यह VIDEO क्लिप देख बलात्कारियों की कांप उठेगी रूह!

लगभग 25-26 साल के युवक से नर्स पूछती है कि क्या उसने सच में रेप किया है। इस पर लड़का झल्लाता हुआ बोला हां किया है लेकिन किस्मत खराब थी और पकड़ा गया। इस पर नर्स कहती है तो क्या पहले भी तुमने रेप किए हैं। लड़का हँसते हुए हां में जवाब देते हुए कहता है लेकिन पहले कभी पकड़ा नहीं गया। इसके बाद वह नर्स को छेड़ते हुए कहता है तुम भी कभी अकेले में मिलना मुझे। यह सुनकर नर्स हंस पड़ती है और कहती है, तुम अब कुछ नहीं कर पाओगे, इस पर लड़का कहता है कोई बात नहीं मैं जल्दी ठीक हो जाऊंगा, फिर मिलना। इस पर नर्स कहती है पहले खुद को अच्छे से देख तो लो कि तुम अब कुछ करने के काबिल रहे हो या नहीं।

हालांकि यह वीडिया काफी पुराना है लेकिन इसे फेसबुक पर बहुत ज्यादा शेयर किया जा रहा है। 5 मिनट 11 सेकेंड के इस वीडियो में दिखाया गया है कि रेप का एक आरोपी लोगों से पिटने के बाद अस्पताल में भर्ती होता है. उसके पास एक नर्स बैठी है. आरोपी अपने परिवार वालों के बारे में पूछता है तो नर्स जवाब देती है तुम्हें मिलने कोई नहीं आया।

नर्स उसे बताती है कि उसका प्राइवेट पार्ट लोगों ने काट दिया है। यह सुन लड़का बदहवास सा हो जाता है और पागलों की तरह रोने लगता है। जब खुद पर बीतती है तो दर्द का एहसास होता है तो फिर लड़कियों को एक वस्तु की तरह क्यों समझा जाता है।

देखें वीडियो:

महिलाओं के साथ रेप की घटनाएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। दिल्ली की 16 दिसबंर, 2012 की काली रात को कोई नहीं भूल सकता जब निर्भया के साथ दरिंदगी हुई। कुछ ऐसी ही हैवानियत हरियाणा की एक महिला के साथ भी हुई। भले ही आरोपी पुलिस हिरासत में हों लेकिन भारत में सजा की प्रक्रिया बहुत धीमी है। इस वीडियो में सोशल मीडिया पर यह सन्देश वायरल हो रहा है जिसमें दिखाया गया है कि रेप के आरोपी को ऐसी सजा देनी चाहिए जो उसके लिए ही नहीं अन्य बलात्कारियों के लिए कड़ा संदेश हो।

रेप केवल लड़कियों के शरीर से नहीं होता बल्कि उनके मन और आत्मा का भी रेप होता है। रेप की शिकार महिलाएं सभ्य और सुरक्षित समझे जाने वाले समाज में खुद को अजीब सी हालत में पाती है. घर, परिवार, पुलिस, सरकार, देश, दुनिया उन्हें बेकार लगती हैं. आप कल्पना करें कि कोई आपको बिना वजह एक थपड़ मार दे और आप कुछ न कर पायें. कितनी जिल्लत और बेइज्जती का एहसास होता है. फिर रेप तो मन, मस्तिस्क और औरत के पूरे आस्तित्व को ही तार-तार कर देता है. अच्छा हो हम अपने बेटों को संस्कार में अच्छे और बुरे का फर्क समझाएं.

लोगों की वीडियो पर कड़ी प्रतिक्रिया आ रही है। कईयों ने लिखा कि इसके हाथ-पैर भी काट देने चाहिए थे

कभी थे भरे-पूरे शहर, अब पड़े हैं वीरान, जाने वजह!

पृथ्वी पर मानव जीवन का इतिहास सदियों पुराना है. पृथ्वी के लगभग हर कोने में लोग बसते हैं. लेकिन दुनिया में कुछ ऐसी जगहें भी हैं जो पहले जीवन से भरपूर, हरी-भरी और आबाद थीं लेकिन अब पूरी तरह से वीरान हैं.

आज हम आपको दुनिया की कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जो किसी न किसी वजह से वीरान हो गईं और अब वहां खंडहर और खामोशी के सिवा और कुछ भी नहीं है.

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प्रिप्यात (Pripyat), युक्रेन

प्रिप्यात(Pripyat) शहर, पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रहे यूरोपियन देश यूक्रेन का एक वीरान शहर है. 1980 के दशक में यह शहर चेर्नोबिल(Chernobyl) परमाणु उर्जा संयंत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए बसाया गया था. 26 अप्रैल 1986 को चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र में हुई भयंकर दुर्घटना के चलते इस शहर को खाली कर दिया गया था. इस विस्थापन में तीन से पांच लाख लोग प्रभावित हुए थे. चेर्नोबिल दुर्घटना में हालाँकि 31 लोगों की मौत हुई थी, फिर भी आर्थिक नुक्सान और विस्थापितों की संख्या के मामले में यह इतिहास की सबसे भयंकर परमाणु ऊर्जा संयंत्र दुर्घटना थी. तब से लेकर रेडियोएक्टिव वातावरण के कारण चेर्नोबिल और प्रिप्यात शहर वीरान हैं.

चैतन, चिली (chaiten, chile)

दक्षिण अमेरिकी देश चिली का चैहेटेन(Chaitén) शहर कोरकोवाडो की खाड़ी में येलचो नदी के पूर्वी तट पर स्थित है. 2 मई 2008 में भयानक ज्वालामुखी विस्फोट से चलते 12 मई 2008 को पास की ब्लांको नदी में राख और कीचड की भयानक बाढ़ आई जिससे शहर तबाह हो गया और इसकी 4000 की आबादी को दूसरी जगह जाना पड़ा. तब से यह शहर खाली और सुनसान पड़ा है.

राईलाईट (rhyolite)  नेवादा अमेरिका

राईलाईट, अमेरिका के नेवादा राज्य में स्थित है. 1905 में इस शहर को बसाया गया था. यहां पर सोने की खदानें हुआ करती थीं. लेकिन धीरे-धीरे सोने की खदानों में होने वाली गिरावट से कंपनी को स्टॉक मूल्य में काफी गिरावट हुई. इसलिए 1911 में राईलाईट को बंद करने का फैसला किया गया. उस समय राईलाईट की जनसंख्या 1,000 के करीब थी. लेकिन, 1920 तक आते आते यह शहर बिलकुल खाली और वीरान हो गया. तब से लेकर आज तक यह शहर खाली और सुनसान पड़ा हुआ है.

वर्सो, साइप्रस


वर्सो (Varosha), उत्तरी साइप्रस के फमाकुस्ता (Famagusta) शहर के दक्षिण भाग में स्थित है. 1974 में तुर्की द्वारा किये गए हमले से पहले यह उत्तरी साइप्रस शहर का आधुनिक पर्यटन क्षेत्र हुआ करता था. हमले के बाद तुर्की सशस्त्र बलों ने इसे अपने कब्जे में ले लिए. लेकिन बाद में तुर्की सशस्त्र बलों के कब्जे से उसे छीन लिया था. तुर्की सशस्त्र बलों ने इस जगह को काफी नुकसान पहुंचाया था. जिसके कारण उत्तरी साइप्रस सरकार ने 2016 में इस इस शहर को भूत शहर के रूप में वर्णित किया और जनता को यहाँ आने की अनुमति नहीं हैं.

वीडियो: चैम्पियन ट्राफी का मैच देखने पहुंचे विजय माल्या, लोग चिल्‍लाने लगे ‘चोर-चोर’

भारत से फरार वांछित शराब व्यवसायी विजय माल्या भारत और द. अफ्रीका के बीच चल रह मैच को देखने तो गए लेकिन उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें भारतीय दर्शकों के हाथों बेइज्जत होना पड़ेगा. हुआ यह कि जैसे ही वह एंट्री गेट पर पहुंचे तो भारतीय दर्शकों ने उन्हें देख कर हूटिंग शुरू कर दी.

भारतीय दर्शक उन्हें देखते ही उनकी और बढ़ना शुरू कर दिया और थोड़ी देर में ही चोर चोर चिल्‍लाना शुरू कर दिया। कुछ लोग इस तरह भी चिल्लाते सुने गये, ‘हे माल्या..’, और ‘चोर साले..’. हालांकि विजय माल्या ने लोगों की बातों का जवाब नहीं दिया और वह सीधे स्टेडियम के अंदर चले गए।

वीडियो:

इससे पहले भी माल्या भारत के दोनों मैच देखने पहुंचे थे। श्रीलंका के साथ मैच के बाद एक उन्होंने कहा था कि वह क्रिकेट के प्रशंसक हैं और मैच का लुत्फ लेने आए हैं। इससे पहले बर्मिंगम में माल्या की सुनील गावसकर के साथ एक तस्वीर सोशल मीडिया में काफी वायरल हुई थी। दावा किया जा रहा है कि बर्मिंघम में भारत-पाक मैच के दौरान वह गावसकर से मिले थे।

विजय माल्या पर कई बैंकों का 9 हजार करोड़ रुपए का बकाया है और वह भारत से फरार हैं. एक तरफ तो देश की कई क्राइम जांच एजेंसियां उन्हें ढूंढ रही हैं, दूसरी तरफ वो आराम से टीम इंडिया के मैच देख रहे हैं।

गौरतलब है कि माल्या पिछले साल 2 मार्च से देश से फरार हैं और वह ब्रिटेन में आराम से रह रहे हैं। भारत ने माल्या के पकडऩे की कोशिशें जारी रखी हुई हैं लेकिन अब तक सफलता हासिल नहीं हुई है।

चुड़ैल ने कमरा गिराने का काम रोका, तांत्रिक ने पूजा करके पूरा करवाया!

पुराने भवन को गिराने में लगे मजदूरों को अचानक ऐसी चीज दिखी कि उनके पैरों तले जमीन खिसक गई और सभी मजदूर चुड़ैल से डरकर भाग गए। दरअसल यह मामला कुछ दिन पहले हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के नादौन में सामने आया था।

नादौन में पुराने तहसील भवन के एक कमरे को गिराने के लिए कुछ मजदूर आये. जैसे ही वे कमरे को गिराने लगे, कमरे से अजीब सी आवाजें आने लगी जिससे कि मजदूरों के होश उड़ गए। आवाजों के अलावा इन्हें एक चुड़ैल रुपी औरत भी दिखाई देने लगी जो बार बार एक ही बात दोहरा रही थी, कि काम रोक दो-काम रोक दो।

इस अचानक आई मुसीबत से डरे मजदूरों ने काम बंद कर दिया। यहां काम करने वाले मजदूरों अनिल, सुमित, संजार ने बताया कि भवन के एक कमरे को उखाड़ते वक्त एक चुड़ैल रुपी औरत बार-बार दिखाई देने लगी। यही नहीं, शाम सात बजे एक मजदूर अनिल कुमार काम करते वक्त वहां गिर पड़ा और उसके हाथ पर रहस्यमयी चोट भी लगी। इसे 17 टांके लगवाने पड़े।

मजदूरों का कहना है कि रात को सपने में भी एक महिला एक बच्चे के साथ दिखाई देती है और कहती है कि इस भवन के चार कमरों में से एक कमरे को न गिराया जाए। अगर इसे गिराया गया तो जान-माल का नुकसान होगा। रात के समय जब उस कमरे की तरफ जाते हैं तो ऐसा महसूस होता है कि कोई वहां पर है। मजदूरों ने बताया कि तीन कमरों में ऐसी कोई हरकत नहीं है। घबराए मजदूरों ने काम बंद कर दिया और ठेकेदार को इसकी सूचना दी। बाद में ठेकेदार ने एक तांत्रिक मोहम्मद इब्राहिम को यहां बुलाया जिसने यहां पूजा-पाठ किया।

नादौन में चुड़ैल ने काम रोका
तांत्रिक के पूजा पाठ करने के बाद ही काम शुरू हो सका

तांत्रिक मोहम्मद इब्राहिम का कहना था कि यहां पर कई साल पहले एक महिला और पुरुष की मौत हुई थी। जिनके कारण यहां पर कार्यरत मजदूर प्रेत-आत्माओं से भयभीत हो रहे थे। तांत्रिक की पूजा पूरी होने के बाद मजदूर काम के लिए मौके पर पहुंचे और कार्य शुरू किया।

वहीं, ठेकेदार विजय धवन का कहना था कि वह अब तक दो सौ से ज्यादा पुराने भवन गिरा चुका है, लेकिन ऐसी घटना उनके जीवन में पहली बार हुई है। हालांकि, मजदूरों की बातों में कितनी सच्चाई है, इस पर अभी भी संशय बरकरार है। फिलहाल भवन गिराने का काम पूरा कर लिया गया है।

भूत जो राहगीरों से मांगता है पानी, भूत की सच्ची कहानी!!

लचुलुंग दर्रे के 22 मोड़ में भूत मंदिर, भूत की सच्ची कहानी
लचुलुंग दर्रे के 22 मोड़ में भूत मंदिर

आपने भूत-प्रेतों से जुड़े बहुत सारे किस्से सुने होंगे। कुछ लोग भूत-प्रेतों पर विश्वास करते हैं जबकि कुछ लोगों का मानना है कि यह केवल किस्से और कहानियां की बातें हैं. लेकिन इस पोस्ट को पढ़ कर शायद आपके रौंगटे खड़े हो जाएँ क्योंकि यहाँ हम एक भूत की की सच्ची कहानी बता रहे हैं.

लचुलुंग दर्रे का भुतहा 22 मोड़

मनाली-लेह मार्ग पर सरचू से 54 किलोमीटर दूर 16,616 फीट (5,059 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है लचुलुंग दर्रा (Lachulung La). यह मनाली से 278 किमी दूर लचुलुंग दर्रा जम्मू-कश्मीर के लेह जिले में पड़ता है. खैर, यह पोस्ट एक भूत की सच्ची कहानी के बारे में है.

लचुलुंग  दर्रे के पास 22 मोड़ नामक जगह से गुजरने वाला हर वाहन चालक यहां पर बने ‘भूत मंदिर’ में पानी की एक बोतल चढ़ा कर ही आगे बढ़ता है. गाँव के लोग मानते हैं कि जो लोग जानबूझ कर भी पानी की बोतल नहीं चढ़ाते, उनके साथ कोई न कोई अनहोनी हो जाती है। ऐसा गांव वालों का विश्वास और धारणा  है जो कि इन लोगों के तजुर्बे से बनी है.

भूत की सच्ची कहानी

इसके पीछे एक रोचक कहानी है। गाँव वालों के मुताबिक लगभग 8 साल पहले एक ट्रक लेकर ड्राईवर और कंडक्टर लेह जा रहे थे. लचुलुंग-ला के पास 22 मोड़ नामक जगह पर उस ट्रक का एक्सीडेंट हो गया और कंडक्टर इसमें गंभीर रूप से घायल हो गया.

कहते हैं कि ड्राईवर घायल कंडक्टर को छोड़कर भाग गया। वहीं कुछ लोग बताते हैं कि यह ड्राईवर दूर पंग गांव में मदद के लिए गया मगर उसे वापस लौटते काफी देर हो गई। उसी रात वहां से गुजर रहे एक अन्य ड्राईवर ने उस घायल कंडक्टर को देखा तो वह पानी-पानी चिल्ला रहा था।

दर्दनाक मौत के बाद भटकने लगी आत्मा

जब तक ड्राईवर पानी लाता उसकी मौत हो चुकी थी। बिना खाने और पानी के उसकी दर्दनाक मौत हो चुकी थी। कहते हैं इसके बाद से उसकी आत्मा यहां पर भटकने लगी।

बताया जाता है कि कंडक्टर की लाश को यहीं पर दफना दिया गया था। इसके बाद से ही यहां पर डरावनी घटनाएं होने लगी। आते जाते चालकों को एक लड़के की आत्मा डराने लगी और यह लड़का भी लोगों को दिखने लगा। यह आते जाते चालकों से खाने के लिए सामान मांगता था। जो लोग उसे यह नहीं देते थे वह किसी न किसी हादसे का शिकार होने लगे। बाद में यहां पर मंदिर बना लिया गया और लोग वहां खाने की चीजें और मिनरल वार्टर की बोतलें चढ़ाने लगे। यहाँ मिनरल वाटर की बोतलों का ढेर देखा जा सकता है. लोग कहते हैं भूत इस मंदिर में मिनरल वाटर पीता है।

भूत की सच्ची कहानी, बोतलों का ढेर
लचुलुंग के भूत मंदिर में बोतलों का ढेर

क्या कहते हैं स्थानीय निवासी?

