गर्मियों में क्या करें और क्या ना करें!

गर्मी के मौसम में सूरज की तपिश और भीषण गर्मी के कारण लोगों का हाल बेहाल हो है. गर्मियों में कहीं-कहीं तो पारा 47-48 डिग्री पार कर जाता है. पूरे देशभर में गर्मी और ऊष्माघात यानि लू की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या बढ़ जाती है। गर्म हवाओं और तेज धूप के कारण लोगों को कई बीमारियां भी हो जाती हैं.

इस पोस्ट में हम गर्मियों में होने वाली परेशानियों और परेशानियों से बचने के लिए कुछ खास टिप्स आपके लिए लेकर आयें हैं।

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गर्मी में होने वाले आम रोग:

गर्मी में लापरवाही व पानी की कमी के कारण शरीर में निर्जलीकरण (dehydration), लू का लगना, चक्कर आना,घबराहट होना, नकसीर आना, उलटी-दस्त, सन-बर्न(sun-burn), घमोरिया जैसी कई बीमारियाँ हो सकती हैं.

गर्मियों में क्या न करें

  1. गर्मियों के मौसम में खुली धूप में खुले शरीर, नंगे सर, नंगे पाँव न चलें.
  2. तेज गर्मी और धूप में घर से खाली पेट या प्यासे बाहर न जाएँ. जाना जरूरी हो तो एक-दो गिलास ठंडा पानी पी लें.
  3. कूलर या एसी से निकल कर तुरंत धूप में न जाएँ.
  4. बाहर धूप से आकर तुरंत ठंडा पानी पीना और सीधे कूलर या एसी के पास ना बैठें.
  5. तेज मिर्च-मसाले, बहुत गर्म खाना, चाय, और शराब इत्यादि का सेवन ज्यादा ना करें.
  6. सूती और ढीले कपड़ो की जगह सिंथेटिक और कसे हुए कपडे ना पहनें.
  7. आधे बाजू वाली शर्ट या ऐसे कपड़े न पहने जिनसे धूप आपकी त्वचा पर पड़ती हो.

पढ़े: ऊष्माघात यानि लू क्या है और इससे कैसे बचें?

क्या करें: गर्मी और लू से राहत पाने के लिए घरेलू नुस्खे जो आपके काफी काम आ सकते हैं

    1. घर से बाहर निकलते वक़्त कच्चे आम का शरबत यानि ‘आम का पन्ना’ ज़रूर पियें. यह आपको भीषण गर्मी से तो राहत देगा और साथ ही आपको लू लगने से भी बचाएगा.
    2. गर्मियों में छाछ का सेवन काफी फायदेमंद होता है. पतली दही से तैयार होने वाला छाछ पेट को ठंडक देता है.यह गर्मियों के मौसम में होने वाली डिसेंट्री को भी दूर भगाता है.
    3. नींबू पानी हर मौसम में फायदेमंद होता है. लेकिन गर्मियों के मौसम में शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इसलिए बीच-बीच में नींबू पानी का सेवन काफ़ी कारगर साबित होता है.nimbu_pani_recipe
    4. नारियल पानी गर्मियों के लिए सबसे बेहतर है. इसमें बहुत अधिक मात्रा में कैल्शिेयम क्लोराइड और पोटैशि‍यम पाया जाता है.
    5. खीरा गर्मियों के लिए बहुत उत्तम माना जाता है. यह गर्मियों में होने वाले गैस, एसीडिटी, सीने में जलन की समस्याओं को दूर करता है
    6. गर्मी में जब भी घर से निकले, कुछ खा कर और पानी पी कर ही निकलें, खाली पेट ना निकलें.
    7. गर्मी में सूती और हलके रंग के कपडे पहनने चाहिये.
    8. चेहरा और सिर रुमाल या साफी से ढक कर निकलना चाहिये.
    9. शीतल पानी का सेवन, 3 से 6 लीटर रोजाना करें.
    10. बाजारू ठंडी चीजे नहीं बल्कि घर की बनी ठंडी चीजो का सेवन करना चाहिये.
    11. त्वचा को धूप से बचाने के लिए अच्छी सी सन-स्क्रीन (Sun Screen) त्वचा और चेहरे पर लगायें.

घरेलू उपचार प्राकृतिक होते हैं और इनसे साइड-इफैक्ट्स होने की आशंका न के बराबर होती है. फ्रूट्स से बनी क्रीम आपकी त्वचा के लिए उत्तम होती है. फिर भी किसी भी चीज को उपयोग करने से पहले अपनी त्वचा के अच्छी प्रकार को जान लें। हो सके तो इस बारे में किसी एक्सपर्ट से भी सलाह ले लें।

पढ़े: ऊष्माघात यानि लू क्या है और इससे कैसे बचें?

भारत का आखिरी गांव, जहां से है स्वर्ग जाने का रास्ता

हिमालय की खूबसूरती को शब्दों में बयां कर पाना असंभव है. हिमालय की मनमोहक वादिया किसी को भी दीवाना बना सकती हैं. लेकिन एक जगह ऐसी भी है, जिसे भारत का आखिरी गांव कहते हैं. इस गांव का नाम है माणा गांव. इसके बारे में शायद ही लोग जानते होंगे.

हम आपको बता दें कि यह गांव उत्तराखंड के चमोली जिले में और बद्रीनाथ से तीन किमी आगे समुद्र तल से 18,000 फुट की ऊँचाई पर बसा एक खूबसूरत गाँव है. यह गांव भारत-तिब्बत सीमा पर बसा है. इस गांव को देश का आखिरी गांव या सीमान्त ग्राम भी कहा जाता है.

माणा गांव में सरस्वती और अलकनंदा नदियों का संगम भी होता है तथा यहाँ कुछ प्राचीन मंदिर और गुफाएं हैं जो कि बहुत ही प्रसिद्ध हैं. जो भी भक्त ‘बद्रीनाथ’ के दर्शन के लिए आते हैं, वह माणा गाँव व भारत के आखिरी गांव में आने का मौका नहीं छोड़ते हैं.

स्वर्ग जाने का रास्ता

महाभारत काल में पांडव द्वारा बनाया गया भीम पुल

कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव जब स्वर्ग जाने के लिए यहाँ से गुजरे थे, तो वहां दो पहाड़ियों के बीच में खाई थी जिसे पार करना बहुत ही मुश्किल था. उस समय भीम ने दो बड़ी शिलाएं डालकर पुल बनाया था और पांडव इसी पुल से होकर स्वर्ग की ओर गए थे. आज भी लोग इसे स्वर्ग का मार्ग मानकर इस रास्ते से चले जाते हैं.

गणेश जी ने दिया था सरस्वती नदी को श्राप

गणेश गुफा, जहाँ गणेश जी वेदों की रचना किया करते थे

माणा गाँव में जब प्रवेश करते है तो सबसे पहले गणेश गुफा नजर आती है. ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी यहाँ पर वेदों की रचना किया करते थे तो पास में ही सरस्वती नदी अपने पूरे वेग में बहने के कारण शोर कर रही थी. जिससे गणेश जी को कार्य में बाधा पड़ रही थी. गणेश जी के आग्रह करने के बाद भी सरस्वती नदी ने उनकी बात नहीं मानी. गणेश जी ने नाराज होकर उन्हें श्राप दिया कि अब आगे वह किसी को भी नहीं दिखाई देगी. जिसके कारण ही सरस्वती नदी कुछ दूरी पर जाकर अलकनंदा नदी में मिल जाती है.

पाकिस्तान फ़ौज में मेजर बने खतरनाक ‘रॉ’ जासूस ‘ब्लैक टाइगर’ की कहानी

ब्लैक टाइगर की कहानीब्लैक टाइगर की कहानी: जासूसी करना बाएं हाथ का खेल नहीं है। और फिर बात पाकिस्तान जैसे देश में जाकर जासूसी करने की हो तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह काम जान हथेली पर लेकर चलने से कम नहीं। हर वक्त पकड़े जाने का डर, यातना और मौत का डर और अपने देश, घर-परिवार से दूर रहने और शायद कभी न मिल पाने का दुःख और साथ ही पकड़े जाने पर देश के द्वारा त्यागे जाने की मजबूरी लेकर चलना अपने आप में एक जासूस की जांबाजी, समर्पण, देशभक्ति और दिलेरी की कहानी कह देते हैं।

कौन थे रविन्द्र कौशिक

भारत माता के एक ऐसे ही जांबाज सपूत थे रविन्द्र कौशिक उर्फ़ ब्लैक टाइगर जिन्होंने अपनी जिन्दगी के 25 साल अपनी मातृभूमि की सेवा करते हुए पाकिस्तान में गुजार दिए। इनमें से सोलह यातनापूर्ण साल उन्होंने पाकिस्तान की अलग-2 जेलों में गुजार दिए लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी असली पहचान या भारतीय सेना के बारे में कोई भी जानकारी पाकिस्तान को हासिल नहीं होने दी।

ड्रामा आर्टिस्ट से बने सफल रॉ एजेंट

रविन्द्र कौशिक उर्फ़ ब्लैक टाइगर का जन्म राजस्थान के श्रीगंगानगर में 11 अप्रैल 1952 को हुआ। वह एक प्रसिद्ध थिएटर आर्टिस्ट थे। लखनऊ में आयोजित एक नेशनल लेवल ड्रामा कार्यक्रम में भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ(RAW) के एक अधिकारी ने उन्हें परफॉर्म करते हुए देखा। एक जासूस बनने के लिए जरूरी लगन, प्रतिभा और हिम्मत को उस अधिकारी ने पहचान लिया था। ‘रॉ’ ने उनसे संपर्क किया और उन्हें पाकिस्तान में भारत के एक अंडर-कवर एजेंट की नौकरी का सुझाव दिया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

रविन्द्र कौशिक को ‘रॉ’ के द्वारा दिल्ली में दो साल का गहन प्रशिक्षण दिया गया। उनका ‘खतना’ किया गया ताकि वे एक मुस्लिम ही लगें। उन्हें उर्दू और इस्लाम की मजहवी शिक्षा भी दी गयी। उन्हें पाकिस्तान के भूगोल और अन्य जरूरी जानकारी दी गयी। श्रीगंगानगर से होने के कारण पंजाबी पर उनकी अच्छी-खासी पकड़ थी जो कि पाकिस्तान के अधिकतर हिस्सों में बोली जाती है। महज 23 वर्ष की उम्र में सन 1975 में उन्हें ‘नबी अहमद शाकिर’ नाम देकर मिशन पर पाकिस्तान भेज दिया गया।

रविन्द्र कौशिक उर्फ़ ब्लैक टाइगर की एक फाइल फोटो
रविन्द्र कौशिक उर्फ़ ब्लैक टाइगर की एक फाइल फोटो

क़ानून की पढाई करने के बाद पाकिस्तानी आर्मी में बने मेजर

रविन्द्र कौशिक ने पाकिस्तान की नागरिकता लेकर पढाई के लिए कराची के लॉ कॉलेज में दाखिला लिया और क़ानून में ग्रेजुएशन किया। पढाई ख़त्म होने के बाद वह पाकिस्तानी सेना के एकाउंट्स विभाग में सिविलियन क्लर्क के रूप में भर्ती हो गए। बाद में वह  प्रमोशन पाते हुए मेजर रैंक तक पहुँच गए। इसी बीच उन्होंने वहां पर एक आर्मी यूनिट के दर्जी की बेटी अमानत से शादी कर ली तथा एक बेटी के पिता बन गये। Wikipedia

रविन्द्र कौशिक ने 1979 से लेकर 1983 तक सेना और सरकार से जुडी अहम जानकारियां भारत पहुंचाई। इस दौरान पाकिस्तान के हर कदम पर भारत भारी पड़ता था क्योंकि उसकी सभी योजनाओं की जानकारी कौशिक की ओर से भारतीय अधिकारियों को दे दी जाती थी। उनके काम से प्रभावित होकर ‘रॉ’ और तत्कालीन गृहमंत्री एसबी चव्हाण ने उन्हें ‘ब्लैक टाइगर’ का नाम दिया।

दूसरे की गलती ब्लैक टाइगर पर पड़ी भारी

1983 का साल ब्लैक टाइगर के लिए मनहूस साबित हुआ। 1983 में रविंद्र कौशिक से मिलने रॉ ने एक और निचले स्तर के ऑपरेटिव एजेंट इनायत मसीह को पाकिस्तान भेजा। लेकिन वह पाकिस्तान खुफिया एजेंसी के हत्थे चढ़ गया। लंबी यातना और पूछताछ के बाद उसने रविंद्र के बारे में सब कुछ बता दिया। रॉ की अधूरी तैयारी ब्लैक टाइगर के लिए घातक साबित हुई।

रविंद्र को गिरफ्तार कर सियालकोट की जेल में डाल दिया गया। दो साल तक पूछताछ में भारी लालच और यातना देने के बाद भी उन्होंने भारत की कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया। 1985 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, जिसे बाद में पाकिस्तान की सुप्रीम-कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया। मियांवाली जेल में 16 साल कैद काटने के बाद 2001 में टीबी और दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

मौत के बाद भी सरकार ने नहीं ली परिवार की सुध

उनकी मौत के बाद भारत सरकार ने ‘छद्म विकल्प’(Covert Option) की मजबूरी के चलते उनका शव लेने से मना कर दिया। उन्हें मियांवाली जेल के पीछे दफना दिया गया।

रविंद्र ने जेल से गुप्त तरीके से कई चिट्ठियां अपने परिवार को लिखीं। वह अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों की कहानी बताता था। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार, एक खत में उसने अपने पिता से पूछा था कि क्या भारत जैसे बड़े मुल्क में कुर्बानी देने वालों को यही मिलता है? सूत्रों के अनुसार उनकी मौत के बाद भारत सरकार ने उनकी और उनकी परिवार की कोई सुध नहीं ली।

दुश्मन देश में पकड़े जाने पर किसी भी जासूस के साथ यही त्रासदी होती है जैसा कि रवींद्र कौशिक का हुआ। सीमावर्ती इलाकों के बहुत से ऐसे लोग हैं जो कि दशकों तक पाकिस्तानी जेलों में रहकर रिहा कर दिए गए।

परिवार की मांग, ‘एक था टाइगर’ फिल्म का मिले क्रेडिट

रवींद्र के परिवार ने दावा किया की वर्ष 2012 में प्रदर्शित मशहूर बॉलीवुड फिल्म ‘एक था टाइगर’ का शीर्षक रवींद्र कौशिक के जीवन पर आधारित थी। ‘एक था टाइगर’ बॉलीवुड फिल्म में सलमान खान के कई रूपों- जासूस, प्रेमी, देशभक्त और एक बेहतरीन एक्शन फाइटर के रूप में एक साथ दिखाया गया है। ‘एक था टाइगर’ के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में केस दायर हुआ था। जयपुर के वैशालीनगर में रहने वाले विक्रम वशिष्ठ ने दावा किया था फिल्म की कहानी उनके मामा के वास्तविक जीवन पर आधारित है। उन्होंने मांग की थी कि उनके मामा को क्रेडिट दिया जाए।

दुनिया के सबसे जहरीले पौधे, पल भर में ले सकते है आपकी जान

पेड़-पौधे इंसानों के अस्तित्व के लिए कितने जरूरी हैं यह तो सभी जानते ही हैं। पेड़ न केवल हमें ऑक्सीजन देते हैं, बल्कि वातावरण को अनुकूल बनाए रखने में भी मदद करते हैं।

पेड़-पौधों से इंसान के लिए उपयोगी दवाएं मिलती हैं। जहां पेड़-पौधे इंसान के लिए बहुत उपयोगी हैं वहीं दूसरी तरफ बेहद खतरनाक और जानलेवा भी होते हैं। कुछ पौधों के बीज, फूल और फल इतने जहरीले होते हैं कि कुछ ही देर में इंसान की जान ले लेते हैं।

ये पौधे देखने में जितने खूबसूरत और आकर्षक लगते हैं, उतने ही खतरनाक और जानलेवा भी होते हैं। तो आइए जानें कुछ खतरनाक पेड़-पौधों के बारे में

विस्टेरिया (Wisteria) :

यह विस्टेरिया फूल बैंगनी रंग का होता है और यह दुनिया के हर कोने में पाया जाता है। विस्टेरिया एक रेंगने वाली बेल है जो कि 60 फीट तक बढ़ सकती हैं। देखने में यह फूल सुंदर लगता है लेकिन उतना ही खतरनाक भी होता है। इस पौधे के किसी भी हिस्से को खाने से निम्नलिखित बीमारियाँ हो सकती हैं जैसे कि माइग्रेन और सिरदर्द, सुस्ती और कमजोरी, बुखार और दस्त इत्यादि।

गुलाबी मटर (Rosary Pea):

गुलाबी मटर बारहमासी पौधा होता है जो आमतौर पर 20 फीट की ऊंचाई तक पेड़ों के आसपास लगा होता है। गुलाबी मटर भी मटर फली के आकार के होते हैं। लेकिन इसका बीज लाल रंग का होता है। इस पौधे का बीज बेहद जहरीला होता हैं। जोकि एक व्यक्ति को ख़त्म करने के लिए काफी है। इस फल के मुख्य लक्षण बुखार और पेट खराब होना, अति-उत्तेजना, दस्त और उल्टी आना आदि है।

ओलियंडर (Oleander) :

ओलियंडर एक फाणरोफाईट (Phanerophyte) झाड़ी होती है जोकि 13 फीट लम्बी हो सकती है। ओलियंडर फूल लाल-भूरे रंग के होते हैं। इस पौधे की दिलचस्प बात यह है कि इसके फूल, बीज, पत्ते, छाल और यहाँ तक की जड़ भी खतरनाक होती हैं। इनसे होने वाली बीमारियाँ नींद और थकान आना, पेट में दर्द और उल्टी आना इत्यादि है।

यूरोपीय यू (European Yew):

यूरोपीय यू पौधा यूरोप में सबसे पुराने पेड़ों में से एक है। यह 132 फीट लंबा तथा धीमी गति से बढ़ता है। इस पौधे की पत्तियाँ गहरे-हरे रंग की होती हैं जो कि खतरनाक होती है। इनसे होने वाली बीमारियाँ दिल का दौरा, साँस लेने में परेशानी, दिल की धड़कन बढ़ना आदि है।

एकोनाईट (Aconite):

यह पौधे मुख्य तौर पर यूरोप के पहाड़ी इलाकों से पाया जाता है। इस पौधे में काले-नीले रंग के फूल होते है जो कि बेहद खतरनाक होते है। इनसे होने वाली बीमारियां में चेहरे की झुर्रियां, साइनस टचीकार्डिया, पेट और सीने में परेशानी और उल्टी आना है।

 

एक ऐसा मंदिर, जहाँ प्रसाद में मिलते हैं सोने चांदी के जेवर…

जब भी हम किसी मंदिरों या धार्मिक स्थलों में जाते हैं तो हमें प्रसाद के रूप में मिठाई या फल जरूर मिलते है. लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में ऐसे मंदिर भी हैं जहां प्रसाद के रूप में भक्तों को सोने और चांदी के आभूषण दिए जाते हैं. आज हम इस लेख में भारत के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहां भक्तों को प्रसाद के रूप में मिलते हैं सोने चांदी के जेवर…

हिन्दू धर्मग्रंथों और पुराणों में धन और समृद्धि के लिए महालक्ष्मी देवी की पूजा की जाती है. मध्यप्रदेश में रतलाम नामक स्थान पर महालक्ष्मी देवी सबसे प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है. यहाँ साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है और भक्त यहां करोड़ों रुपए के जेवर और नकदी चढ़ाते हैं. खासतौर पर धनतेरस से लेकर दिवाली के दिन परिसर को सोने, चांदी और नोटों की मालाओं से सजाया जाता है.

लेकिन भक्त यहां से खाली हाथ नहीं जाते है. दिवाली के बाद जाने वाले भक्तों को आभूषण और नगदी, प्रसाद के रुप में दी जाती है. प्रसाद को लेने के लिए लोग दूर-दूर से इस मंदिर में पहुंचते हैं. लेकिन प्रसाद के रूप में मिलें आभूषण और नगदी को लोग माता का आशीर्वाद मानते है और हमेशा संभाल कर रखते हैं.

विश्व के विभिन्न देशों के अजीबोगरीब नियम!!

दुनिया में ऐसे ऐसे कानून बनाए गए है जिन पर यकीन कर पाना बहुत ही मुश्किल है. आज हम कुछ ऐसे ही अजीबोगरीब नियमों के बारे मे बात करेंगे.

गम चबाना सिंगापुर में अवैध है

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आपने कभी सोचा है की गम चबाने से आपको जेल हो सकती है? जी हाँ, ऐसा हो सकता है. 1992 के बाद से सिंगापुर में गम चबाना अवैध है. अगर आप गम चबाते पकड़े जाते है तो आपको जेल तक हो सकती है. सिंगापुर में गम के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. नियम के तहत सिर्फ निकोटीन गम का ही उपयोग कर सकते है वो भी तब, जब किसी डॉक्टर से लिखवा कर लाए हो.

अमेरिका के यूटा राज्य में पहले चचेरे भाई के साथ विवाह पर प्रतिबंध है.

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अमेरिका के यूटा राज्य में चचेरे भाई से साथ शादी नहीं कर सकते हैं, लेकिन फिर भी शादी करना चाहते है तो उसके लिए एक नियम बनाया गया है जिसमे दोनों 65 साल की उम्र के बाद ही शादी कर सकते हैं.

जापान में अधिक वजन बढ़ाना अवैध माना जाता है.

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कैलिफोर्निया में महिलाओं को ड्रेसिंग गाउन पहनकर गाड़ी चलाने की अनुमति नहीं हैं.

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सऊदी अरब में महिलाएं गाड़ी नहीं चला सकती, क्योंकि यहां के नियम के अनुसार महिलाओं को गाड़ी चलाना अपराध है.

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फ्रांस में महिलाओं का पैंट पहनना गैरकानूनी है.

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यूरोपियन देश साइप्रस में कार में कुछ भी नहीं खा पी सकते है यहाँ तक कि आप पानी भी नहीं पी सकते है. कार में पानी पीना भी अपराध है.

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संयुक्त राज्य अमेरिका के मिनेसोटा में एक अजीब ही कानून है जिसके तहत महिला और पुरुष के अंडरवियर एक साथ सूखने नहीं डाल सकते है.

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दुनिया में सिर्फ फिलीपींस और वेटिकन ही ऐसे देश है जहां तलाक लेना अवैध माना जाता है.

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भारतीयों द्वारा माने जाने वाले 10 अंधविश्वास और उनके पीछे संभावित तर्क!

