पेशे से वकील, दृष्टिकोण से हिंदू विचारक, राजनीतिक संबद्धता से समर्पित भाजपा नेता, जाति से एक दलित नेता श्री रामनाथ कोविंद की जीवनी किसी गाथा से कम नहीं है.
रामनाथ कोविंद का जन्म कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के गांव परौंख में 1 अक्टूबर 1945 को हुआ. उनके पिता मैकू लाल एक किसान थे जबकि उनकी माता का नाम कलावती देवी था. श्री कोविन्द दलित समुदाय कोली से सम्बंधित हैं.
उनका बचपन घोर गरीबी में बीता. घर के नाम पर उनके पास घास-फूस की बनी एक झोंपड़ी थी. बरसात के दिनों में यह बुरी तरह से टपकती थी. बारिश होने पर फूस की छत पानी को रोक नहीं पाती थी। वे सब भाई-बहन कमरे की दीवार से लग कर बारिश रुकने का इंतजार करते थे.
श्री कोविंद ने कानपुर से हाई-स्कूल और कॉमर्स में ग्रेजुएशन की. बाद में उन्होंने LLB की. वकालत की डिग्री लेने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की. वकालत चल निकली. 1971 में बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया में रजिस्टर्ड हुए. वह 1977 से 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे. फिर सन 1980 से 1993 सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे. इस दौरान सन 1977-78 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव भी रहे .
कोविंद 1998 से 2002 तक बीजेपी दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं. वह ऑल इंडिया कोली समाज के भी प्रेसिडेंट हैं. उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर भी सेवायें दी हैं. 8 अगस्त 2015 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया था.
स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने सिविल सर्विसेस परीक्षा दी. पहले और दूसरे प्रयास में नाकाम रहने के बाद तीसरी बार में उन्होंने कामयाबी हासिल की. कोविंद ने आईएएस जॉब इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि मुख्य सेवा के बजाय उनका एलाइड सेवा में उनका चयन हुआ था. इसके बाद उन्होंने वकालत को पेशा चुना.
कोविंद वर्ष 1991 में बीजेपी में शामिल हुए. पार्टी के प्रवक्ता का पद भी उन्होंने संभाला है. कोविंद बीजेपी के दलित मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं. कुष्ठ रोगियों के लिए काम करने वाली संस्था दिव्य प्रेम सेवा मिशन के कोविंद संरक्षक हैं.
1994 से 2006 तक श्री कोविंद राज्यसभा के सदस्य के रूप में बीजेपी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वर्ष 1994 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री हैं.