वैसे तो समुद्र में भारी से भारी मछलियाँ पाई जाती हैं. लेकिन भारत की कुछेक नदियों को छोड़ दिया जाए तो यहाँ ज्यादा भारी मछलियाँ नहीं मिलती. उस पर उत्तराखंड की एक छोटी सी नदी में 150 किलो की मछली मिलना बहुत ही हैरानी भरा है.
अल्मोड़ा के सल्ट ब्लाक के अंर्तगत इनोलो गांव के समीप रामगंगा नदी बहती है। नदी में संरक्षित प्रजाति की गोल्डन महाशीर, गौंछ सहित अनेक प्रजातियों की मछलियां पाई जाती हैं।
रामगंगा नदी में संरक्षित भारी गौंछ मछली के पकड़े जाने पर कोहराम मच गया। मछली तकरीबन छह फुट लंबी व डेढ सौ किलो तक वजनी थी। सोशल मीडिया में ‘पहाड़ी व्हेल’ के नाम से जानी जाने वाली लुप्त-प्राय मछली को बांस के लट्ठे पर बांध कर ले जाती दिख रही फोटो वायरल हो गयी।
बताया जा रहा है कि पकड़ी गई मछली एक क्विंटल से ज्यादा थी। मछली का मांस का कुछ हिस्सा ग्रामीणों में ही बांट दिया जबकि बची मछली का मांस बाजार में बेच दिया गया। फोटो के वायरल होने पर वन-विभाग हरकत में आ गया.
बता दें कि, गौंछ या गूंज मछली शेड्यूल-वन की विशालकाय लुप्तप्रा:य मछली है। करीब 150 किलो वजनी यह मछली उत्तरी हिमालय के उत्तराखंड व नेपाल की पर्वतीय नदियों में पाई जाती है।
गंगा और सहायक नदियों में मिलती है ये प्रजाति
विशेषज्ञों के मुताबिक गौंछ संरक्षित प्रजाति की मछली है। इसका वैज्ञानिक नाम बैगरियस है। गंगा और उसकी सहायक नदियों में यह प्रजाति पाई जाती है। यह भारीभरकम मछली डाॅल्फिन की जैसी दिखाई पड़ती है।
कार्बेट से गुजरती है रामगंगा नदी
रामगंगा नदी पहाड़ों से निकलकर कार्बेट नेशनल पार्क के बीच से गुजरती है। रामगंगा में बाघ, हाथी सहित तमाम वन्यजीव, जंतु, परिंदे पानी और भोजन के लिए निर्भर रहते हैं। कुछ साल पहले तक यहां महाशीर संरक्षण को लेकर तमाम प्रयास किए गए थे। लेकिन संरक्षण योजना बंद हुई तो शिकार में तेजी आ गई।
सल्ट विकासखंड में अफसरों की उदासीनता की वजह से बड़े पैमाने पर मछलियों का शिकार होता रहा है। संरक्षित प्रजाति की मछलियों के शिकार पर कानूनन रोक है।