मीनाकारी एक पुरानी और काफी प्रचलित कलाकारी है| असल में मीना नाम फारसी के शब्द मीनू से लिया गया है, जिसका अर्थ है स्वर्ग| ईरान के कारीगरों ने इस कला का अविष्कार किया था | भारत का जयपुर भी मीनाकारी की कला के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है |
जयपुर में मीनाकारी की कला महाराजा मानसिहं द्वारा लाहौर से लाई गई थी| जयपुर में मीनाकारी का कार्य सोने, चांदी और पीतल के अभूषणों के अलावा मार्बल से बनने वाले इंटीरियर सजावटी समान और खिलौनों पर भी किया जाता है | जयपुर के अलावा राजसमंद जिले में भी मीनाकारी का काम किया जाता है.
मीनाकारी में मुख्य रूप से फूल-पत्तियां और जानवरों के पैटर्न को ही शामिल करके उन पर आर्टवर्क किया जाता है, जिसके लिए हरे, लाल, नारंगी और गुलाबी रंगो का इस्तेमाल किया जाता है|मीना शीशे जैसे पत्थर के रूप में होता है, जिसे पीसकर बारीक पाउडर बनाया जाता है| इस पाउडर में पानी, तेल और गोंद को मिलाकर एक गाड़ा घोल तैयार किया जाता है|उत्कीरित डिज़ाइन में इस घोल से नकाशी की जाती है|इसके बाद वस्तु को ज्यादा तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे मीना वस्तु पर चिपक जाता है.
संगमरमर पर मीनाकारी द्वारा इंटीरियर डैकोरेशन का सामान, किचन क्रॉकरी और खिलौने भी तैयार किए जाते हैं | नकाशी को आप हाथ लगाकर महसूस भी कर सकते है जो पत्थर में जड़ी नहीं बल्कि उभार में नजर आती है | मीनाकारी से कटोरियां, मोमबत्ती स्टैंड, फ्रेम, फ्लावर पॉट, चम्मच व अन्य सजावटी वस्तुएं बनाई जाती है | मीनाकारी करने मे काफी समय और मेहनत लगती है | हमें शिल्पकारियों के काम को बढ़ावा देना चाहिए ताकि विरासती चीजों को कायम रखा जा सके|अगर आप घर में एंटीक लुक की डैकोरेशन चाहते है, तो इंटीरियर में ऐसी चीजें को शामिल करे|
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