लाहौल के वयोवृद्ध इतिहासकार छेरिंग दोरजे बताते हैं यह एक भूत की सच्ची कहानी है. उनके अनुसार यह बात दस साल पहले की है।

लचुलुंग दर्रा (Lachulung La) भूत की सच्ची कहानी
लचुलुंग दर्रा (Lachulung La) के आस पास का दृश्य

ट्रक ड्राइवर सुरेंद्र कुमार, राजू राम, नंद किशोर और भागसेन के अनुसार इस मार्ग से गुजरते समय ड्राइवर-कंडक्टर यहां आत्मा के लिए पानी की बोतल छोड़ते हैं।

एसआरटीसी केलांग डिपो के चालक रमेश लाल ने बताया कि कई ड्राइवर उन्हें बता चुके हैं उन्होंने उस आत्मा की चीख सुनी है जो पानी मांगती है। डर से ही सही यहां ड्राइवर पानी की बोतलें छोड़ते हैं।

यह भूत की सच्ची कहानी है या झूठी कहानी यह तो भगवान ही जाने लेकिन यहाँ पर लगे बोतलों का ढेर कुछ तो जरूर कहता है.

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क्या गर्मियों में अंडे खाना चाहिये? जबाव है इस पोस्ट में!

एक पुरानी कमर्शियल ऐड थी जिसमें एक स्लोगन था, ‘सन्डे हो या मंडे रोज खाओ अंडे’. क्या यह स्लोगन गर्मियों के मौसम में भी लागू होता है? अधिकतर लोगों का मानना है कि गर्मियों में अंडा खाना सेहत को नुक्सान पहुंचाता है. कुछ लोग मानते हैं कि गर्मियों में अंडे खाने से मुहांसे यानी pimples निकलते हैं. इन सारी बातों में कितनी सच्चाई है आइए जानते हैं इस पोस्ट में.

पहले देखें यह विज्ञापन वीडियो, जिसमें स्वर्गीय दारा सिंह अंडे खाने को प्रेरित करते दिखाए गये हैं.

पोषक तत्वों से भरपूर है अंडा

अंडे में विटामिन ए और डी का मुख्य स्रोत हैं जो हमारी हड्डियों को मजबूती प्रदान करती हैं ।इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, जस्ता, आयोडीन भी पाया जाता है। इसमें विटामिन बी2, कम मात्रा में वसा और कोलेस्ट्रॉल होता है , उच्च मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इस तरह से अंडा पोषक तत्वों का एक बड़ा स्रोत है. ये पोषक तत्व हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।

अंडा खानागर्मियों में अंडा खाना नुक्सानदायक हैं, यह केवल भ्रान्ति

विशेषज्ञो का मानना है कि गर्मियों में अंडे खाना पूरी तरह से सुरक्षित है । अंडे में विटामिन और खनिज होते हैं जिनकी वजह से शरीर में पूरे दिन ऊर्जा बनी रहती है। किसी भी अन्य मौसम की तरह हर रोज 2-3 अंडे खाना नुक्सान दायक नहीं है. वैसे भी गर्मियों में भूख कम लगती है इसलिए अंडे खाने से इसकी भरपाई की जा सकती है।

एक और भ्रान्ति है कि अंडे खाने से पिम्पल्स होते हैं. यह पूरी तरह से गलत धारणा है और किसी भी रिसर्च में ऐसा संकेत नहीं मिला है।

हालाँकि, अंडे में अधिक मात्रा में प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व होते हैं इसलिए  गर्मियों में इन्हें पचाने के लिए ज्यादा पानी की जरुरत पड़ेगी। इसलिए पर्याप्त पानी पीना चाहिए। अण्डों के साथ एक खीरा और एक टमाटर खाने से इसकी भरपाई की जा सकती है।

गर्मियों में वैसे भी कम खाना खाना चाहिए, इसलिए ज्यादा खाना चाहे वह अंडे हों या कुछ और, खाने से  बदहजमी और बेचैनी जैसी शिकायत हो सकती है। इसलिए जो भी खाएं कम ही खाएं।

वायरल हुई डोनाल्ड ट्रम्प की जलवायु करार से हटने वाली वीडियो!