भारत में लोगों द्वारा माने जाने वाले 10 अंधविश्वास और उनके पीछे सम्भावित तर्क

भारत एक ऐसा देश है जहाँ आज के तकनीकी युग में भी लोगों द्वारा कई अंधविश्वास माने जाते हैं. जो आपको हैरान कर देंगे. हम भारतीय खुद को कई बार अंधविश्वासों और तकनीकी युग के बीच खड़े हुए पाते हैं. इन अंधविश्वासों पर सवाल उठाना हमारे लिए बहुत ही जरूरी बनता जा रहा है. यह हैं 10 अंधविश्वास जो भारतीय लोगों द्वारा आज भी माने जाते हैं. अंधविश्वास से जुड़े कुछ और दिलचस्प तथ्य जानने के लिए यहाँ क्लिक करें 

सूर्य ग्रहण के दौरान घर के बाहर पैर नहीं रखने का अंधविश्वास

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अपनी आँख से सूर्य ग्रहण को देखने से आँखों की दृष्टि खत्म होने का डर रहता है. हमारे पूर्वजों ने शायद इसी वजह से सूर्य ग्रहण को नुकसानदायक समझा और फिर सूर्य ग्रहण के समय लोगों को घर से ना बाहर निकलने का नियम बनाया और पीड़ी दर पीड़ी यह अंधविश्वास चलता गया और आज भी भारतीय इस अंधविश्वास को मानते हैं.

उत्तर दिशा की तरफ सिर करके नहीं सोना

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हमारे पूर्वज जानते थे कि मानव के शरीर और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में क्या संबंध हैं. इस वजह से हमारे पूर्वजों ने नियम बनाया होगा कि हमें दक्षिण की तरफ सिर करके सोना चाहिए क्योंकि उत्तर कि तरफ सर करके सोने से हमें रक्तचाप जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने इस वजह के पीछे यह अंधविश्वास जोड़ दिया कि उत्तर की तरफ से मरने का खतरा बढ़ जाता है.

रात के समय पीपल के पेड़ के पास नहीं जाना

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जन वन हेल्मोंत (Jan van Helmont) ने 17वीं सदी में खोजा था कि पौधे सूरज से रौशनी लेकर बढ़ते हैं. उससे पहले लोगों को यह तक पता नहीं था कि सूरज कि रोशनी और कार्बन डाइऑक्साइड का पौधों से क्या संबंध होता है? लेकिन हमारे पूर्वजों को प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के बारे में पता था जिससे उन्होंने लोगों को रात के समय पेड़ों के नजदीक सोने के लिए मना कर दिया था. लेकिन लोगों ने पीपल के पेड़ के साथ यह तथ्य जोड़ लिए कि पीपल के पेड़ पर भूत रहते हैं इसलिए इस पेड़ के पास रात के समय नहीं जाना चाहिए.

 नींबू और मिर्ची का इस्तेमाल बुरी नजर से बचने के लिए करना

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इस अंधविश्वास को “नींबू टोटका” भी कहते हैं, नींबू और मिर्ची में बहुत विटामिन होते हैं. इसी वजह से पूर्वजों द्वारा नींबू और मिर्ची का इस्तेमाल शादी जैसे अवसरों पर किया जाता था क्योंकि वह नींबू और मिर्ची को अच्छा प्रतीक मानते थे. लेकिन धीरे-धीरे लोग नींबू और मिर्ची को बुरी नजर से बचाने वाला प्रतीक मानने लगे.

 अंतिम संस्कार समारोह में भाग लेने के बाद स्नान

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हमारे पूर्वजों के पास हेपेटाइटिस, चेचक और अन्य घातक रोगों से बचने के लिए टीकाकरण जैसी चिकित्सक सुविधाएं नहीं थी. इसलिए उन्होंने इन घातक बीमारियों से बचने के लिए कई नियम बनाये. उनमें से एक था कि किसी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद घर आकर स्नान करना चाहिए. जिससे लोग इन घातक बीमारियों से बच सकते हैं. लेकिन धीरे-धीरे इस नियम को अंधविश्वास बना दिया गया इस नियम से भूत प्रेतों की कहानियां जोड़ दी.

 मृत व्यक्ति के परिवार वालों को घर में श्राद्ध तक खाना नहीं पकाने का अंधविश्वास

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हमारे पूर्वजों ने यह भी एक नियम बनाया था कि घर में अगर किसी कि मृत्यु होती है तो परिवार वालों को खाना नहीं पकाना चाहिए. यह नियम इसलिए बनाया था क्योंकि मृत व्यक्ति के सभी परिजन तो शोक में डूबे होते हैं. जिससे उनको बहुत थकान होती है और खाना पकाने में बहुत मुश्किल आती है. लेकिन आज के दौर में भारतीयों ने इस नियम को अंध विश्वास मान लिया और इसके पीछे एक काल्पनिक सोच रख दी कि अगर वह अंतिम संस्कार वाले दिन घर में खाना बनाएंगे तो मृतक के शरीर की आत्मा को शान्ति नहीं मिलेगी.

