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अंतरिक्ष स्टेशन: ऐसा होता है अंतरिक्ष यात्री का जीवन

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station, ISS) अंतरिक्ष में रहने योग्य एक कृत्रिम उपग्रह है. यह स्पेस स्टेशन 357 वर्ग फीट में फैला हुआ एक विशाल घर की तरह है, जो हजारों मील प्रतिघण्टा की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है।

ISS  पृथ्वी की कक्षा में मानव निर्मित सबसे बड़ी बस्ती है और इसे अक्सर पृथ्वी से नग्न आंखों से देखा जा सकता है।

कैसे और क्यों बना अंतरिक्ष स्टेशन?

अंतरिक्ष में ग्रहों, तारों, मौसम, एलियन्स, लौकिक और पारलौकिक आदि गतिविधियों और घटनाओं की करीब से निगरानी करने के उद्देश्य से अमेरिका, रूस, फ्रांस, आदि 18 देशों के समूह ने मिल कर स्पेस स्टेशन के प्रोजेक्ट का पहला हिस्सा सन 1998 में अंतरिक्ष में स्थापित किया. सन 2000 से स्टेशन को इंसान के रहने योग्य बनाया गया. तब से लेकर अब तक इस पर कोई न कोई रहता आ रहा है.  इसमें एक समय में अधिकतम छः अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं।

आईएसएस एक सूक्ष्म गुरुत्व और अंतरिक्ष पर्यावरण अनुसंधान प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता है जिसमें दल के सदस्य जीव विज्ञान, मानव जीव विज्ञान, भौतिकी, खगोल विज्ञान, मौसम विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में प्रयोग करते हैं। चंद्रमा और मंगल ग्रह के लिए अंतरिक्ष यान प्रणालियों और उपकरणों के परीक्षण के लिए भी यह स्टेशन अनुकूल है। 

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के बारे में रोचक तथ्य

  • इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को 20 नवंबर 1998 को लांच किया गया था.  इसके विभिन्न हिस्सों को 136 उड़ानों के जरिए भेजा गया है. इन हिस्सों को वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में ही जोड़ा।
  • इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन अब तक की सबसे महंगी परियोजना है. इस पर कुल 160 अरब डॉलर का खर्चा आया है। भारतीय करेंसी में यह 11 लाख करोड़ रूपए से ज्यादा के बराबर है.
  • इस अंतरिक्ष स्टेशन को बनाने में 16 देश शामिल हैं। अमेरिका, रूस, कनाडा, जापान, बेल्जियम, ब्राजील, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, नार्वे, स्पेजन, स्वी,डन, स्विजरलैंड और यूके।
  • आईएसएस पर अब तक 18 देशों के 232 अंतरिक्ष यात्री भेजे जा चुके हैं। इस पर 19 बार स्पेसक्राफ्ट भेजे जा चुके हैं, जिनमें हर बार वहां कुछ नई चीजें भेजी गईं। वहां जितनी बार एस्ट्रोनॉट्स को भेजा गया, हर बार अलग स्पेसक्राफ्ट इस्तेमाल किया गया।
  • अंतरिक्ष स्टेशन 357 वर्ग फीट में फैला हुआ है, जो आकर में एक फुटबॉल के मैदान से भी बड़ा है. इसका वजन 420,000 किलोग्राम है. यह 320 कारों के वजन के बराबर है.
  • स्पेस स्टेशन पृथ्वी की कक्षा में 330 से 435 किलोमीटर की ऊँचाई पर गतिशील रहता है। स्पेस स्टेशन 24 घंटे 27,600 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाता रहता है। इस तरह से हर 92 मिनट में यह पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेता है और एक दिन में पृथ्वी के साढ़े 15 चक्कर लगा लेता है। कम ऊँचाई के कारण यह कई बार नंगी आंखों से भी दिख जाता है।
  • 2003 में कोलंबिया शटल यान के हादसे का शिकार होने के अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने आईएसएस को खाली छोड़ने का फैसला किया था लेकिन बाद में स्टेशन पर हर वक्त अंतरिक्ष यात्री रखने का फैसला किया। नासा के अनुसार अगर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को खाली छोड़ा गया तो उसके खोने का खतरा बढ़ जाएगा।

अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष स्टेशन में कैसे रहते हैं?

2 नवम्बर 2000 से अब तक गत 17 सालों से इस पर लगातार अंतरिक्ष यात्री भेजे जा रहे हैं। अंतरिक्ष यात्री 6-6 महीने की रोटेशन पर काम करते हैं। हालांकि, वहां रहना धरती जितना आसान नहीं हैं। पेश है इससे जुडी कुछ दिलचस्प जानकारी:

  • अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण की वजह से धरती की तरह चलना सम्भव नहीं है। स्पेस स्टेशन में भी यात्रियों को रित हुए यहां-वहां घूमना पड़ता है। तलवों पर भार नहीं पड़ने की वजह से वहां की चमड़ी उधड़ने लगती है। यदि कोई अंतरिक्ष यात्री तेजी से अपनी जुराबें उतार दे तो सभी और उसके पैरों की डैड स्किन’ के टुकड़े फैल सकते हैं।
  • सोते वक्त भी शुन्य गुरुत्वाकर्षण की वजह से तैरने से बचने के लिए अंतरिक्ष यात्री स्लीपिंग बैग अथवा कम्पार्टमैंट का प्रयोग करते हैं और खुद को हल्के स्ट्रैप से बांध लेते हैं।
  • खाते वक्त भी उन्हें कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। अंतरिक्ष स्टेशन में उनके खाने के लिए 150 तरह की चीजें उपलब्ध रहती हैं। आमतौर पर ये सभी चीजें एयरटाइट कंटेनरों में होती हैं। कुछ में पानी मिलाने या ओवन में गर्म करने से वे खाने के लिए तैयार हो जाती हैं। तरल पीने के लिए वे स्ट्रॉ का प्रयोग करते हैं जिसे सीधे सीलबंद डिब्बों से पीना पड़ता है।
  • अंतरिक्ष में पानी की बेहद कमी रहती है इसलिए अंतरिक्ष यात्री कपड़े धो नहीं सकते हैं। वे एक ही कपडे को कई दिनों तक पहनते हैं और जरूरत पड़ने पर नए कपड़ों से उन्हें बदल लेते हैं।
  • शौच करने के लिए अंतरिक्ष यात्री इंगलिश टॉयलेट जैसी सीट पर खुद को बैल्ट से बांधते हैं ताकि वे उड्ने न लगें। टॉयलेट में लगी वैक्यूम क्लीनर जैसी मशीन सारी गंदगी को खींच लेती है।
  • अंतरिक्ष यात्री नहाते नहीं हैं बल्कि बॉडी शैम्पू लगे गीले तौलिये से खुद को साफ करते हैं। बाल धोने के लिए वे वाटरलैस शैम्पू का इस्तेमाल करते हैं।

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