रावण एक महा ज्ञानी पंडित होने के साथ एक ज्योतिष था। वह वास्तु और विज्ञान का ज्ञान भी रखता था, और तो और वह दिव्य और मायावी शक्तियों का ज्ञान भी रखता था। उसके द्वारा 10 ऐसे कार्य किए गए, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जायँगे।
1 .शिव तांडव स्त्रोत : रावण ने अपने आराध्य शिव की स्तुति में ‘शिव तांडव स्तोत्र’ की रचना की थी।
2.रावण संहिता : रावण संहिता जहां रावण के पुरे जीवन के बारे में बताती है, वहीं इसमें ज्योतिष की बहुत सी जानकारियां भी मिलती है।
- महान ग्रन्थ:- महा ज्ञानी रावण दवारा लिखत चर्चित ग्रन्थ – 1. दस शतकात्मक अर्कप्रकाश, 2. दस पटलात्मक उड्डीशतंत्र, 3. कुमारतंत्र, 4. नाड़ी परीक्षा।
3.अन्य ग्रंथ : माना जाता हैं कि रावण ने ही अरुण संहिता, अंक प्रकाश, इंद्रजाल, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर, रावणीयम आदि पुस्तकों की रचना भी की थी।
4.रक्ष संस्कृति : रावण ने सभी की रक्षा करने के लिए ‘रक्ष’ संस्कृति की स्थापना की थी। रावण ने असंगठित राक्षस समाज को एकत्रित कर उनके कल्याण के लिए कई कार्य किए थे।
5.रावण की वेधशाला : रावण की सेना में अस्त्र-शस्त्र या यंत्र बनाने वाले एक से एक वैज्ञानिक थे,जिन्हे इन चीज़ो के बारे में ज्ञान था। जैसे शुक्राचार्य भार्गव, शंबूक, कुंभकर्ण और वज्रज्वला। उन्होंने मिलकर ही दारू पंच अस्त्र, सूर्यहास खड्ग, मकर मुख, आशी विष मुख, वाराह मुख जैसे विध्वंसकारी अस्त्रों का निर्माण किया था। खुद रावण ने उसकी वेधशाला में दिव्य-रथ का निर्माण किया था।
6.’रावण हत्था’ वाद्य यंत्र : भारत में एक वाद्य यंत्र है। यह प्रमुख रूप से राजस्थान और गुजरात में बजाया जाता है। रावण ने इसका आविष्कार किया था। रावण के ही नाम पर इसे ‘रावण हत्था’ या ‘रावण हस्त वीणा’ कहा जाता है। कुछ लोग इसे वायलिन का पूर्वज भी बताते हैं। बाद में इसे सारंगी के रूप में विकसित किया गया।
7.रावण के हवाई अड्डे : रावण के पास वायुसेना भी थी। कहा जाता हैं कि उसानगोड़ा, गुरुलोपोथा, तोतूपोलाकंदा और वारियापोला नामक उसके हवाई अड्डे थे, और पुष्पक नामक उसके पास एक विमान था।
8.जलपोत : रामायण के अनुसार रावण के पास वायुयानों के साथ कई समुद्री जहाज़ भी थे। रामायण में केवट प्रसंग से यह सिद्ध होता है, कि साधारण मनुष्य के पास नाव थी, तो रावण के पास समुद्री जहाज़ होना स्वाभाविक है। रामायण में कैवर्तों की कथा से तथा लोक साहित्य में रघु की विजय से स्पष्ट हो जाती है।
9.मधुमक्खी यंत्र : लंका में दूरभाष की तरह उस युग में ‘दूर नियंत्रण यंत्र’ था जिसे ‘मधुमक्खी’ कहा जाता था। विभीषण को लंका से निष्काषित कर दिया था, तब वह लंका से प्रयाण करते समय मधुमक्खी और दर्पण यंत्रों को भी राम की शरण में ले गया था।
10.लंका में लिफ्ट : लंका में यांत्रिक सेतु, यांत्रिक द्वार और ऐसे चबूतरे भी थे , जो बटन दबाने से ऊपर-नीचे होते थे। ये चबूतरे संभवत: लिफ्ट थे।
कहा जाता है कि महा ज्ञानी रावण की कुछ इच्छाएं अधूरी ही रह गई : रावण चाहता था कि उसके महल में सोने की सुगंध आए और मदिरा की दुर्गंध समाप्त हो जाए। स्वर्ग तक सीढ़ियां बनाई जाए और समुद्र के खारे पानी को मीठे पानी में बदल दिया जाए। वह यह भी चाहता था कि सभी लोग गौरे दिखाई दें कोई भी काला ना हो l
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