Thursday, November 21, 2024
25.3 C
Chandigarh

अपार धन, समृद्धि और खुशी पाने के प्रमाणित आसान टिप्स

सिंधियों के लिए कहावत है ‘सिंधी कभी भीख नहीं मांगेगा।’ हिंदुस्तान का बंटवारा हुआ तो सिंधी शरणार्थी बनकर हिन्दुस्तान आए आए तब तो शरणार्थी थे लेकिन मेहनत करके वे पुरुषार्थी से परमार्थी होते जा रहे हैं।

मेहंदी का रंग दस दिन रहता है पर मेहनत का रंग पूरी जिंदगी को खुशहाल करता है इसलिए कहता हूं परिश्रम करो। हर आदमी अमीर बने, गरीबी अभिशाप है। हर आदमी को अमीर बनना चाहिए। अपरिग्रह का धर्म अमीर बनने के बाद धारण कीजिएगा। बेचारे गरीबों को क्या प्रेरणा देते हो अपरिग्रह धारण करने की, उनके पास अभी त्यागने जैसा कुछ नहीं है।

Photo by Helena Lopes on Unsplash

पहले महावीर की तरह राजकुमार बनो, बुद्ध की तरह सम्पन्न बनो, उसके बाद अगर त्याग कर संन्यासी भी होना हो तो हो जाना क्योंकि उस त्याग को ही त्याग कहा जा सकेगा। उस त्याग से ही आनंद होगा। कुछ था ही नहीं तो क्या त्यागा? 7000 रुपए महीना कमाने वाला क्या त्यागेगा? आज मगर आपके यहां कोई लॉ इंस्टीच्यूट चलाते हैं, नर्सिंग इंस्टीच्यूट चलाते हैं, कोई फैक्टरी चलाते हैं, वे अगर कुछ त्याग करें तो वह त्याग कहलाएगा, पर पहले किसी स्तर पर पहुंचे तो सही हर आदमी सम्पन्न बने, हर व्यक्ति अमीर बने। नौकरी में संतोष मत करो, परिश्रम करो, पढ़ाई करो। कुछ ऐसे बनो कि तुम पर लोग गर्व कर सकें।

गरीबी अभिशाप है, व्यक्ति के लिए समाज के लिए, देश के लिए। गरीब आदमी को कोई नहीं पूछता। न घर में, न बाहर, कहीं नहीं। उसी को पूछा जाएगा जिसके पास अंटी में माल होगा इसलिए मालदार बनो, ईमानदारी से मेहनत करके माल कमाओ। पहले इज्जत कमाओ, उसके बाद त्याग के पथ पर आएंगे इसीलिए तो कहता हूं कि अगर भगवान हमें रोज 24 घंटे देता है तो यह हम लोगों पर निर्भर करता है कि उन 24 घंटों में क्या करते हैं और क्या नहीं करते। फालतू मत बैठो। 12 घंटे मेहनत करो, फिर चाहे वे 12 घंटे दिन के हों, चाहे रात के पर मुफ्त की मत खाओ। जो क्षेत्र हमें मिले हैं, उस क्षेत्र में मेहनत करेंगे।

जिंदगी ‘खंडप्रस्थ’ की तरह है। मेहनत और पुरुषार्थ से इस ‘खंडप्रस्थ’ को ‘इंद्रप्रस्थ’ बनाने का जज्बा अपने भीतर जगाओ। विश्वास रखो, ईश्वर उन लोगों के साथ है जो मेहनत करके खुद को और दुनिया को सुकून देते हैं। ईश्वर निकलता है भाग्य देने के लिए। ईश्वर को लगता है कि वह आदमी तो ऐसे ही पड़ा है आलसी की तरह, उसे देकर भी क्या करूंगा। अगर कोई आदमी आंख बंद करके सोया है और सूरज उसके लिए उग भी जाएगा तो वह करेगा क्या? एक कुत्ता कार के पीछे दौड़ता है, भौंकता है। सवाल यह है कि अगर वह कार को पकड़ भी लेगा तो करेगा क्या ? न कोई लक्ष्य है, न कोई परिणाम है बस भौंक रहा है।

हम जी रहे हैं तो जीने का मकसद तय करो। जीवन मूल्यवान है। समय आगे बढ़ रहा है, लगातार आगे बढ़ रहा है, पर कहीं हम ठहर तो नहीं गए हैं? ज्योतिषियों के चक्कर काट रहे हैं, यह सोचकर कि कहीं कोई ग्रह गोचर ठीक हो जाए। अरे भाई, हटाओ इन जन्म कुंडलियों का चक्कर।

ज्योतिषियों के चक्कर बहुत हो गए। ज्योतिषियों से तुम्हारा भला होगा कि नहीं होगा, उनका भला जरूर हो जाएगा। अपने सपनों को जगाओ, जीवन में कुछ कर गुजरने का जज्बा, संकल्प अपने भीतर पैदा करो।

।।राष्ट्रसंत चंद्रप्रभ।।

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR