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पक्षी ‘हजारों मील’ का सफर कैसे करते हैं?

कुछ पक्षी प्रत्येक मौसम में प्रवास करते हैं। वे हजारों मील की यात्रा करते हुए बहुत लंबी दूरियां तय करते हैं। सबसे लंबी दूरी तय करने वालों पक्षियों में ‘बार टेल्ड गॉडविट’ भी शामिल हैं।

वैज्ञानिकों ने इनका पीछा किया तो पाया कि ये न्यूजीलैंड से अलास्का तक का सफर 3 टुकड़ों में तय करते हैं। यह दूरी 30 हजार किलोमीटर है जिसे ये पक्षी 20 दिन में तय।करते हैं। न्यूजीलैंड या ऑस्ट्रेलिया से उड़कर ये एशिया तक आते हैं।

यंहा से उड़कर ये अमेरिका के अलास्का प्रान्त तक जाते हैं। अलास्का से घर वापसी का सफर ये बिना रुके करते हैं । यह दूरी भी करीब 11,800 किलोमीटर बैठती है।

लंबी दूरी तय करने वाले कई पक्षी बिना रुके पहाड़ों, जंगलों, शहरों तथा समुद्रों के ऊपर से उडा़न भरते हैं। वे विशेषज्ञ मार्ग निर्देशक (नेवीगेटर) होते हैं। मगर वे अपना रास्ता कैसे ढूंढ लेते हैं, यह अभी तक रहस्य बना हुआ है।

वे महाद्वीपों को पार करते हैं और उसी स्थान तथा उसी घोंसले पर लौट आते हैं, जहां से उन्होंने शुरुआत की थी। वे ऐसा कैसे कर लेते हैं?

कौन-सी चीज़ उन्हें अपना पिछले वर्ष वाला घोंसला तथा घर ढूंढने में मदद करती है? वे कैसे जाने और वापिस लौटने के लिये अपना मार्ग खोज लेते हैं?

हडसोनियन गॉडविट्स‘ पक्षी उत्तर अमेरिका में अलास्का से दक्षिण अमरीका के सुदूर चिलोई टापू तक लम्बा सफर करते हैं

यहां तक कि नवजात तथा कम आयु के पक्षी, जिन्होंने पहले कभी उस मार्ग पर यात्रा नहीं की थी, पूरी सटीकता से इसे अंजाम देते हैं? घर वापिस लौटने का उनका यह कौशल वास्तव में हैरानी जनक है।

एक अनुमान यह है कि अपने गतंव्य तक पहुंचने के लिए मार्ग खोजने हेतु पक्षियों की मदद प्रसिद्ध जमीनी पहचान स्थल (लैंडमार्क्स) करते हैं। मगर रात को वे क्या करते होंगे?

यह भी सोचा जा सकता है कि रात को अपनी उड़ान के लिए वे जाने- पहचाने सितारों व तारामंडलों की मदद लेते होंगें।मगर तब क्या, जब आसमान में बादलों तथा आंधी वगैरह के कारण तारे दिखाई नहीं देते?

फिर भी नवजात पक्षी कैसे अपना रास्ता खोज लेते होंगे, जिन्होंने न तो कभी जमीनी पहचान स्थल देखे होते हैं और न ही कभी माता- पिता के साथ उस मार्ग पर गए होते हैं?

एक अन्य सिद्धांत यह है कि यात्रा के दौरान पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र उनकी मदद करता है। चुंबकीय बल की रेखाएं पृथ्वी के दो चुंबकीय ध्रुवों जोड़ती हैं। ऐसा बताया जाता है कि ये चुंबकीय रेखाएं ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रवास करने में उनकी मदद करती हैं।

जहां तक पक्षियों के प्रवास का प्रश्न है, सच यह है कि हम अभी तक अंधेरे में हाथ – पांव मार रहे हैं। इसका सटीक उत्तर अभी खोजा जाना है।

पंजाब केसरी से साभार।

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