 सूर्यास्त के बाद अपने नाखूनों को नहीं काटना चाहिए

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हमारे पूर्वजों ने सूर्यास्त के बाद नाखूनों को इसलिए काटने के लिए मना किया था क्योंकि सूर्यास्त के बाद अँधेरे में नाखून काटना हमारे लिए नुकसानदायक हो सकता है. लेकिन लोगों ने इसके पीछे भी अंधविश्वास बना डाला जिससे लोग अपने नाख़ून दिन में ही काटते हैं अगर रात में रोशनी हो तब भी नहीं काटते.

 कुछ निश्चित दिनों पर बाल नहीं धोने चाहिए

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यह भी पूर्वजों द्वारा एक नियम बनाया गया था कि लोगों को पानी बचाने के लिए कभी-कभी अपने सर के बाल नहीं धोने चाहिए. धीरे-धीरे यह लोगों में अंधविश्वास बन गया.

 शाम के समय झाड़ू लगाने से बुरा समय आता है

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आचरण और अनुशासन भारतीय समाज की आधारशिला है. लेकिन भारतीयों में यह अंधविश्वास भी है कि सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू लगाना किस्मत के लिए बुरा होता है. लेकिन असल में पूर्वजों ने यह नियम इसलिए बनाया था कि अगर आप सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाते हो तो कम रोशनी के कारण आप जमीन पर गिरी कोई विशेष वस्तु को भी खो सकते हो.

 घर से बाहर निकलने से पहले चीनी और दही खाना

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भारत का पर्यावरण अत्यधिक गर्मी वाला है. इस पर्यावरण में दहीं आप पर एक शीतल प्रभाव छोड़ता है और इसमें थोड़ी मात्रा में चीनी मिलाने से दहीं एक तरह का ग्लूकोज बन जाता है. जो मनुष्य के शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. लेकिन भारतीयों ने मीठी दही को अच्छी किस्मत का प्रतीक मान लिया.

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सर्प द्वीप – यहाँ चलता है सांपों का राज!

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ब्राज़ील के साओ पाउलो (Sao Paulo) से 93 मील दूर समुद्र के बीचोबीच स्थित इल्हा दे क्वेइमाडा ग्रैंड ( Ilha de Queimada Grande) आइलैंड है. जहाँ दुनिया के सबसे विषैले सांप पाए जाते हैं. जो पल भर में किसी की भी जान ले सकते है. इस आइलैंड पर जहरीलें गोल्डन पिट वाइपर पाए जाते हैं. इस आइलैंड को गोल्डन लांसहेड सांप की प्रजाति का घर भी कहा जाता है.

मार्सेलो दुआर्ते एक जीवविज्ञानी है जिन्होंने 20 से अधिक बार इस आइलैंड का दौरा किया है. उनका कहना है कि इस आइलैंड पर सांपो की संख्या इतनी अधिक है कि हर एक वर्ग मीटर में पांच सांप रहते है.

इन सांपो की गिनती विश्व के सबसे जहरीले सांपो में की जाती है. यह सांप इतने जहरीले होते हैं कि अगर किसी को काट ले तो आदमी 10 से 15 मिनट के अंदर मर जाता है. ब्राज़ील मे अधिकतर 90 प्रतिशत लोगों की मौत साँपो के काटने से होती है.

जीवविज्ञानी भी इस बात को मानते हैं कि गोल्डन लांसहेड(lanceheads) सांप सबसे जहरीले होते है. इसलिए ब्राजील नौसेना ने इस आइलैंड पर किसी को भी जाने से मना किया है.

स्थानीय लोगों के अनुसार ब्राजील का यह आइलैंड शुरु से ऐसा नहीं था. इस आइलैंड पर पहले सांप बहुत कम पाए जाते थे. इल्हा दे क्वेइमाडा ग्रैंड आइलैंड के तट के पास एक लाइट हाउस बना हुआ है जोकि ब्राजील नौसेना द्वारा बनाया गया था. इस लाइट हाउस में नौसेना का कर्मचारी काम किया करता था. इस आइलैंड में वह कर्मचारी अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ इस लाइट हाउस में रहते थे.

स्नेक आइलैंड पर धीरे धीरे सांपो की तादाद बढ़ने लगी और तट के आस पास के इलाकों में भी सांपो की संख्या बढ़ने लगी. इस लाइट हाउस में रहने वाला कर्मचारी व् उसका परिवार जहरीलें गोल्डन पिट वाइपर सांपो का शिकार बन गए थे. सांपो के काटने से उनका शरीर काला पड़ गया था.

