किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त होने के साथ हमारी टीचर भी होती हैं। जिंदगी के हर पड़ाव में किताबें हमारा मार्गदर्शन करती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि लगभग हजारों वर्ष पहले लोग लिखने के लिए मिट्टी की पट्टिकाएं काम में लाते थे। इस लेख में हम आपको किताबों से जुड़े दिलचस्प इतिहास के बारे में रहे हैं तो चलिए जानते हैं :-
मिट्टी और घास से बना करती थीं किताबें
मिट्टी की पट्टिकाएं तथा पैपीरस हमारी आज की पुस्तकों की पूर्वज हैं। पुस्तक छापने की कला का जन्म तब हुआ जब अलग-अलग अक्षर काटकर उनसे ठप्पा लगाने की बात सोची गई। पुस्तक का अपना एक लम्बा इतिहास है।
सबसे पहले पुस्तकें मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखी जाती थीं। बाद में घास से बने एक प्रकार के कागज पैपीरस का उपयोग आरंभ हुआ। आज से लगभग 2000 वर्ष पहले लोगों ने चर्म पत्रों तथा भेड़ों या बछड़ों की विशेष रूप से तैयार की गई खालों पर लिखना शुरू किया। इसके बाद उनके पन्ने बनवा कर और उन्हें बांध कर पुस्तकें तैयार कर ली जाती थीं।
किसी पुस्तक की सभी प्रतियां हाथ से ही लिखी जाती थीं इसलिए पुस्तकें संख्या में कम तथा बहुत मूल्यवान होती थीं किन्तु लगभग 500 वर्ष पूर्व यूरोप में गुटनबर्ग नामक वैज्ञानिक ने छपाई की कला का आविष्कार किया। वह अलग-अलग अक्षर ढालता और उन्हें जोड़कर शब्द बना लेता।
इस तरह तैयार पंक्तियों तथा पन्नों की कई प्रतियां छापाखाने में छाप ली जाती थी। इसके साथ ही चर्मपत्र की जगह कागज का इस्तेमाल भी किया जाने लगा।
समय के साथ छपाई यानी प्रिंटिंग के लिए नई मशीनों को तैयार किया जाने लगा जिससे छपाई आसान और काफी सस्ती हो गई। आज इस काम के लिए बड़ी-बड़ी मशीनें हैं तथा इन्हें तैयार करने में अधिक से अधिक ऑटोमैटिक तरीकों का उपयोग होता है। बदलते समय के साथ अब किताबें ‘ई-बुक्स’ का रूप भी ले चुकी हैं जिन्हें आप मोबाइल का ई-बुक्स डिवाइसों पर पढ़ सकते हैं।
रोचक तथ्य
- जोहान्स गुटेनबर्ग (Johannes Gutenberg) ने 1439 में प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किया था, इनके द्वारा छापी गयी बाइबल “गुटेनबर्ग बाइबल” के नाम से प्रसिद्ध है।
- इतिहासकारों के अनुसार पूरी तरह टाइपराइटर पर टाइप कर किसी प्रकाशक को भेजी गई पहली पांडुलिपि मार्क ट्वेन की ‘लाइफ ऑन दि मिसिसिपी’ (Life on the Mississippi) थी, जो 1883 को प्रकाशित हुई थी इसमें 624 पेज थे।
- यदि आप प्रतिदिन 20 मिनट पढ़ते हैं, तो आप एक वर्ष में 1.8 मिलियन शब्द पढ़ लेते हैं।
- एक समय था जब हमारे पास केवल पढ़ने के लिए किताबें होती थीं लेकिन अब आप ई-बुक और ऑडियोबुक सहित कई अलग-अलग तरीकों से किताबें पढ़ सकते हैं।
- गुटेनबर्ग बाइबिल ने दुनिया की सबसे महंगी किताबों की लिस्ट में अपना नाम दर्ज किया हुआ है। 1987 में गुटेनबर्ग बाइबिल की नीलामी 4.9 मिलियन डॉलर में की थी। दुनिया की पहली मूवेवल प्रिंटिंग मशीन में केवल 48 प्रतियां छापी गई थीं।
- उत्तरी हंगरी के छोटे से गांव सिनपेत्री के रहने वाले बेला वर्गा ने अपने हाथों से एक किताब बनाई है। ऐसा माना जा रहा है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी किताब है। 71 साल के बेलाने इसे बनाने के लिए पारंपरिक बुक बाइंडिंग तकनीक का इस्तेमाल किया। 4.18 मीटर लंबी और 3.77 मीटर चौड़ी किताब में 346 पेज हैं।
- 868 ईसवी में चीन में छपी “डायमंड सूत्रा” को दुनिया की सबसे पुरानी प्रिंटेड किताब माना जाता है। इसमें बुद्ध और उनके शिष्यों के बीच का संवाद है। इस पुस्तक में शब्दों और तस्वीरों को पहले लकड़ी पर उकेरा गया फिर रंग चढ़ाकर उन्हें कागज पर छापा गया।
- दुनिया सबसे छोटी किताब का आकार चार गुणा चार एमएम और मोटाई 8 एमएम है। जापानी किताब “शिकी नो कुसाबाना” के नाम दुनिया की सबसे छोटी किताब होने का रिकॉर्ड है। इसे नोट छापने वाली तकनीक से प्रिंट किया गया।
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