Saturday, November 23, 2024
25.8 C
Chandigarh

जानिए कब है अहोई अष्टमी, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा की विधि !!!

अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। करवा चौथ के व्रत की तरह ही यह व्रत भी निर्जल रहकर रखने का विधान वर्णित है।

अहोई अष्टमी का त्यौहार हिंदू धर्म में बहुत ही खास माना गया है क्योंकि अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन की कामना से रखती हैं।

वहीं जो महिलाएं संंतान प्राप्ति की चाह रखती हैं उनके लिए भी अहोई अष्टमी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण और फलदायी माना गया है।  इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है।

अहोई अष्टमी के शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार इस साल यह तिथि 4 नवंबर की मध्यरात्रि को शुरू होगी और 5 नवंबर की रात 3 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार अहोई अष्टमी का व्रत 5 नवंबर को रखा जाएगा।

अहोई अष्टमी के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 33 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। चूंकि यह व्रत तारों को देखने के बाद खोलते हैं। ऐसे में तारों के दर्शन के लिए मुहूर्त शाम 5 बजकर 58 मिनट है।

अहोई अष्टमी का महत्व

माताओं के लिए कार्तिक मास की अष्टमी तिथि बहुत ही खास होती है क्योंकि इस दिन अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। माताएं यह व्रत संतान की लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य के लिए रखती हैं।

इस दिन अहोई माता का पूजन किया जाता है और दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद रात्रि में तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं। कहते हैं कि अहोई अष्टमी का व्रत रखने से बच्चों पर आने वाले सभी संकट दूर होते हैं और उन्हें जीवन में तरक्की मिलती है।

वहीं जो महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना रखती हैं उनके लिए भी अहोई का व्रत बहुत ही फलदायी माना गया है। इस व्रत को रखने से संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है।

ऐसे करें अहोई माता की पूजा

  • सुबह के समय जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान आदि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • अब मंदिर की दीवार पर गेरू और चावल से अहोई माता यानी कि मां पार्वती और स्याहु व उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। आप चाहें तो बाज़ार में मिलने वाले पोस्टर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
  • अब एक नए मटके में पानी भरकर रखें, उस पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं, अब मटके के ढक्कन पर सिंघाड़े रखें।
  • घर में मौजूद सभी बुजुर्ग महिलाओं को बुलाकर सभी के साथ मिलकर अहोई माता का ध्यान करें और उनकी व्रत कथा पढ़ें। सभी के लिए एक-एक नया परिधान भी रखें। कथा खत्म होने के बाद परिधान को उन महिलाओं को भेंट कर दें।
  • रखे हुए मटके का पानी खाली ना करें इस पानी से दीवाली के दिन पूरे घर में पोंछा लगाएं। इससे घर में बरकत आती है।
  • रात के समय सितारों को जल से अर्घ्य दें और फिर ही उपवास को खोलें।

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR