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जन्मदिन विशेष : भारत की पहली महिला मुक्केबाज मैरी कोम के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य एवं जानकारी

मंगते चुंगनेइजैंग, जिन्हें आमतौर पर मैरी कॉम के नाम से जाना जाता है विश्व की सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाजों में से एक हैं। मैरी कॉम ने अपनी प्रतिभा और हुनर के दम पर कई मैडल जीतकर इतिहास रचा है। उन्होंने ने केवल इतिहास ही रचा बल्कि भारत को दुनिया के सामने गौरान्वित भी किया है। आइए जानते हैं भारत की पहली महिला मुक्केबाज मैरी कोम के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।

मैरी कोम का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर के कांगथाही गाँव में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। उनकी एक छोटी बहन और एक छोटा भाई भी है मैरी अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं।

मैरी कॉम ने अपनी प्राथमिक शिक्षा लोकटक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल और सेंट हेवियर स्कूल से पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए वह आदिमजाति हाई स्कूल, इम्फाल गयीं लेकिन परीक्षा में फेल होने के बाद उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और फिर राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से परीक्षा दी।

मैरी कॉम का बचपन बहुत ही संघर्षपूर्ण था। वह स्कूल जाने के साथ साथ अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल भी करती थी। वह अपने माता-पिता की भी मदद करती थी जो खेतों में काम करते थे।

मैरी कॉम की रुचि बचपन से ही एथ्लेटिक्स में थी। स्कूल में उन्होंने वॉलीबॉल, फुटबॉल और एथलेटिक्स सहित सभी प्रकार के खेलों में भाग लिया करती थी। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने कभी भी बॉक्सिंग प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया था।

साल 1998 में जब मणिपुर के बॉक्सर डिंग्को सिंह ने जब एशियन गेम्स में गोल्ड मैडल जीता, तब वे उनसे काफी प्रभावित हुईं और उन्होंने बॉक्सिंग में अपने करियर बनाने की ठान ली।

लेकिन एक महिला होने के नाते उनके लिए इसमें करियर बनाना इतना आसान नहीं था, लेकिन मैरी कॉम के शुरु से ही अपने इरादे में दृढ़ रहने की चाह ने आज उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाजों की सूची में शामिल कर दिया है।

दरअसल, मैरी कॉम के पिता और उनके घर वाले उनके बॉक्सिंग के करियर बनाने के बिल्कुल खिलाफ थे। गौरतलब है कि पहले लोग बॉक्सिंग के खेल को पुरुषों का खेल समझते थे। ऐसे में इस फील्ड में करियर बनाना मैरी कॉम के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था।

वहीं दूसरी तरफ परिवार की आर्थित हालत सही नहीं होने की वजह से मैरि कॉम के लिए बॉक्सिंग के क्षेत्र में प्रोफेशनल ट्रेनिंग लेना भी काफी मुश्किल था, लेकिन फौलादी इरादों वाली मैरी कॉम ने आसानी से इन सभी मुसीबतों का सामना कर लिया और विश्व की महान मुक्केबाज के रुप में उभर कर सामने आईं।

बॉक्सिंग के क्षेत्र में अपने करियर बनाने का मन में ठान बैठी मैरीकॉम ने अपने घर वालों को बिना बताए ही ट्रेनिंग लेना शुरु कर दिया था।

वहीं साल 1999 में एक बार मैरीकॉम ने “खुमान लंपक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स” लड़कियों को लड़कों के साथ बॉक्सिंग करते हुए देखा, जिसे देख कर वे काफी प्रेरित हुई और उन्होंने अपने लक्ष्य को किसी भी हाल में पाने का निश्चय कर लिया।

इसके बाद मैरी कॉम ने अपने सपने को सच करने के लिए मणिपुर राज्य के इम्फाल में बॉक्सिंग कोच एम नरजीत सिंह से ट्रेनिंग लेना शुरु कर दिया।

01 अक्टूबर 2014 को इन्होंने विश्व इतिहास रचते हुए एशियाई खेलो में स्वर्ण पदक जीतने के साथ वे भारत के पहली मुक्केबाज बनी।

8 नवंबर 2017 को उन्होंने वियतनाम में हो ची मिन्ह में आयोजित ASBC एशियाई परिसंघ की महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में अभूतपूर्व पाँचवाँ स्वर्ण पदक (48 किलोग्राम) प्राप्त किया।

24 नवंबर 2018 को, उन्होंने 6 बार विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रच दिया, यह उपलब्धि उन्होंने नई दिल्ली में आयोजित 10 वीं एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में हासिल की।

साल 2001 में मैरी कॉम जब पंजाब में नेशनल गेम्स खेलने के लिए जा रही थी, तभी उनकी मुलाकात ओन्लर से हुई थी। उस समय ओन्लर दिल्ली यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई कर रहे थे। 4 सालों की दोस्ती के बाद 2005 में दोनों ने एक-दूसरे से शादी कर ली। शादी के बाद दोनों को तीन बच्चे हुए। साल 2007 में मैरी कॉम ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। इसके बाद साल 2013 में फिर से उन्हें एक और बेटा पैदा हुआ।

मां बनने के बाद भी उनके प्रोफेशनल एटिट्यूड में किसी तरह की कोई कमी नहीं आई। मां बनने के बाद उनका जुनून और भी बढ़ गया जिसके चलते उन्होंने वर्ल्ड टाइटल का खिताब हासिल किया।

वह फ्लाईवेट (51 किग्रा) वर्ग में 2012 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली और भारत के लिए कांस्य पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला हैं। यह पहली बार था जब महिला मुक्केबाजी को ओलंपिक खेल के रूप में पेश किया गया था।

मेरी कोम के जीवन पर आधारित फिल्म ‘मेरी कोम’ को ओमंग कुमार ने बनाया था, जिसे 5 सितम्बर 2014 में रिलीज़ किया गया था। फिल्म में मुख्य भूमिका में प्रियंका चोपड़ा थी, जिसमें उनकी अदाकारी देखने लायक थी।

मैरी कॉम को ओलंपिक पदक जीतने के लिए सरकार से कई नकद पुरस्कार मिले। उन्हें अरुणाचल प्रदेश सरकार और जनजातीय मामलों के मंत्रालय से 10 लाख रुपये, असम सरकार से 20 लाख रुपये, उत्तर पूर्वी परिषद से 40 लाख रुपये और राजस्थान और मणिपुर सरकार से 50 लाख रुपये मिले। उन्हें मणिपुर सरकार से 2 एकड़ ज़मीन भी मिली।

2006 में मैरीकॉम को पद्मश्री, 2009 में उन्हें देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी नवाजा गया हैं।

‘मैग्नीफिसेंट मैरी’ उपनाम से सम्मानित कॉम को 2003 में अर्जुन पुरस्कार, 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, 2010 में पद्म श्री और 2013 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है।

2014 में ‘मैरी कॉम’ पर एक जीवनी फिल्म रिलीज हुई थी। इसका निर्माण संजय लीला भंसाली ने किया था और निर्देशन ओमंग कुमार ने किया था। मैरी कॉम की भूमिका निभाई. ऐसा कहा जाता है कि मैरी कॉम के रूप में प्रियंका ने अपनी पूरी जिंदगी में जितनी कमाई की, उससे कहीं ज्यादा कमाई उन्होंने मैरी कॉम के तौर पर एक फिल्म में की।

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