ठंडे पानी की बजाय गर्म पानी जल्दी जम जाता है। ऐसा क्यों होता है, यह सवाल सबसे पहले 1969 में तंजानिया के विद्यार्थी इरैस्टो एमपेम्बा ने किया था। लेकिन वैज्ञानिक भी काफी टाइम से इस पर अध्ययन कर रहे थे। आइए जानते है ठंडे पानी की बजाय गर्म पानी जल्दी क्यों बर्फ बनता है:-
एमपेम्बा ने खोजा कि अगर आइस्क्रीम के मिश्रण को फ्रिज में ठंडा करके रखने की बजाय सीधे ही गर्म मिश्रण को फ्रीज़र में रखा जाए तो मिश्रण ज़्यादा जल्दी जम जाता है। एमपेम्बा ने इस प्रभाव पर एक प्रोजेक्ट बनाया।
सबसे पहले, प्रोजेक्ट दर्शाता है कि पानी चाहे सीधे नल से लिया गया हो या आसुत जल हो, वह आइसक्रीम के मिश्रण जैसा ही व्यवहार करता है, इसके लिए रासायनिक संगठन इतना महत्वपूर्ण कारक नहीं है। दूसरा, यह दर्शाता है कि गर्म पानी से वाष्पीकरण के चलते पानी के आयतन में आई कमी की इस प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं है।
वैज्ञानिकों ने भी इस बात पर अपने अलग अलग अर्थ बयान किये है। जैसे कि गर्म पानी में से पानी भाप बनकर उड़ता है, जिससे गर्म पानी का आयतन कम हो जाता है और ठंडे पानी पर बर्फ की पतली कुचालक परत जम जाती है, जिसके कारण बचा हुआ पानी धीरे-धीरे ठंडा होता है।
वैज्ञानिकों ने यह बात भी कही है कि यह हमेशा नहीं होता कि ठंडे पानी की बजाय गर्म पानी जल्दी जम जाता है। कभी- कभी ठंडा पानी भी पहले जम जाता है। ऐसा भी कहना है कि ऐसा पानी में उपस्थित अशुद्धियों के कारण भी हो सकता है।
क्योंकि इस को एमपेम्बा ने खोजा था, गर्म पानी का तेजी से जमने के प्रभाव को एमपेम्बा प्रभाव कहते है। स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयार्क के रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर जेम्स ब्राउनरिज का कहना है, कि उन्होंने इस प्रभाव पर पिछले 10 सालों में बहुत से प्रयोग किए हैं और वह इस नतीज़े पर पहुंचे ऐसा पानी में घुली हुई अशुध्दियों के कारण ही होता है।
उनका कहना है कि पानी 10 डिग्री सेल्सियस पर कभी-कभी ही जमता है और आमतौर पर पानी शून्य से भी कम तापमान पर जमना शुरू हो जाता है। पानी में बहुत सी अशुध्दियां पाई जाती हैं, जैसे कि धूलकण, नमक और बैक्टीरिया। जिस अशुध्दि पर बर्फ के क्रिस्टल बनने का तापमान सबसे ज्यादा होगा, उसी तापमान पर पानी जमने लगेगा।