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत-चीन पर आरोप लगाकर जिस तरह पेरिस के जलवायु परिवर्तन समझौते से अपने देश को अलग किया है वह दुनिया में बढ़ते संकीर्ण राष्ट्रवाद के खतरे का संकेत है। इस समझौते को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस आधार पर अमेरिका की बड़ी सफलता बताया था कि उन्होंने इससे भारत-चीन को जोड़ लिया है. लेकिन अब इसी आधार पर डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे खारिज कर दिया है।

ट्रम्प ने यह कहकर घोर अमेरिकावाद का परिचय दिया है कि इस समझौते के तहत भारत न सिर्फ अमेरिका से लाखों डॉलर की मदद लेगा बल्कि नए-नए कोयला संयंत्र लगाएगा और कोयले का उत्पादन दोगुना करेगा। उन्होंने यही आरोप चीन पर भी लगाया है और कहा है कि उसके विपरीत अमेरिका को नुकसान होगा, क्योंकि अमेरिका को न सिर्फ कोयले के संयंत्र लगाने की मनाही होगी बल्कि इन देशों को भारी आर्थिक मदद देनी होगी।

ओबामा ने अमेरिका का बड़प्पन और नैतिकता दिखाते हुए भावी पीढ़ियों के लिए जो जिम्मेदारी सहर्ष स्वीकार की थी उसे ‘फर्स्ट अमेरिका’ के सिद्धांत के तहत खारिज करके वर्तमान राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह जता दिया है कि वे अमेरिका को बेहद स्वार्थी देश बनाना चाहते हैं और ऐसी विश्व-व्यवस्था कायम करना चाहते हैं, जो सिर्फ अमीर देशों और अमीरों के हित में हो।

ओबामा ने इस समझौते के तहत अमेरिका की तरफ से तीन अरब डॉलर देने और एक दशक के भीतर 26 से 28 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन कम करने का वादा किया था, जिसमें से एक अरब डॉलर दिया भी जा चुका है लेकिन, अब ट्रम्प के नए रुख के चलते बाकी राशि नहीं मिलेगी और इस समझौते को लागू करने की जिम्मेवारी चीन-भारत के हाथ में जाएगी।

समझौते को लागू करने का प्रयास यूरोपीय संघ के देश भी करेंगे, क्योंकि उन्होंने अमेरिका की कड़ी आलोचना की है।

भगवान शिव की सबसे ऊँची प्रतिमा गिनीज बुक में शामिल, जानिए क्या है ख़ास!

मंदिर : तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर में स्थित भगवान शिव की आवक्ष (छाती से ऊपर) प्रतिमा को “विश्‍व की सबसे ऊंची प्रतिमा” माना गया है.  इस प्रतिमा का उद्धाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने अभी हाल ही में किया था.

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड्स ने इस मूर्ती को विश्व की सबसे ऊँची आवक्ष प्रतिमा के रूप शामिल किया है. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड्स ने अपनी वेबसाइट पर इसकी घोषणा की है.

ऊँची प्रतिमा का आकार

भगवान शिव की इस प्रतिमा को ईशा योग फाउंडेशन द्वारा बनाया गया है. ऊँची प्रतिमा की ऊंचाई 112.4 फीट, चौडाई  24.99 मीटर तथा लम्बाई 147 फुट है. इस विशाल प्रतिमा को सद्गुरू जग्गी वासुदेव ने डिजाइन  किया है.

भगवान शिव की यह प्रतिमा उन 112 मार्गों को दर्शाती है जिनसे इंसान योग विज्ञान के जरिए अपनी परम प्रकृति को प्राप्त कर सकता है. हम आपको बता दें कि इस प्रतिमा में शिव के चेहरे को बनाने में ही करीब ढाई साल लगे थे तथा इस प्रतिमा का वजन 500 टन है. भगवान शिव की इस प्रतिमा को स्टील से बनाया गया है और इसे धातु के टुकड़ों से जोड़ कर बनाया गया है.

भगवान शिव की सवारी नंदी बैल की प्रतिमा को भी ईशा योग फाउंडेशन ने बड़े खास तरीके से तैयार किया गया है. नंदी बैल के ऊपरी हिस्से को भी धातु के टुकड़ों को जोड़कर बनाया गया है. इस के अंदर तिल के बीज, हल्दी, पवित्र भस्म, कुछ खास तरह के तेल, रेत, कुछ अलग तरह की मिट्टी मिलाकर कुल 20 टन सामग्री डाली गई है.

ऊँची प्रतिमाभगवान शिव की इस प्रतिमा को देखने के लिए हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. रात में जब नीली रोशनी में यह प्रतिमा नहाती है तो इसकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं.

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भूकंप से जुड़े जानने योग्य रोचक तथ्य!!

भूकंम्प का नाम सुनते है दहशत सी हो जाती है. भूकंप के आते है सब कुछ हिलने लगता है. अधिक तीव्रता का भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं जिससे भारी संख्या में जान माल का नुक्सान झेलना पड़ता है. भूकंप एक भूगर्भीय घटना है जिसमें धरती की अंदरूनी प्लेटों के आपस में टकराने पर बहुत ही उच्च-क्षमता की एनर्जी पैदा होती है जिससे धरती की सतह पर कंपन महसूस किया जाता है.

भूकंप के कारण दुनिया भर में अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है. आखिर भूकंप के आने का असली कारण क्या है और कौन से ऐसे तथ्य हैं जो हमने नहीं पढ़े. आज हम आपको भूकंप से जुड़े कुछ ऐसे ही तथ्यों से अवगत कराएंगे

  • जब पृथ्वी की ऊपरी सतह हिलती है तो उसे भूकंप का नाम दिया जाता है. भूकंप आने का मुख्य कारण टेक्टोनिक प्लेटों का खिसकना, ज्वालामुखी विस्फोट, परमाणु धमाके और खदानों की खुदाई आदि भी हो सकते हैं.
  • क्या आपको पता है कि पृथ्वी पर हर साल लगभग 5 लाख भूकंप आते है इन में से सिर्फ 1 लाख भूकंप ही महसूस किए जा सकते है. 1 लाख भूकंपों में से सिर्फ 100 भूकंप ही ऐसे होते है जो कि विनाशकारी प्रलय लाते हैं.
  • आज तक का सबसे विनाशकारी भूकंप सन 1960 में चिली में आया था, जिसकी तीव्रता 9.5 दर्ज की गई.
  • सन 1811 में एक जबरदस्त भूचाल के कारण उत्तरी अमरीका में बहने वाली मिसिसिप्पी नदी (mississippi river) उल्टी दिशा में बहने लगी थी.
  • भूकंप के कारण अब तक का सबसे खतरनाक हिमस्खलन सन 1970 में पेरू में आया था. यह हिमस्खलन लगभग 400 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आया था. इस हिमस्खलन की वजह से पूरा गांव ही तबाह हो गया था और इसमें लगभग 18 हजार लोग मारे गए थे.
  • कैलिफोर्निया के पार्कफील्ड को “The Earthquake Capital of the World” कहा जाता है. दरअसल पार्कफील्ड ऐसी जगह स्थित है, जहां दो टेक्टोनिक प्लेट आपस में एक-दूसरे से जुड़ती हैं.
  • भूकंप आने के प्रारंभिक बिंदु को फोकस या HypoCenter (भूकंप के भूमिगत फोकस बिंदु) कहा जाता है.
  • 26 दिसंबर, 2004 को इंडोनेशिया में भूकंप से हिन्‍द महासागर में जल प्रलय सुनामी आ गई. इसमें लगभग 2 लाख 30 हजार लोगों की जिंदगी चली गई.
  • 15 अगस्त, 1950 को तिब्बत में आए विनाशकारी भूकंप में 780 लोगों की जान चली गई.
  • यह भी पढ़ें : 10 विनाशकारी भूकंप जिनमें काफी नुक्सान हुआ
  • प्राचीन ग्रीस में लोगों का मानना था कि भूकंप समुद्र के देवता पोसाइडन की वजह से आता है. उनका कहना था कि जब देवता नाराज हो जाते है तो जमीन पर अपने त्रिशूल से प्रहार करते है जिससे धरती कांपती है.
  • भूकम्प के कारण अब तक का सबसे खतरनाक लैंडस्लाइड चीन के कान्सू प्रान्त में सन 1920 में आया था. लैंडस्लाइड की वजह से लगभग 2 लाख लोग मारे गये थे.
  • 31 जनवरी,1906 को इक्वाडोर में 8.8 की तीव्रता से भूकंप आया. इससे वहां सुनामी आ गई. इस प्राकृतिक आपदा ने यहां कम से कम 500 लोगों को मौत की नींद सुला दिया.
  • भूकंप (Earthquake) के बचाव के लिए पैगोडा आकार के घर बनाये जाते है
  • प्लेट टेक्टोनिक्स थ्योरी का विकास 20वी सदी के मध्य में हुआ था. हैरी हेस के द्वारा सागर नितल प्रसरण की खोज से इस सिद्धान्त का प्रतिपादन आरंभ माना जाता है.
  • भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है और इस यंत्र को रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है. भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापता है.
  • सन 1935 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कार्यरत वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने बेनो गुटेनबर्ग की सहायता से रिक्टर स्केल पैमाने की खोज की थी.
  • 25 अप्रैल, 2015 को 7.8 की तीव्रता से भूकंप आया और नेपाल में तबाही मच गई। 8857 लोगों की मौत हुई. यहां पर इमारतों को काफी नुकसान पहुंचा.

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जब कोर्ट में सुनवाई के बीच महिला स्टेनो ने जज से कहा, 5 बज गये, मुझे घर जाना है!

स्टेनोग्राफरदिल्ली: क्या अपने कभी सुना है कि कोर्ट में मुकद्दमे की कार्यवाही किसी कर्मचारी द्वारा रोक दी गयी हो? सुनने में तो यह थोड़ा अजीब लगता है लेकिन दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में कुछ दिन पहले ऐसा ही वाकया हुआ. दरअसल दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में भ्रष्टाचार के मामले में सुनवाई चल रही थी. कोर्ट में उपस्थित महिला स्टेनोग्राफर कोलकाता से लाइव सीबीआई (CBI) के गवाह के बयान रिकॉर्ड कर रही थी.

इसी दौरान महिला स्टेनोग्राफर ने मुकद्दमे की सुनवाई के बीच टोकते हुए जज को बताया कि उसके घर जाने का समय हो गया है और टैक्सी बाहर उसका इन्तजार कर रही है. जज ने उसे समझाने की कोशिश की कि वह कार्यवाही पूरी होने तक साथ दे.

दरअसल महिला स्टेनोग्राफर ने शाम 4.25 बजते ही कोर्ट की कार्यवाही को बीच में ही रोक दिया और जज से यह कहकर जाने लगी जब तक कोर्ट की कार्यवाही खत्म होगी तब तक 5 बजे जाएंगे. महिला के ना मानने पर जज ने चेतावनी देते हुए कहा कि कार्यवाही के बीच में कोर्ट से बाहर नहीं जा सकती है. जज ने दलील दी कि दूसरी स्टेनोग्राफर के पैर में फ्रैक्चर हुआ है इसलिए उसे कोर्ट में नहीं बुलाया जा सकता,  लेकिन महिला, ‘मुझे जाना है.. मुझे जाना है कहती हुई अड़ी रही’.

जज के आग्रह के बावजूद भी महिला स्टेनोग्राफर नहीं मानी और कोर्ट रूम में उपस्थित गवाहों और वकीलों के सामने ही जज से बहस करने लगी. वह बोली कि उसके दाएं हाथ में दर्द हो रहा है और फिर वह कोर्ट से बाहर चली गयी.

इसके बाद दूसरी घायल स्टेनोग्राफर को बैसाखियों के सहारे कोर्ट में लाया गया और तब जाकर कार्यवाही शुरू हो सकी. महिला स्टेनोग्राफर की इस अड़ियल हरकत की वजह से कोर्ट की कार्यवाही 5 से 10 मिनट तक बाधित हुई.

ऐसा वाकया पहली बार सुनने और देखने को मिला है कि किसी कर्मचारी की द्वारा कोर्ट की कार्यवाही में वाधा आई हो. महिला द्वारा इस तरह के व्यवहार से कोर्ट में उपस्थित जज और वकीलों को अगले स्टेनोग्राफर के आने तक इंतजार करना पड़ा.

जज ने इस संबंध में एक लिखित पत्र जारी करते हुए इस घटना को बहुत ही अफसोसजनक बताया है. महिला स्टेनोग्राफर के इस रवैये पर सख्त रुख करते हुए उन्होंने कहा कि महिला स्टेनोग्राफर ने अपने पद और कोर्ट की गरिमा का अपमान किया, वो भी तब जब कई वकीलों की मौजूदगी में सुनवाई चल रही थी. जज ने यह भी कहा कि एक स्टेनोग्राफर ने कोर्ट को हाईजैक कर लिया.

जज ने महिला स्टेनोग्राफर के रवइए पर जिला और सत्र न्यायालय को शिकायत भेज दी है. उसके खिलाफ उपयुक्त कार्यवाही करने को भी मांग की है.