भारत में बहने वाली गोदावरी और कृष्णा नदी के बाद तीसरे स्थान पर सबसे लम्बी नदी आती है नर्मदा नदी। विंध्य की पहाड़ियों में बसा अमरकंटक एक वन प्रदेश है। अमरकंटक को ही इस नदी का उद्गम स्थल माना गया है।
यह समुद्र तल से 3500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। कहते है कि इस नदी के दर्शन मात्र से भगतों के सब पापों का नाश होता है।
किवदंती
किवदंतियों में, नर्मदा नदी के विवाह के बारे में रोचक कहानी है जो इस प्रकार है:
राजा मैखल की पुत्री नर्मदा को रेवा के नाम से भी जाना जाता है। राजा मैखल ने नर्मदा के विवाह के लिए एक शर्त रखी कि जो राजकुमार गुलबकावली के फूल लेकर मेरी बेटी को देगा उससे इसका विवाह तय कर दिया जाएगा।
नर्मदा से शादी करने का मौका सोनभ्रद नाम के एक राजकुमार को मिला जो की नर्मदा के लिए वो पुष्प लाया था। अब विवाह में कुछ ही समय बचा था और सोनभ्रद से पहले कभी न मिले होने के कारण राजकुमारी नर्मदा ने अपनी दासी जुहिला के हाथ राजकुमार को एक संदेश भेजा।
राजकुमारी के वस्त्र और गहने पाकर जुहिला सोनभ्रद को मिलने चली गई। वहां पहुँच कर जुहिला ने राजकुमार को नहीं बताया कि वह दासी है, और उसे राजकुमारी समझ कर सोनभ्रद उस पर मोहित हो गया।
काफी समय बीतने के पश्चात जब जुहिला लौट कर ना आई तो राजकुमारी नर्मदा स्वयं सोनभ्रद से मिलने को चली गई। परन्तु वहाँ जाकर उसने देखा कि जुहिला और सोनभ्रद एक दूसरे के साथ थे।
यह दृश्य देख नर्मदा क्रोधित हो गई और घृणा से भर उठी। तुरंत वहां से विपरीत दिशा की ओर चल दी और कभी वापिस न आई। उसके पश्चात से नर्मदा बंगाल सागर की बजाए अरब सागर में जाकर मिल गईं और उन्होंने कसम उठाई कि वे कभी भी विवाह नहीं करेंगी, हमेशा कुंवारी ही रहेंगी।
कहते हैं कि आज तक भी सोनभ्रद को अपनी गलती पर पछतावा है परन्तु नर्मदा कभी लौट कर वापिस नहीं आई। कहा जाता है कि आज भी नर्मदा का विलाप और दुख की पीड़ा आज भी उनके जल की छल-छल की आवाज़ में सुनाई पड़ती है।
मिलती है अरब सागर में
भारत देश की सभी विशाल नदियां बंगाल सागर में आकर मिलती है, लेकिन नर्मदा एक ऐसी नदी है जो बंगाल सागर में नहीं बल्कि अरब सागर की में जाकर मिलती है।