नवदुर्गा के सभी रूप माता पार्वती से जुड़े हुए हैं। माता पार्वती के इन रूपों में उनके पुरे जीवन और चरित्र समाया हुआ है। उन्हें अम्बा और दुर्गा भी कहा जाता है। वैसे तो उनके इन 9 रूपों के देशभर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन इनमे से कुछ खास और प्राचीन मंदिर हैं। जिनका वर्णन इस प्रकार है।
ज्वाला जी मंदिर, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश (Maa Jwala Ji Temple, Kangra, Himachal Pradesh)
हिमाचल के इस मंदिर में मां नवदुर्गा के नौ रूपों की ज्योति जलती रहती है। इन नौ ज्योतियों के नाम हैं l महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजीदेवी. इन सभी माताओं के दर्शन ज्योति रूप में होते हैं। इस मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है। यहां माता सती की जीभ गिरी थी।
मनसा देवी, हरिद्वार, उत्तराखंड (Mansa Devi Temple, Haridwar, Uttarakhand)
इस मंदिर में मान्यता है कि यहाँ भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, इसीलिए इस मंदिर का नाम मनसा देवी पड़ा। इस मंदिर में मौजूद पेड़ की शाखा पर भक्त पवित्र धागा बांधते है। मन्नत पूरी होने के बाद वो भक्त यहां वापस आकर धागे को खोलते हैं।
पाटन देवी, बलरामपुर, उत्तर प्रदेश (Devi Patan Temple, Uttar Pradesh)
इस स्थान पर माता सती का दायां कंधा गिरा था। मान्यता है कि इसी स्थान पर माता सीता धरती मां की गोद में समाकर पाताल लोक चली गईं। इसीलिए इस स्थान का नाम पावालेश्वरी देवी पड़ा। इस मंदिर को कोई प्रतिमा नहीं है, सिर्फ एक चांदी का चबूतरा है, जिसके नीचे सुरंग ढकी हुई है।
नैना देवी मंदिर, बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश (Naina Devi, Bilaspur, Himachal Pradesh)
मां नवदुर्गा के इस प्रसिद्ध मंदिर में यह मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती के नेत्र गिरे थे। यहां शेरा वाली माता के अलावा काली माता और भगवान गणेश की प्रतिमा भी विराजमान है। मंदिर के पास ही एक गुफा भी है, जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है।
करणी माता मंदिर, बिकानेर, राजस्थान (Karni Mata Temple, Bikaner, Rajasthan)
मां नवदुर्गा का यह प्रसिद्ध मंदिर भी 51 शक्ति पीठों में से एक है। इस मंदिर को चूहों का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर के बारे में टीवी में सुना और देखा होगा। इस मंदिर में करीब 20 हज़ार के आस-पास चूहे रहते हैं। चूहों के अलावा यहां करणी माता की प्रतिमा स्थापित है। इन्हें मां जगदम्बा का अवतार माना जाता है।
अम्बाजी मंदिर, बनासकांठा, गुजरात (Ambaji Temple, Banaskantha, Gujarat)
अम्बाजी मंदिर में माता सती का दिल गिरा था। लेकिन यहां कोई भी प्रतिमा नहीं रखी हुई है, बल्कि यहां मौजूद श्री चक्र की पूजा की जाती है। यह मंदिर माता अम्बाजी को संर्पित है और यह गुजरात का सबसे प्रमुख मंदिर है।
कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी, असम (Kamakhya Temple, Guwahati)
इस स्थान पर माता सती की योनी गिरी थी, इसीलिए यहां रक्त में डूबे हुए कपड़े का प्रसाद दिया जाता है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है, कि तीन दिन जब मंदिर के दरवाजे बंद किए जाते हैं, तब मंदिर में एक सफेद रंग का कपड़ा बिछाया जाता है जो मंदिर के दवार खोलने तक लाल हो जाता है। यह मंदिर रजस्वला माता की वजह से ज़्यादा प्रसिद्ध है।
महागौरी मंदिर, लुधियाना (Mahagauri Temple, Ludhiana)
माता की आठवीं शक्ति महागौरी का मंदिर पंजाब के लुधियाना और यूपी के वाराणसी में स्थित है। माता का वर्ण पूर्णत: गौर अर्थात गौरा (श्वेत) है, इसीलिए वे महागौरी कहलाती हैं। ऐसा भी कहा जाता है, कि तप से उनका शरीर काला पड़ गया था, तो शिवजी ने उन्हें गौर वर्ण का वरदान दिया था।
सिद्धिदात्री मंदिर, सतना (Siddhidatri Temple, Satna)
माता की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री का मंदिर मध्यप्रदेश के सागर जिले में स्थित है। माता के अन्य प्रसिद्ध मंदिर यूपी- वाराणसी, सतना- मध्यप्रदेश और देवपहाड़ी- छत्तीसगढ़ में भी हैं। देवी अपने समर्पित भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि दे देती हैं, इसीलिए उन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है।