सनातन धर्म में पूजा-पाठ के बाद माथे पर तिलक लगाने का बड़ा महत्व है। प्रत्येक देवता के लिए अलग-अलग रूपों में तिलक का प्रयोग किया जाता है। भगवान विष्णु की पूजा में पीले चंदन का तिलक लगाया जाता है और भगवान महादेव की पूजा में भस्म का तिलक लगाया जाता है।
पूजा पाठ में जिस चंदन या कुमकुम से देवताओं का श्रृंगार किया जाता है, उसका तिलक हम बाद में प्रसाद के रूप में लगाते हैं। इस पोस्ट में जानेंगे कि क्यों लगाया जाता हैं तिलक और क्या है इसका धार्मिक महत्व, चलिए शुरू करते हैं:
नियम
प्रतिदिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि करके घर के पूजा स्थान पर उत्तर दिशा की ओर मुख करके दोनों भौंहों के बीच तिलक लगाना चाहिए। तिलक हमेशा रिंग फिंगर से लगाना चाहिए। तिलक कभी भी अनामिका, मध्यमा या अंगूठे से नहीं लगाना चाहिए।
तिलक लगाने का अपना ही धार्मिक महत्व है। पूजा में प्रयोग होने वाला तिलक केवल माथे पर ही नहीं बल्कि सिर, गर्दन, दोनों भुजाओं, ह्रदय, नाभि, पीठ आदि पर भी लगाया जाता है। माथे पर तिलक लगाने से मन शांत और स्थिर रहता है। साथ ही हमें सकारात्मक ऊर्जा का अहसास होता है।
प्रत्येक दिन के अनुसार किस प्रकार का तिलक लगाएं
- सोमवार का दिन महादेव को समर्पित है। इस दिन महादेव के साथ चंद्र देव की भी पूजा की जाती है। इस दिन सफेद चंदन का तिलक लगाना चाहिए।
- मंगलवार का दिन मारुति नंदन हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन लाल चंदन का सिंदूर लगाना चाहिए।
- प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जी की कृपा पाने के लिए सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए।
- गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इस दिन पीले चंदन या केसर का तिलक लगाना चाहिए।
- मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए शुक्रवार के दिन रोली, लाल चंदन का तिलक लगाना चाहिए।
- शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है। इस दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए भस्म का तिलक लगाएं।
- रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन उनकी कृपा पाने के लिए लाल चंदन या रोली का तिलक लगाना चाहिए।