एशिया का सबसे साफ सुथरा गाँव मेघालय में स्थित है जिसका नाम मावलिननॉन्ग है. मेघालय के इस छोटे से गाँव में प्लास्टिक पूरी तरह से प्रतिबंधित है. मावलिननॉन्ग गाँव 2003 में भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का भी सबसे साफ सुथरा गाँव बना. 2003 तक इस गाँव में केवल 500 व्यक्ति ही रहा करते थे और इस गाँव में सैलानियों का आना जाना भी नहीं था. पहले इस गाँव में सड़कें भी नहीं थी और गाँव में सिर्फ पैदल ही आया-जाया जा सकता था. लेकिन काफी साल पहले डिस्कवर इंडिया मैगजीन के एक पत्रकार की बदौलत यह गाँव दुनिया की नजरों के सामने आया था.
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मावलिननॉन्ग गाँव शिलॉंन्ग और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से 90 किलोमीटर दूर स्थित है. साल 2014 की गणना के अनुसार यहाँ 95 परिवार रह-रहे थे. इस गाँव की आजीविका का मुख्य साधन सुपारी की खेती है. इस गाँव के लोग घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को बांस से बने कूड़ेदान में जमा करते हैं और उसे एक जगह इकट्ठा कर खेती के लिए खाद के रूप में उपयोग करते है. इस गाँव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहाँ की सफाई ग्रामवासी स्वयं करते है, सफाई व्यवस्था के लिए वो किसी भी प्रकार से प्रशासन पर निर्भर नहीं है. इस पूरे गाँव में जगह-जगह बांस के बने कूड़ेदान लगे हैं. किसी भी गाँववासी को जहां गंदगी नज़र आती है तो वे सफाई पर लग जाते है. चाहें फिर वह महिला, पुरुष या बच्चे ही क्यों न हो.
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मावलिननॉन्ग गाँव में सैलानियों के देखने के लिए कई अदभुत स्थल हैं, जैसे वाटरफॉल, पेड़ों की जड़ों से बने ब्रिज और बैलेंसिंग रॉक्स भी हैं. यह गाँव एक पहाड़ी पर स्थित है जहाँ पर बैठ कर पर्यटक शिलांग की खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं. पेड़ों की जड़ों से बने प्राकृतिक पुल या झूले जो समय के साथ-साथ मज़बूत होते जाते हैं. इस तरह के ब्रिज पूरे विश्व में केवल मेघालय में ही मिलते हैं.
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ऐसा माना जाता है कि 130 साल पहले इस गाँव को हैजे की बीमारी ने बुरी तरह से जकड़ लिया था. मेडिकल सुविधा न होने की वजह से गाँव वालों को इस बीमारी से छुटकारा पाने का एक मात्र उपाय बचा था. केवल सफाई करके ही इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता था. इस गाँव के लोगों का मानना है कि हमारे पूर्वजों ने कहा था कि तुम सफाई के जरिए ही खुद को बचा सकते हो. फिर चाहे वह खाना, घर, ज़मीन, गाँव या फिर आपका शरीर ही क्यों न हो, सफाई ज़रूरी है. यही वजह है कि घर-घर में शौचालय के मामले में भी यह गाँव सबसे आगे है और 100 में से लगभग 95 घरों में शौचालय बना हुआ है.