भारत को “अविश्वसनीय भारत” यूं ही नहीं कहा जाता. भारत में घूमना रोलर-कोस्टर की सवारी की तरह रोमांचक है. भारत में ऐसे अनगिनत स्थान हैं जो पर्यटकों को लुभाते हैं. यहां के बीच, पर्वत, साहसिक खेल, शानदार होटल, ऐतिहासिक स्मारक अपने आप में भारत की खूबसूरती बयान करते है. भारत की धरती पर बहुत सी अदभुत और हैरान कर देने वाली चीज़ें और जगहें हैं. यहां प्रस्तुत हैं भारत की शीर्ष 10 असामान्य जगह जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे.
उड़ता हुआ पत्थर-शिवपुर, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में पुणे में शिवपुर नामक गांव में हज़रत कमर अली दरवेश नाम से एक विलक्षण दरगाह है जिसके बारे में एक बहुत ही दिलचस्प तथ्य प्रचलित है. 800 वर्ष पहले यह दरगाह एक व्यायामशाला थी. इस जगह पर एक पहलवान ने सूफी संत कमर अली का मजाक उड़ाया था. इस पर उन्होंने 70 किलो का पत्थर बिना हाथ लगाये उठा कर दिखाया था. आज भी इस पत्थर को हजरत कमर अली का नाम लेकर 11 उँगलियों पर उठाया जाता है.
काले जादू की धरती – मयोंग, असम
असम में पड़ते मयोंग (Mayong) नाम के गाँव को काले जादू की धरती भी कहा जाता है. यह गाँव गुवाहटी शहर से 40 कि.मी. की दूरी पर, पोबितोरा वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी (Pobitora Wildlife Sanctuary) के समीप है. माना जाता है कि इस गाँव का नाम संस्कृत के शब्द माया के नाम से पड़ा है. यहाँ पर लोगों के हवा में गायब होने, लोगों के जानवरों में बदलने और हिंसक जंगली जानवरों के पालतू बनाये जाने की कई कथाएं प्रचलित हैं. यहाँ पर जादू-टोन सदियों से प्रचलित है.
कंकालों की झील- रूपकुंड झील, चामोली, उत्तराखंड
समुद्रतल से 16500 फुट की ऊंचाई पर स्थित “रूपकुंड” नामक यह झील हिमालय पर्वत के सबसे निर्जन हिस्से में है. यह झील बर्फ से ढकी रहती है. इस झील में 600 नरकंकाल पाए गये हैं. जब बर्फ पिघलती है तो यह कं काल झील के तल में पड़े दिखाई देते हैं. यहाँ के निवासियों का मानना है यह कंकाल 9वीं सदी के उन लोगों के हैं जिन्होंने लातु (Latu) देवता का अपमान किया था और उस देवता ने इन्हें एक बर्फीले तूफान में फंसाकर मार डाला था.
ज्यादा संख्या में पक्षियों का आत्महत्या करना-जतिंगा, असम
जतिंगा का यह फलता-फूलता गाँव असम की बोरैल (Borail) पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है. हर वर्ष सितम्बर और अक्टूबर के बीच, खास तौर पर अँधेरी और धुंध वाली रातों में, सैंकड़ों पक्षी पेड़ों और इमारतों से टकराकर मर जाते हैं. ‘सामूहिक पक्षी आत्महत्या’ के इस विचित्र घटनाक्रम को प्रसिद्ध प्रकृतिवादी ई.पी. जी (E.P. Gee) 1960 में प्रकाश में लाये थे. तब से लेकर यह दुनिया के अनसुलझे रहस्यों में से एक बनी हुई है।
जुड़वा बच्चों के मामले- कोदिन्ही(केरला) और उमरी (अलाहाबाद के पास)
कोदिन्ही गाँव, केरला के मल्लापुरम जिले के नजदीक पड़ता है. इस गाँव ने पूरे विश्व के विज्ञानियों को हैरत में डाल रखा है. इस गाँव की जनसंख्या 2000 है जिनमें से 350 जुड़वाँ बच्चे हैं यह जुड़वा बच्चे दिखने में एक दूसरे की तरह लगते हैं. इस गाँव में हर 1000 बच्चों के जन्म के पीछे 42 जुड़वाँ पैदा होते हैं.
कुख्यात क्रीम का घर- मलाना, हिमाचल प्रदेश
यह जगह कुल्लू शहर के उत्तर-पूर्व में पड़ती है. मलाना को भारत का “छोटा ग्रीस” भी कहा जाता है, क्योंकि यहां के रहने वाले निवासियों का मानना है कि वह एलेग्जेंडर-द-ग्रेट की सन्तान हैं. यह प्राचीन गाँव पूरी दुनिया से कटा हुआ है. इस गाँव में सिर्फ 100 घर हैं, लेकिन यह मलाना क्रीम का घर है और यहाँ पर अच्छी गुणवत्ता वाली और सबसे शक्तिशाली चरस का उत्पादन होता है.
एशिया का सबसे स्वच्छ गांव- मावलयनोंग, मेघालय
यह गाँव चिरापुंजी में स्थित है और यह गाँव “परमात्मा के बगीचा” के नाम से मशहूर है. यह गाँव अपनी स्व्च्छता की वजह से अन्तराष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही लूट चूका है. यह एक दिलचस्प बात है कि इस गाँव की साक्षरता दर 100% है और इस गाँव के निवासी अच्छी तरह से अंग्रेजी बोलते हैं. इसके इलावा यहाँ पर बहुत सारे झरने और पहाड़ हैं.
चूहों का मंदिर – करणी माता मंदिर, राजस्थान
राजस्थान के बीकानेर शहर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक नामक कस्बा पड़ता है. इस कस्बे में पड़ने वाला करणी माता जी का मंदिर 20,000 चूहों का घर है. इस मंदिर में चूहों को पूजा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है यह चूहे करणी माता जी के परिवार के सदस्य हैं. इन चूहों में सफेद चूहों को ओर भी श्रधा से पूजा जाता है क्योंकि इन चूहों को करणी माता जी की सन्तान माना जाता है.
साँपों की धरती- शेत्फेल, महाराष्ट्रा
महाराष्ट्र के शोलापुर जिले में शेत्फेल नाम का गाँव पड़ता है और इस गाँव में साँपों को पूजा जाता है. इस गाँव के निवासी बहुत भयंकर रीती रिवाजों को मानते हैं. इस गाँव में हर घर में एक कोबरा के लिए आराम करने के लिए जगह बनाई जाती है. अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है. जिसमें साँपों ने इस गाँव में रहने वाले लोगों पर हमला किया हो या काटा हो. इस गाँव में सांप आराम से एक घर से दुसरे घर तक घुमते रहते हैं.
मृत लोगों के साथ भोजन कराने वाला रेस्तरां, अहमदाबाद
अहमदाबाद में न्यू-लकी नाम का रेस्तरां बाकी रेस्तरां से बहुत अलग है. यह कॉफ़ी हाउस सदियों पुरानी मुसलमानों की कब्रों पर बना हुआ है. इस रेस्तरां के अंदर एक टेबलों के बीच कब्रें बनी हुई हैं. यह कब्रें 16वीं सदी के सूफी संतों की हैं. यह रेस्तरां हमेशा ग्राहकों से भरा रहता है इस रेस्तरां के मालिक का मानना है कि इस रेस्तरां की कब्रें उस के लिए एक शुभंकर हैं.