इस आइलैंड से जुड़ी एक और घटना है. ब्राज़ील के इल्हा दे क्वेइमाडा ग्रैंड आइलैंड में केले के बहुत सारे पेड़ पाए जाते हैं. बताया जाता है कि एक बार एक व्यक्ति अपने साथियों के मना करने के बावजूद केले लेने इस आइलैंड के अंदर चला गया और सांपो के काटने के कारण उसकी मृत्यु हो गयी. इस घटना के बाद आइलैंड पर इंसानों के जाने पर प्रतिबद्ध लगा दिया था.

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एलोवेरा से होने वाले फायदे और नुकसान

एलोवेरा से होने वाले फायदे और नुकसान : एलोवेरा औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है. इस पौधे की पत्तियों में बहुत सारा तरल पदार्थ भरा होता है, जिसमें 12 तरह के विटामिन, 18 अमीनो एसिड, 20 खनिज, 75 पोषक तत्व और 200 सक्रिय एंजाइम पाये जाते हैं. इसलिए यह हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है और इसे घृतकुमारी, ग्वारपाठा, एलोवेरा संजीवनी आदि नामों से भी जाना जाता हैं. एलोवेरा की 200 से अधिक प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है. एलोवेरा पौधे के रस में कई रासायनिक तत्व भी पाए जाते हैं. आइये जानते है इसके उपयोग से होने वाले फायदे और नुकसान…

एलोवेरा से होने वाले फायदे

  • यदि आप खाने को न पचा पाने की समस्या से या पेट में गैस बनने से परेशान है तो एलोवेरा के सेवन से आप इस समस्या से निजात पा सकते है. आइये हम बताते है कि इसका उपयोग कैसे करें. इसके लिए आप 20 ग्राम एलोवेरा के रस में शहद और नींबू मिलाकर इसका सेवन करें. यह पेट की बीमारी को दूर करने के साथ ही पाचन शक्ति को भी बढ़ाता है.
  • अक्सर देखा गया है कि कब्ज की समस्या सभी को होती है चाहे वह किसी भी उम्र का क्यों न हो. इस समस्या से निजात पाने के लिए एलोवेरा रस का सेवन कर सकते है. इसके अलावा सुबह-शाम सेवन करने से यकृत (liver) की कार्यक्षमता को भी बढता है.
  • एलोवेरा इम्युनी सिस्टम क्षमता बढ़ाने में सहायता करता है. जिससे शरीर में चुस्ती व स्फूर्ति बनी रहती है.
  • एलोवेरा शरीर की अंदरूनी सफाई करता है और शरीर को रोगाणु से मुक्त रखने में मदद करता है. यह शरीर की नस, नाड़ियों आदि की सफाई करता है.
  • मोटापा सबसे गंभीर समस्या है. जो ह्रदय रोग होने का मुख्य कारण बनती है. मोटापे से शरीर में तेजी से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और रक्तवाहिनियों (Blood vessels) में वसा का जमाव होता है. ऐसी स्थिति में एलोवेरा का रस बेहद फायदेमंद होता है. एलोवेरा जूस रोजाना 20 मिली-30 मिली की मात्रा में पीने से शरीर में तन्दुरूस्ती तथा ताजगी का अहसास होता है तथा इससे शरीर के अनुकूल रहता है.
  • जख्म, घाव, जलन और मुंह के छालों की समस्या को दूर करने में भी एलोवेरा मदद करता है.
  • एलोवेरा कैंसर जैसे खतरनाक बिमारियों से लड़ने में मदद करता है.
  • जुकाम या खांसी, सर्दियों में होने वाली आम बीमारियाँ है, इससे निजात पाने के लिए 5 ग्राम एलोवेरा रस में शहद मिलाकर सेवन करें.
  • अगर आपके बाल जड़ से खत्म हो रहे हैं, तो इसका रस सिर पर निरंतर लगाते रहने से नए बाल आने लगते है.

एलोवेरा से होने वाले नुकसान:
यह तो हम सब जानते है कि एलोवेरा बहुत ही फायदेमंद होता है, लेकिन जहां फायदे है वहां नुकसान भी देखने को मिलता है. जैसे कि…

  • यदि आप ने एलोवेरा रस, लंबे समय से रखा हुआ है या उपयोग कर रहे है तो इसमें पोटेशियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स (Electrolyte) की हानि का कारण बन सकती है.
  • एलोवेरा का उपयोग गर्भावस्था या मासिक धर्म के दौरान न करें.
  • मधुमेह के रोगी इसे बिना डाक्टर के परामर्श के न लें.
  • यदि कोई बवासीर, जिगर या पित्ताशय से पीडि़त है तो इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले.

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