसकी शुरुआत होलिका दहन से होती हैं।
यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता हैं। पुराणों में होलिका दहन और पूजा का खास महत्व होता है। इस दिन होली की पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं।
ऐसी मान्यता है कि देवी लक्ष्मी के साथ सुख समृद्धि और खुशहाली भी आती हैं। तो आज हम आपको इस लेख में होलिका दहन के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
होलिका दहन 2024
24 मार्च को होलिका दहन है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है। ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा।
विधि
होलिका दहन के बाद जल से अर्घ्य देना चाहिए। शुभ मुहूर्त में होलिका में स्वयं या परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से आग जलाई जाती है।
आग में किसी भी फसल को सेंक लें और अगले दिन इसे सपरिवार ग्रहण करें। मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों को रागों से मुक्ति प्राप्त होती हैं।
कथा
प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर था। उसने कठिन तपस्या कर भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर वरदान मांगा कि वह न किसी मनुष्य द्वारा नहीं मारा जा सके, न पशु, न दिन- रात में, न घर के अंदर न बाहर, न किसी अस्त्र और न किसी शस्त्र के प्रहार से।
इस वरदान के कारण वह अहंकारी बन गया था, वह खुद को भगवान समझने लगा था। वह चाहता था कि सब उसकी पूजा करें। उसने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा पर पाबंदी लगा दी थी।
हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्राद विष्णु जी का परम उपासक था। हिरण्यकश्यप अपने बेटे के द्वारा भगवान विष्णु की आराधना करने पर बेहद नाराज रहता था, ऐसे में उसने उसे मारने का फैसला लिया।
हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह अपनी गोद में प्रह्लाद को लेकर प्रज्जवलित आग में बैठ जाएं, क्योंकि होलिका को वरदान था कि वह अग्नि से नहीं जलेगी। जब होलिका ने ऐसा किया तो प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका जलकर राख हो गई।
होलिका दहन के दिन क्या नहीं करना चाहिए
- इस दिन सफेद खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- इस दिन होलिका दहन के समय सिर ढककर ही पूजा करनी चाहिए।
- नवविवाहित महिलाओं को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।
- सास बहू को एक साथ मिलकर होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।
- इस दिन को भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए।