चंडीगढ़।। रेप की शिकार महज 10 साल की विक्टिम ने चंडीगढ़ के एक हॉस्पिटल में बेटी को जन्म दिया है। वीरवार को सर्जरी से उसकी डिलिवरी कराई गई। अब लड़की और नवजात बेटी की हालत खतरे से बाहर है और उन्हें स्पेशल केयर में रखा गया है।
लड़की की डिलिवरी 35वें हफ्ते में कराई गई है, क्योंकि उसके पेट में पल रहे बच्चे का वजन 2.1 किलो से भी कम था। ऐसे में नॉर्मल डिलिवरी में जान जाने का खतरा था।
इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना में लड़की के मामा ने उसका शारीरिक-शोषण किया था, जिससे वो प्रेग्नेंट हो गई। इसका पता तब चला जब उसके पेट में दर्द हुआ और उसे इलाज के लिए हॉस्पिटल ले जाया गया जहाँ पर पता चला कि उसके पेट में 3 महीने गर्भ था।
इसके बाद लड़की के परिवार ने गर्भपात के लिए जुलाई महीने में चंडीगढ़ कोर्ट में अर्जी लगाई, लेकिन अबॉर्शन की इजाजत नहीं मिली।
परिवार सुप्रीम कोर्ट भी गया, लेकिन 32 हफ्ते यानि 7 महीने की प्रेग्नेंसी होने के चलते इजाजत नहीं मिली। कानूनन 26 हफ्ते के बाद कोर्ट की इजाजत के बगैर अबॉर्शन गैरकानूनी है। इस अवधि के बाद एबॉर्शन करने पर माँ की जान जा सकती है.
हॉस्पिटल में लड़की काउंसलिंग हुई तो पता चला कि उसके साथ उसके मामा ने 6 से 7 बार रेप किया था.
लड़की आज भी इस बात से अनजान है कि उसने किसी बच्चे को जन्म दिया है. उसे बताया गया है कि उसके पेट में पथरी थी जिसका ऑपरेशन किया गया है.
नवजात को कुछ दिन तक डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा। इसके बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी उसकी देखरेख करेगी, क्योंकि विक्टिम की फैमिली उसे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के हवाले कर चुकी है। इसलिए नवजात 2 महीने तक कमेटी के पास रहेगी।